बॉम्बे हाईकोर्ट: नियुक्तियों में देरी पर का केंद्र से सवाल, पूछा- कहां हैं न्यायपालिका के लिए बूस्टर डोज


एजेंसी, मुंबई
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 05 Feb 2022 04:25 AM IST

सार

अदालत ने कहा, आजकल हम बूस्टर की बातें कर रहे हैं। बूस्टर वैक्सीन, अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर। हम कहीं पढ़ रहे थे कि मौजूदा बजट देश की अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर है। लेकिन न्यायपालिका के लिए बूस्टर कहां है?  

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देशभर में खाली पड़े न्यायिक पदों को भरने में देरी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को नाराजगी जताई। अदालत ने केंद्र से पूछा कि आखिर वह कब न्यायपालिका के लिए बूस्टर डोज पर विचार करेगा। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस एमएस कार्णिक की पीठ ने कहा, यदि सरकार चाहती है कि देश की अर्थव्यवस्था को बूस्टर मिले तो न्यायाधिकरणों में खाली पड़े पदों को क्यों नहीं भर रही, जो बैंकों को बकाया ऋणों की वसूली में मदद करेंगे।

जस्टिस दत्ता और जस्टिस कार्णिक की पीठ मुंबई में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरएटी) में चेयरपर्सन की नियुक्ति की मांग पर दायर दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें कहा गया था कि केंद्र को डीआरएटी में नियुक्ति के लिए निर्देश दिए जाएं। अदालत ने कहा, आजकल हम बूस्टर की बातें कर रहे हैं। बूस्टर वैक्सीन, अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर। हम कहीं पढ़ रहे थे कि मौजूदा बजट देश की अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर है। लेकिन न्यायपालिका के लिए बूस्टर कहां है?  

दरअसल, डीआरएटी के चेयरपर्सन और कई डीआरटी के पीठासीन अधिकारियों के पद राज्यभर में कुछ माह से खाली पड़े हैं। इसकी वजह से मुख्य न्यायाधीश दत्ता की अगुवाई वाली पीठ के पास मामलों का अंबार लगा है। अदालत ने केंद्र की ओर से नियुक्तियों में अवांछित देर पर हैरत जताई जबकि इस मामले पर अदालत पहले भी आदेश जारी कर चुकी है। अदालत ने इससे पहले दो दिसंबर, 2021 को रिक्त पदों को भरने का आदेश जारी किया था। लेकिन सरकार की ओर से अभी तक न ही नियुक्ति ही की गई है और न ही देरी का कोई कारण ही बताया गया है।

…तो हम कुछ और सोचेंगे
हाईकोर्ट ने कहा, देश की वित्तीय राजधानी मुंबई जैसे शहर के लिए ऋण वसूली न्यायाधिकरण अत्यंत जरूरी है। अदालत ने केंद्र सरकार को इस मामले पर आगामी बृहस्पतिवार तक डीआरएटी के  खाली पड़े पदों को भरने की रूपरेखा के साथ टिप्पणी दाखिल करने को कहा है। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह से कहा, कृपया अपने अधिकारियों को हमारी चिंताओं से अवगत कराएं। यदि अगले बृहस्पतिवार तक हमें कोई मुकम्मल तस्वीर नहीं मिलती तो हम कुछ और सोचेंगे।

विस्तार

देशभर में खाली पड़े न्यायिक पदों को भरने में देरी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को नाराजगी जताई। अदालत ने केंद्र से पूछा कि आखिर वह कब न्यायपालिका के लिए बूस्टर डोज पर विचार करेगा। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस एमएस कार्णिक की पीठ ने कहा, यदि सरकार चाहती है कि देश की अर्थव्यवस्था को बूस्टर मिले तो न्यायाधिकरणों में खाली पड़े पदों को क्यों नहीं भर रही, जो बैंकों को बकाया ऋणों की वसूली में मदद करेंगे।

जस्टिस दत्ता और जस्टिस कार्णिक की पीठ मुंबई में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरएटी) में चेयरपर्सन की नियुक्ति की मांग पर दायर दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें कहा गया था कि केंद्र को डीआरएटी में नियुक्ति के लिए निर्देश दिए जाएं। अदालत ने कहा, आजकल हम बूस्टर की बातें कर रहे हैं। बूस्टर वैक्सीन, अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर। हम कहीं पढ़ रहे थे कि मौजूदा बजट देश की अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर है। लेकिन न्यायपालिका के लिए बूस्टर कहां है?  

दरअसल, डीआरएटी के चेयरपर्सन और कई डीआरटी के पीठासीन अधिकारियों के पद राज्यभर में कुछ माह से खाली पड़े हैं। इसकी वजह से मुख्य न्यायाधीश दत्ता की अगुवाई वाली पीठ के पास मामलों का अंबार लगा है। अदालत ने केंद्र की ओर से नियुक्तियों में अवांछित देर पर हैरत जताई जबकि इस मामले पर अदालत पहले भी आदेश जारी कर चुकी है। अदालत ने इससे पहले दो दिसंबर, 2021 को रिक्त पदों को भरने का आदेश जारी किया था। लेकिन सरकार की ओर से अभी तक न ही नियुक्ति ही की गई है और न ही देरी का कोई कारण ही बताया गया है।

…तो हम कुछ और सोचेंगे

हाईकोर्ट ने कहा, देश की वित्तीय राजधानी मुंबई जैसे शहर के लिए ऋण वसूली न्यायाधिकरण अत्यंत जरूरी है। अदालत ने केंद्र सरकार को इस मामले पर आगामी बृहस्पतिवार तक डीआरएटी के  खाली पड़े पदों को भरने की रूपरेखा के साथ टिप्पणी दाखिल करने को कहा है। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह से कहा, कृपया अपने अधिकारियों को हमारी चिंताओं से अवगत कराएं। यदि अगले बृहस्पतिवार तक हमें कोई मुकम्मल तस्वीर नहीं मिलती तो हम कुछ और सोचेंगे।

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