बॉम्बे हाईकोर्ट: वानखेड़े की अवमानना याचिका पर नवाब मलिक से मांगा जवाब, अगली सुनवाई सात फरवरी को


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Thu, 03 Feb 2022 03:44 PM IST

सार

पिछले साल भी ज्ञानदेव वानखेड़े ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था और मांग की थी कि नवाब मलिक को ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियां करने या सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से रोका जाए जो वानखेड़े परिवार के लिए अपमान जनक हो।

बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
– फोटो : पीटीआई

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक से ज्ञानदेव वानखेड़े की ओर से दाखिल अवमानना की याचिका पर जवाब मांगा है। ज्ञानदेव वानखेड़े नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े के पिता हैं। मलिक और वानखेड़े के बीच विवाद काफी दिनों से चला आ रहा है।

न्यायाधीश एसजे कथावाला और मिलिंद जाधव की पीठ ने यह भी जानना चाहा कि नवाब मलिक वानखेड़े परिवार के खिलाफ कोई मानहानि करने वाली टिप्पणी नहीं करने के लिए हाईकोर्ट को दिए गए हलफनामे के साथ बार-बार रियायतें क्यों ले रहे हैं। इसे लेकर पीठ ने कहा कि अगर मंत्री रियायतों का इसी तरह से दुरुपयोग करते रहेंगे तो अदालत इसे वापस ले लेगी। 

पिछले महीने दाखिल की गई थी अवमानना याचिका
बता दें कि ज्ञानदेव वानखेड़े ने पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट में मलिक के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि मलिक ने पिछले साल अदालत में वानखेड़े परिवार के खिलाफ मानहानि वाली टिप्पणी या सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करने का वचन दिया था, जिसका उन्होंने जानबूझ कर उल्लंघन किया था। 

इसके अलावा पिछले साल भी ज्ञानदेव वानखेड़े ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था और मांग की थी कि नवाब मलिक को ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियां करने या सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से रोका जाए जो वानखेड़े परिवार के लिए अपमानजनक हों। पिछली सुनवाइयों में मलिक ने हाईकोर्ट से कहा था कि वानखेड़े परिवार के बारे में ऐसी बात नहीं करेंगे।

दो और तीन जनवरी को कीं आपत्तिजनक टिप्पणियां
अपनी अवमानना याचिका में ज्ञानदेव वानखेड़े ने दावा किया है कि मलिक ने अपने वचन का उल्लंघन किया है और इसी साल दो जनवरी और तीन जनवरी को आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं। ज्ञानदेव वानखेड़े की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने उच्च न्यायालय से कहा कि यह नवाब मलिक के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का मामला है।

न्यायाधीश कथावाला ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर मंत्री इसी तरह रियायतों का दुरुपयोग करना जारी रखेंगे तो अदालत इसे वापस ले लेगी। मलिक के वकील रमेश दुबे ने कहा कि मंत्री यह दिखाने के लिए जवाब दाखिल करना चाहते हैं कि ये बयान रियायतों के दायरे में आते हैं। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख सात फरवरी तय कर दी।

विस्तार

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक से ज्ञानदेव वानखेड़े की ओर से दाखिल अवमानना की याचिका पर जवाब मांगा है। ज्ञानदेव वानखेड़े नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े के पिता हैं। मलिक और वानखेड़े के बीच विवाद काफी दिनों से चला आ रहा है।

न्यायाधीश एसजे कथावाला और मिलिंद जाधव की पीठ ने यह भी जानना चाहा कि नवाब मलिक वानखेड़े परिवार के खिलाफ कोई मानहानि करने वाली टिप्पणी नहीं करने के लिए हाईकोर्ट को दिए गए हलफनामे के साथ बार-बार रियायतें क्यों ले रहे हैं। इसे लेकर पीठ ने कहा कि अगर मंत्री रियायतों का इसी तरह से दुरुपयोग करते रहेंगे तो अदालत इसे वापस ले लेगी। 

पिछले महीने दाखिल की गई थी अवमानना याचिका

बता दें कि ज्ञानदेव वानखेड़े ने पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट में मलिक के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि मलिक ने पिछले साल अदालत में वानखेड़े परिवार के खिलाफ मानहानि वाली टिप्पणी या सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करने का वचन दिया था, जिसका उन्होंने जानबूझ कर उल्लंघन किया था। 

इसके अलावा पिछले साल भी ज्ञानदेव वानखेड़े ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था और मांग की थी कि नवाब मलिक को ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियां करने या सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से रोका जाए जो वानखेड़े परिवार के लिए अपमानजनक हों। पिछली सुनवाइयों में मलिक ने हाईकोर्ट से कहा था कि वानखेड़े परिवार के बारे में ऐसी बात नहीं करेंगे।

दो और तीन जनवरी को कीं आपत्तिजनक टिप्पणियां

अपनी अवमानना याचिका में ज्ञानदेव वानखेड़े ने दावा किया है कि मलिक ने अपने वचन का उल्लंघन किया है और इसी साल दो जनवरी और तीन जनवरी को आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं। ज्ञानदेव वानखेड़े की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने उच्च न्यायालय से कहा कि यह नवाब मलिक के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का मामला है।

न्यायाधीश कथावाला ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर मंत्री इसी तरह रियायतों का दुरुपयोग करना जारी रखेंगे तो अदालत इसे वापस ले लेगी। मलिक के वकील रमेश दुबे ने कहा कि मंत्री यह दिखाने के लिए जवाब दाखिल करना चाहते हैं कि ये बयान रियायतों के दायरे में आते हैं। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख सात फरवरी तय कर दी।

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