कोर्ट ने Javed Akhtar मानहानि केस में Kangana की मांग खारिज, मैजिस्ट्रेट पर लगाया था पक्षपात का आरोप


कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की उस याचिका को सेशंस कोर्ट ने खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) के साथ चल रहे मानहानि (Defamati) केस को ट्रांसफर करने की मांग की थी। कंगना रनौत के आवेदन में यह आरोप लगाया गया था कि मामले की सुनवाई करने वाले मैजिस्ट्रेट निष्पक्ष नहीं थे, लेकिन कोर्ट ऑर्डर में ऐसा कुछ नहीं मिला जो मैजिस्ट्रेट से जुड़े इस आरोप को साबित कर सके। ईटाइम्स ने जावेद अख्तर के वकील जय भारद्वाज से बातचीत की। उन्होंने बताया कि कंगना रनौत ने 7 अलग-अलग मौकों पर मैजिस्ट्रेट की प्रक्रिया को असफल रूप से चुनौती दी है।

भारद्वाज ने यह भी बताया कि रनौत ने सेशंस कोर्ट, दिंडोशी में समन आदेश को चुनौती देते हुए एक रिवीजन पिटिशन भी फाइल की थी।

इसके बाद कंगना रनौत के वकीलों ने चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) कोर्ट में धारा 410 दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी- Code Of Criminal Procedure) के तहत ट्रांसफर आवेदन दायर किया, जिसमें मामले को 10वीं एमएम से पहले किसी दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। भारद्वाज ने कहा, ‘CMM के जरिए ट्रांसफर आवेदनों को खारिज करने के बाद CMM’s ऑर्डर को चुनौती देते हुए एक रिवीजन पीटिशन फाइल की गई थी। और आखिरकार मिस रनौत ने धारा 408 सीआरपीसी के तहत दिंडोशी सेशंस कोर्ट के समक्ष ट्रांसफर आवेदन दायर किया।’

डीटेल फैसले की कॉपी ईटाइम्स से भी शेयर की गई है जिसमें कोर्ट ने कहा है, ‘केवल इस आरोप में आशंका होना कि दिए गए मामले में न्याय नहीं किया जाएगा, यह काफी नहीं है। न्याय नहीं होने की आशंका को दिखाने वाले ऐसे किसी भी सबूत के बिना इसके ट्रांसफर के लिए इस तरह के आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता है। इसलिए जहां निष्पक्ष सुनवाई के आश्वासनों का सम्मान किया जाना चाहिए, वहां केवल आशंका पर मामले को ट्रांसफर करने की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।’

ईटाइम्स को बताया गया है कि इन याचिकाओं को सम्बंधित न्यायालयों के जरिए खारिज कर दिया गया है और मुख्य मामले पर अब 22 मार्च को 10वीं एमएम की कोर्ट के लिए लिस्टेड है।

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