योग दिवस पर बिना अभ्‍यास योगासन करने से लाभ के बजाय हो सकता है नुकसान, योग विशेषज्ञ से जानें कैसे


नई दिल्‍ली. 21 जून को अंतराष्‍ट्रीय योग दिवस (International Day of Yoga 2022) मनाया जाएगा. इसके लिए आयुष मंत्रालय की ओर से विशेष तैयारियां की जा रही हैं, वहीं आम लोग भी योग दिवस को लेकर खासे उत्‍साहित होते हैं और इस दिन सामूहिक रूप से योग कार्यक्रम का हिस्‍सा बनते हैं. योग अब आम जीवन का अहम हिस्‍सा बन गया है लिहाजा लोग योग का नियमित और रोजाना अभ्‍यास करते हैं लेकिन बहुत सारे ऐसे भी लोग हैं जिनकी नियमित दिनचर्या में योग शामिल नहीं है लेकिन वे जोश और उत्‍साह के चलते अंतराष्‍ट्रीय योग दिवस पर योगासन कार्यक्रमों में शामिल होते हैं. योग विशेषज्ञों की मानें तो इस तरह एक दिन किए गए योगासन कई बार लाभ से ज्‍यादा नुकसान पहुंचा जाते हैं. यही वजह है कि 21 जून के बाद योगासनों की वजह से परेशानी झेल रहे कई मरीज अक्‍सर सामने आते हैं.

एसएम योग रिसर्च इंस्‍टीट्यूट एंड नेचुरोपैथी अस्‍पताल इंडिया के सचिव और शांति मार्ग द योगाश्रम अमेरिका के फाउंडर व सीईओ योगगुरु डॉ. बालमुकुंद शास्‍त्री कहते हैं कि योग एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो अभ्‍यास, समझ और सही जानकारी मांगती है. योग चिकित्‍सा की पद्धति है जो बड़े से बड़े रोगों को काट देती है और आने से रोकती है लेकिन अगर योग, आसन या प्राणायाम गलत तरीके से किए जाएं या बिना अभ्‍यास के किए जाएं तो ये लाभ के बजाय कई बार नुकसान भी पहुंचा देते हैं. हालांकि यह नुकसान अस्‍थाई होता है लेकिन अगर ध्‍यान नहीं दिया गया तो यह शारीरिक बीमारी के रूप में बढ़ भी सकता है.

डॉ. बालमुकुंद कहते हैं कि अक्‍सर देखा गया है कि बिना पूर्व अभ्‍यास के 21 जून को अंतराष्‍ट्रीय योग दिवस पर लोग योग जागरुकता, उत्‍साह, संस्‍थानिक या सामाजिक दवाब के चलते या या अन्‍य कई वजहों से सामूहिक या एकल रूप से योगासन करते हैं. केंद्र सरकार के योग प्रोटोकॉल का भी पालन करते हैं लेकिन इसके बाद वे एकाएक बीमार पड़ जाते हैं. शास्‍त्री कहते हैं कि पिछले कुछ सालों से 22 जून के बाद ऐसे मरीज भी देखे जाते हैं जो योगासन करने के बाद शरीर में दर्द, खिंचाव, मांसपेशियों में अकड़न, गर्दन, कंधे, रीढ़ की हड्डी, जोड़ों, घुटनों में दर्द या सूजन, पेट की समस्‍याओं को लेकर आते हैं. ऐसा कई योगासनों के गलत तरीके से करने या अभ्‍यास न होने के बावजूद करने के चलते होता है. हालांकि आयुष मंत्रालय के योग प्रोटोकॉल में सभी योग आसान हैं लेकिन कुछ योगासनों से परेशानियां हो सकती हैं.

योग प्रोटोकॉल के बिना अभ्‍यास इन योगासनों से पैदा हो सकती हैं बीमारियां

. वृक्षासन
योग गुरु डॉ. बालमुकुंद कहते हैं कि वृक्षासन अभ्‍यास मांगता है. इस योगासन में एकाग्रता की बहुत जरूरत होती है. दिमाग को एक केंद्र पर एकाग्र रखना होता है. एकाग्रता या एकचित्‍त होकर इस आसन को करने के लिए पहले से इस आसन का अभ्‍यास बहुत जरूरी है. कई बार देखा गया है कि इसके अभ्‍यास के अभाव में बैलेंस बिगड़ने का खतरा पैदा हो जाता है और व्‍यक्ति गिर सकता है. व्‍यक्ति को घबराहट हो सकती है, चक्‍कर आ सकते हैं, शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है.

. पादहस्‍तासन
यह योग भी अभ्‍यास के बाद ही ठीक तरीके से किया जाता है, नहीं तो चूंकि इसमें रीढ़ की हड्डी कर्व होती है और स्‍पाइन डिसऑर्डर्स या रीढ़ की हड्डी संबंधी रोग होने के चांसेज बढ़ जाते हैं. कूबड़ निकलना आदि की शिकायत भी हो सकती है. काइफोसिस आदि की परेशानी हो सकती है, स्‍पाइन की हड्डी बाहर आ सकती है. वर्टिब्रा के ऊपर उठने की समस्‍या हो सकती है. शरीर में खिंचाव होने की वजह से कम से कम तीन दिन तक शरीर में दर्द हो सकता है. इसमें चक्‍कर आना, उल्‍टी आना आदि की समस्‍याएं हो सकती हैं.

. उष्‍ट्रासन
डॉ. शास्‍त्री कहते हैं कि बिना अभ्‍यास उष्‍ट्रासन करने से पसलियों में, रीढ़ की हड्डी में इंजरी होने के चांसेज रहते हैं. इसके अलावा शरीर में कहीं भी दर्द और मांसपेशियों में परेशानी भी हो सकती है. इसका अभ्‍यास करने के बाद ही पूर्ण उष्‍ट्रासन की स्थिति में पहुंच पाते हैं.

. मरीच्‍यासन या वक्रासन
यह आसन भी रोजाना आसन न करने वालों के लिए थोड़ा कठिन रहता है. मरीच्‍यासन या वक्रासन में पेट पर दवाब पड़ता है. इसमें एक घुटने को मोड़कर जांघों से पेट को दबाते हैं और ऊपरी शरीर को ट्विस्‍ट करते हैं. अगर इस आसन को ठीक से न किया जाए तो या तो इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा या फिर एक ही बार में अगर इसे ठीक से करने की ज्‍यादा कोशिश करेंगे तो पेट के अंदर के जो अंग हैं या पेट के अंदर की मसल्‍स हैं, उनमें चोट लगने की संभावना बन जाती है.

. शलभासन
वे बताते हैं कि नियमित अभ्‍यास के बिना एकाएम शलभासन करने पर हमारे कमर या कमर के निचले हिस्‍से में तीन हड्डियों, एस1, एस 2 और कॉर्टेक्‍स में इंजरी हो सकती है. इसमें कमर में झटका लगने की भी परेशानी हो जाती है, जिसकी वजह से कई दिनों तक कमर में दर्द रह सकता है, या ये बढ़ भी सकता है.

. सेतुबंधासन
योग गुरु कहते हैं कि अगर करीब 10 दिन पहले से सेतुबंधासन का नियमित अभ्‍यास करना नहीं सीखा तो अचानक ही योग दिवस के दिन सभी के साथ यह योगासन किया जाता है तो यह स्‍पाइलन इंजरी यानि रीढ़ की हड्डी में परेशानी का खतरा पैदा कर देता है. इसके अलावा कंधे और गर्दन में परेशानी होने की संभावना भी बढ़ जाती है.

. कपालभाति
खासतौर पर हाई ब्‍लड प्रेशर के मरीजों को ध्‍यान रखने की जरूरत है कि वे ज्‍यादा न करें. इसके अलावा अगर वे इस व्‍यायाम को करते हैं वे नियमित रूप से गाइडेंस के तहत इस प्राणायाम को करें. कपालभाति हमारे ब्‍लड सर्कुलेशन को बढ़ा देता है, ऐसी स्थिति में हाई ब्‍लड प्रेशर के मरीज को इससे काफी समस्‍या हो सकती है. वे इसे कम से कम करें. इसके साथ ही हाई बीपी वाले मरीज कपालभाति करते समय ध्‍यान रखें कि वे एक मिनट में 30 से 60 बार तक सांस को छोड़ें.

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