ट्रैफिक से जुड़े प्रदूषण के चलते हर साल 20 लाख बच्चों को हो सकता है अस्थमा -स्टडी


Air Pollution Puts 20 Lakh Children at Risk of Asthma : लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण (Air Pollution) पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. वायु प्रदूषण का कारण केवल औद्योगीकरण या कार्बन उत्सर्जन (industrialization or carbon emissions) ही नहीं है, दुनिया के सभी देशों में लगातार बढ़ता ट्रैफिक (Traffic) भी इसकी एक बड़ी वजह है. ट्रैफिक से निकलने वाला जहरीला धुआं (poisonous smoke) भी इंसान की आने वाली पीढ़ियों के लिए कितना खतरनाक है, इसका खुलासा एक स्टडी में हुआ है. अमेरिका की जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी (George Washington University) के रिसर्चर्स द्वारा की गई नई स्टडी में दावा किया गया है कि ट्रैफिक से होने वाले प्रदूषण से दुनियाभर में हर साल करीब 20 लाख बच्चों को अस्थमा (asthma) हो सकता है. इस स्टडी के निष्कर्ष ‘द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ (The Lancet Planetary Health)’ जर्नल में प्रकाशित हुए है.आपको बता दें कि वायु प्रदूषण (Air pollution) हमारे शरीर के अंगों और कई फंक्शन्स को नुकसान पहुंचा सकता है. इसमें सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease), ब्रोन्कियल अस्थमा (bronchial asthma) भी शामिल है.

अस्थमा एक क्रॉनिक डिजीज है, जिसमें फेफड़े के वायुमार्ग (pulmonary airways) में सूजन (इंफ्लैमेशन) पैदा होता है. इसमें सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, खांसी और घरघराहट होती है. अस्थमा के अटैक का मुख्य कारण शरीर में मौजूद बलगम और संकरी श्वासनली होता है लेकिन इसके अलावा अस्थमा के अटैक के कई बाहरी कारण भी होते हैं, जिस वजह से दमे का अचानक अटैक पड़ता है. ऐसे में रोगियों को इन्हेलर लेने के लिए कहा जाता है.

क्या कहते हैं जानकार
जार्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में एन्वार्यमेंटल एंड ऑक्यूपेशनल हेल्थ (Environmental and Occupational Health) की प्रोफेसर और इस स्टडी की को-राइटर सुसान अनेनबर्ग (Susan Anenberg) के अनुसार, उनकी स्टडी में सामने आया है कि नाइट्रोजन डाइआक्साइड (nitrogen dioxide) बच्चों में अस्थमा (asthma) का खतरा पैदा कर रहा है और ये समस्या खासतौर पर शहरी क्षेत्र में ज्यादा है. इससे स्पष्ट है कि बच्चों को हेल्दी रखने के लिए जरूरी है कि क्लीन एयर की पॉलिसी को अहम माना जाना चाहिए.

कैसे हुई स्टडी
सुसान अनेनबर्ग (Susan Anenberg) और उनके सहयोगियों ने व्हीकल्स, पॉवर प्लांट्स और इंडस्ट्रियल साइट्स के आसपास नाइट्रोजन डाइआक्साइड (NO2) के ग्राउंड कंसंट्रेशन (ground concentration) की स्टडी की. इसके साथ ही उन्होंने 2019 से 2020 तक बच्चों में अस्थमा के नए केसों को भी ट्रैक किया. इस दौरान ये भी पाया गया कि एनओ2 के कारण साल 2000 में बच्चों में अस्थमा के मामले 20% थे, जो साल 2019 में घटकर 16 प्रतिशत पर आ गए. यह इस बात का प्रतीक है कि यूरोप और अमेरिका के कुछ हिस्सों में स्वच्छ हवा का फायदा खासतौर पर उन बच्चों को हुआ, जो व्यस्त सड़कों और औद्योगिक स्थलों के आसपास रहते हैं. इसलिए अब भी जरूरत है कि हाई इनकम वाले देश एनओ2 (NO2) के उत्सर्जन (emissions) पर और प्रभावी अंकुश लगाएं.

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क्या किया जा सकता है
एक अन्य स्टडी में सुसान अनेनबर्ग (Susan Anenberg)  और उनके सहयोगियों ने पाया कि 2019 में 18 लाख मौतों का संबंध शहरी वायु प्रदूषण (urban air pollution) से जोड़ा जा सकता है. यह भी सामने आया कि शहरों में रहने वाले 86% वयस्क और बच्चे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा पार्टिकुलेट मैटर (particulate matter) के संदर्भ में निर्धारित मानक से ज्यादा स्तर वाले माहौल में रहने के कारण ज्यादा बीमार होते हैं. अनेनबर्ग ने बताया कि जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) वाले परिवहन में कमी लाकर हम बच्चे और बुजुर्गो को अच्छी हवा में सांस लेने मदद कर सकते हैं. इससे बच्चों में अस्थमा और उनकी मौत को भी कम किया जा सकता है. इसके साथ ही ग्रीन हाउस गैस (green house gas) के उत्सर्जन में भी कमी आएगी, जिससे हेल्दी एनवायरमेंट की ओर बढ़ा जा सकता है.

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स्टडी में क्या निकला
इस स्टडी में निकला कि साल 2019 में अनुमानित 18.5 लाख बच्चों में अस्थमा के नए केसों का कारण नाइट्रोजन डाइआक्साइड (NO2) रहा. इनमें से दो-तिहाई शहरी क्षेत्रों में थे. बच्चों में एनओ2 से जुड़े अस्थमा के मामले अमेरिका समेत अन्य अमीर देशों में क्लीन एयर को लेकर अपनाए गए कड़े उपायों के कारण कम हुए हैं. यूरोप, अमेरिका में एयर क्वालिटी (air quality) में सुधार होने के बावजूद दक्षिण एशिया, सब-सहारा अफ्रीका और मध्य-पूर्व के देशों में हवा की गुणवत्ता खासतौर पर एनओ2 (NO2) के कारण खराब हुई है.बच्चों में एनओ2 (NO2)  से जुड़ा अस्थमा दक्षिण एशिया और सब-सहारा अफ्रीकी देशों में पब्लिक हेल्थ के लिए बड़ी समस्या बन गई है.

Tags: Air pollution, Health, Health News, Lifestyle

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