Eknath Shinde: शिंदे की असली चुनौती अब होगी शुरू! नए मंत्रिमंडल से लेकर बीएमसी चुनावों में दिखाना होगा दम


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आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद महाराष्ट्र में उठा राजनीतिक तूफान थम गया। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। कहने को तो देश की राजधानी से लेकर अलग-अलग राज्यों के राजनीति गलियारों में महाराष्ट्र का सियासी तूफान थम चुका है, लेकिन हकीकत में नई सरकार की परीक्षा और चुनौतियों फिर से शुरू होने वाली हैं। यह चुनौतियां आने वाले दिनों में होने वाले महाराष्ट्र नगर निगम चुनावों और महाराष्ट्र में बनी नई सरकार के मंत्रिमंडल के साथ शुरू होनी हैं।

सरकार बनने के बाद सबसे बड़ी चुनौती महाराष्ट्र में नए मंत्रिमंडल को लेकर आनी है। हालांकि सूत्रों का कहना है मंत्रिमंडल को लेकर सभी कुछ पहले से तय हो चुका है, लेकिन जब तक नए मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो जाता है तब तक सस्पेंस तो बरकरार ही रहेगा। सूत्रों के मुताबिक के मुख्यमंत्री बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे को बनाया गया है, ऐसे में मंत्रिमंडल में ज्यादा से ज्यादा भाजपा के विधायकों को मंत्री बनाने की चर्चा चल रही है। शिंदे के साथ बगावत करके आए सभी विधायकों में उद्धव सरकार में शामिल रहे नौ मंत्री भी शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि इन सभी नौ मंत्रियों को शिंदे सरकार में फिर से मौका मिल सकता है। जबकि भाजपा की ओर से ज्यादा विधायकों को मंत्री बनाए जाने की बात सामने आ रही है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल में किस बागी विधायक को मंत्री बनाया जाए और किस को छोड़ा जाए, इसे लेकर एकनाथ शिंदे के सामने निश्चित तौर पर बड़ी चुनौती होगी ।

इन नामों पर लग सकती है मुहर

महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बागी नेताओं से मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा के सुधीर मुनगंटीवार, राजेंद्र पाटनी, संजय कुटे, आशीष शेलार, संभाजी पाटील निलंगेकर, माधुरी निशाल, जयकुमार रावल, गिरीश महाजन, चंद्रशेखर बवनकुले और रामकृष्ण विखे पाटील का नाम चर्चा में चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि इन नामों के अलावा विजय कुमार गावित किशन कथोरे, सुरेश खड़े, योगेश सागर और रविंद्र चौहान के नाम पर मुहर लग सकती है। सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में बनी एकनाथ शिंदे की सरकार में 40 से ज्यादा मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। राजनैतिक विश्लेषक एम एन कुलकर्णी कहते हैं कि जो भी मंत्रिमंडल बनेगा उसमें न सिर्फ जातिगत समीकरणों को साधते हुए आगे के राजनैतिक विस्तार का रूप दिखेगा, बल्कि महाराष्ट्र में होने वाले निकाय चुनावों की भी पूरी गुणा-गणित शामिल की जाएगी।

बीएमसी चुनावों की इंतजार

एकनाथ शिंदे को सिर्फ मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किए जाने वाले नामों पर ही मंथन करना चुनौतीपूर्ण नहीं होगा, बल्कि मुंबई महानगर क्षेत्र में शिंदे के प्रभाव का असर भी होने वाले नगर निगम चुनावों में देखा जाना है। राजनीतिक विश्लेषक एमएन खांडेकर कहते हैं कि मुंबई महानगर क्षेत्र यानी एमएमआर में राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का अपना एक छात्र राज्य है। अभी महाराष्ट्र के ज्यादातर नगर निगम और अन्य निकायों में शिवसेना का जलवा बरकरार है। अब अगले कुछ महीनों में होने वाले निकाय चुनावों में एकनाथ शिंदे की परीक्षा होनी है। खासतौर से मुंबई महानगर क्षेत्र में जिसमें शिंदे की काफी अरसे से अच्छी पकड़ है, वहां के परिणाम उनकी ताकत को साबित करेंगे। मुंबई महानगर क्षेत्र में सात महानगरपालिकाएं आती हैं। जबकि इसी क्षेत्र में 10 लोकसभा सीटों के साथ 60 विधानसभा सीटें भी शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आगामी बीएमसी चुनावों में यही 10 लोकसभा सीटें और 60 विधानसभा सीटों में आने वाले परिणाम 2024 की राजनीति को भी तय करेंगे। खंडेकर कहते हैं कि बीएमसी के परिणाम से एकनाथ शिंदे का कद भी आंका जाएगा और उसी के साथ राजनैतिक भविष्य की दिशा भी तय हो सकेगी।

विस्तार

आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद महाराष्ट्र में उठा राजनीतिक तूफान थम गया। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। कहने को तो देश की राजधानी से लेकर अलग-अलग राज्यों के राजनीति गलियारों में महाराष्ट्र का सियासी तूफान थम चुका है, लेकिन हकीकत में नई सरकार की परीक्षा और चुनौतियों फिर से शुरू होने वाली हैं। यह चुनौतियां आने वाले दिनों में होने वाले महाराष्ट्र नगर निगम चुनावों और महाराष्ट्र में बनी नई सरकार के मंत्रिमंडल के साथ शुरू होनी हैं।

सरकार बनने के बाद सबसे बड़ी चुनौती महाराष्ट्र में नए मंत्रिमंडल को लेकर आनी है। हालांकि सूत्रों का कहना है मंत्रिमंडल को लेकर सभी कुछ पहले से तय हो चुका है, लेकिन जब तक नए मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो जाता है तब तक सस्पेंस तो बरकरार ही रहेगा। सूत्रों के मुताबिक के मुख्यमंत्री बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे को बनाया गया है, ऐसे में मंत्रिमंडल में ज्यादा से ज्यादा भाजपा के विधायकों को मंत्री बनाने की चर्चा चल रही है। शिंदे के साथ बगावत करके आए सभी विधायकों में उद्धव सरकार में शामिल रहे नौ मंत्री भी शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि इन सभी नौ मंत्रियों को शिंदे सरकार में फिर से मौका मिल सकता है। जबकि भाजपा की ओर से ज्यादा विधायकों को मंत्री बनाए जाने की बात सामने आ रही है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल में किस बागी विधायक को मंत्री बनाया जाए और किस को छोड़ा जाए, इसे लेकर एकनाथ शिंदे के सामने निश्चित तौर पर बड़ी चुनौती होगी ।

इन नामों पर लग सकती है मुहर

महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बागी नेताओं से मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा के सुधीर मुनगंटीवार, राजेंद्र पाटनी, संजय कुटे, आशीष शेलार, संभाजी पाटील निलंगेकर, माधुरी निशाल, जयकुमार रावल, गिरीश महाजन, चंद्रशेखर बवनकुले और रामकृष्ण विखे पाटील का नाम चर्चा में चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि इन नामों के अलावा विजय कुमार गावित किशन कथोरे, सुरेश खड़े, योगेश सागर और रविंद्र चौहान के नाम पर मुहर लग सकती है। सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में बनी एकनाथ शिंदे की सरकार में 40 से ज्यादा मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। राजनैतिक विश्लेषक एम एन कुलकर्णी कहते हैं कि जो भी मंत्रिमंडल बनेगा उसमें न सिर्फ जातिगत समीकरणों को साधते हुए आगे के राजनैतिक विस्तार का रूप दिखेगा, बल्कि महाराष्ट्र में होने वाले निकाय चुनावों की भी पूरी गुणा-गणित शामिल की जाएगी।

बीएमसी चुनावों की इंतजार

एकनाथ शिंदे को सिर्फ मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किए जाने वाले नामों पर ही मंथन करना चुनौतीपूर्ण नहीं होगा, बल्कि मुंबई महानगर क्षेत्र में शिंदे के प्रभाव का असर भी होने वाले नगर निगम चुनावों में देखा जाना है। राजनीतिक विश्लेषक एमएन खांडेकर कहते हैं कि मुंबई महानगर क्षेत्र यानी एमएमआर में राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का अपना एक छात्र राज्य है। अभी महाराष्ट्र के ज्यादातर नगर निगम और अन्य निकायों में शिवसेना का जलवा बरकरार है। अब अगले कुछ महीनों में होने वाले निकाय चुनावों में एकनाथ शिंदे की परीक्षा होनी है। खासतौर से मुंबई महानगर क्षेत्र में जिसमें शिंदे की काफी अरसे से अच्छी पकड़ है, वहां के परिणाम उनकी ताकत को साबित करेंगे। मुंबई महानगर क्षेत्र में सात महानगरपालिकाएं आती हैं। जबकि इसी क्षेत्र में 10 लोकसभा सीटों के साथ 60 विधानसभा सीटें भी शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आगामी बीएमसी चुनावों में यही 10 लोकसभा सीटें और 60 विधानसभा सीटों में आने वाले परिणाम 2024 की राजनीति को भी तय करेंगे। खंडेकर कहते हैं कि बीएमसी के परिणाम से एकनाथ शिंदे का कद भी आंका जाएगा और उसी के साथ राजनैतिक भविष्य की दिशा भी तय हो सकेगी।



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