विस्तार की रणनीति: दिल्ली, पंजाब के बाद इस तरह दूसरे राज्यों में कदम बढ़ा रही ‘आप’, कांग्रेस-भाजपा के बड़े नेताओं को खोज रही पार्टी!


सार

पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली एतिहासिक जीत के बाद से आम आदमी पार्टी ने अब नेशनल प्लान तैयार कर लिया है। आप ने नौ राज्यों में पार्टी को मजबूत करने के लिए अपने पदाधिकारी नियुक्त कर दिए हैं। दिल्ली और पंजाब के बाद अब आप का फोकस छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों पर है, जहां अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं…

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पंजाब फतह के बाद उत्साहित आम आदमी पार्टी ने अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सियासी जमीन को मजबूत करना शुरू कर दिया है। दिल्ली के द्वारका से विधायक विनय मिश्रा को राजस्थान का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। विनय मिश्रा ने काम संभालते ही प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक की सभी कार्यकारिणियों को भंग करने की घोषणा की है। अब नए सिरे से पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी। इसी के साथ पार्टी ने डिजिटल मेंबरशिप अभियान भी शुरू किया है। आप का फोकस अभी उन क्षेत्रों पर है, जहां लोग कांग्रेस-भाजपा दोनों से नाराज हैं। वहां अभी से खास रणनीति के साथ फोकस किया जाएगा।

‘कल’ ही होने वाले हैं चुनाव, अपनाई यह सोच

पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली एतिहासिक जीत के बाद से आम आदमी पार्टी ने अब नेशनल प्लान तैयार कर लिया है। आप ने नौ राज्यों में पार्टी को मजबूत करने के लिए अपने पदाधिकारी नियुक्त कर दिए हैं। दिल्ली और पंजाब के बाद अब आप का फोकस छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों पर है, जहां अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजस्थान में पार्टी का कामकाज देख रहे आप पार्टी के नेताओं का अमर उजाला से कहा कि प्रदेश में ‘कल’ ही चुनाव होने वाले हैं, इस सोच के साथ राजस्थान में आप कार्यकर्ता मैदान में उतरेंगे। पंजाब में पार्टी की जीत के बाद राजस्थान में कार्यकर्ताओं में उत्साह है और नए लोग पार्टी से जुड़ रहे हैं। इसी को देखते हुए तीन महीने का विशेष सदस्यता अभियान शुरू किया जा रहा है। निगरानी के लिए जिला स्तर पर प्रभारी होंगे। राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार की विफलताओं को जनता के बीच ले जाएंगे। सड़क पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा। इस आंदोलन के दौरान लाठी भी खानी पड़ी तो वे पीछे नहीं हटेंगे।

पार्टी सूत्रों ने अमर उजाला से कहा कि पंजाब की सफलता के बाद पार्टी ने राजस्थान को लेकर रणनीति में बदलाव किया है। इसके तहत जिन सीटों पर चुनाव लड़ना है, उन पर पहले से ही उम्मीदवारों की शॉर्ट लिस्टिंग की जाएगी। आप के पास राजस्थान में अब तक स्थानीय दमदार सियासी चेहरा नहीं है। अब पार्टी मल्टी फेस मॉडल पर काम करते हुए जनाधार वाले नेताओं को जोड़ने की तैयारी में है। कांग्रेस और बीजेपी के साफ छवि वाले और जनाधार वाले नाराज नेताओं को आप से जोड़ने की रणनीति पर काम चल रहा है। चुनावी साल से पहले कई नेताओं को आप से जोड़ा जाएगा। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह और नए चुनाव प्रभारी विनय मिश्रा ने हाल ही में जयपुर में हुए पार्टी के सम्मेलन में स्थानीय नेताओं को आगे का टास्क भी सौंप दिया है। कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर जनता की समस्याओं को प्रभावी तरीके से उठाने को कहा गया है।

इस तरह कांग्रेस और भाजपा का खेल बिगाड़ेगी आप

प्रदेश की सियासत को समझने वाले जानकारों का कहना है कि आम आदमी पार्टी के राजस्थान में सक्रिय होने का नुकसान भाजपा और कांग्रेस दोनों को होगा। राजस्थान में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ माहौल है। जबकि भाजपा पार्टी के भीतर की गुटबाजी से गुजर रही है। इसलिए आप भी इसका फायदा उठाने की रणनीति बना रही है। जिन सीटों पर हार-जीत का मार्जिन कम रहता है। वहां आप समीकरण बिगाड़ सकती है।

वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा से अलग विकल्प खोजने वालों की एक बड़ी तादाद है। लेकिन उन्हें अब तक उस स्तर की पार्टी नहीं मिली है, जो उनकी अपेक्षाओं पर खरी उतरे। इस वजह से ऐसे मतदाता या तो नोटा में वोट करते हैं या वोट डालने ही नहीं जाते। दोनों पार्टियों से नाराज इस वोटर्स पर आप की नजर है। फिलहाल विधानसभा चुनाव में करीब डेढ़ साल का वक्त है, तब तक कई सियासी समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे। आम आदमी पार्टी ने राजस्थान में मजबूती से चुनाव लड़ने का फैसला कर कांग्रेस-भाजपा के नेताओं को चौकन्ना जरूर कर दिया है।

कांग्रेस-भाजपा के बड़े चेहरों को जोड़ने की जुगत

राजस्थान में आम आदमी पार्टी को अब तक चुनावों में सफलता नहीं मिली है। 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को एक फीसदी वोट भी नहीं मिले थे। अब पार्टी ने रणनीति बदली दी है। पंजाब जीत के बाद प्रदेश के कई नेता आप से जुड़ना चाह रहे हैं। राज्य में पार्टी भले ही 2013 से सक्रिय भूमिका में है, लेकिन चर्चित चेहरा नहीं होने के कारण पार्टी को जमीनी स्तर पर अपेक्षित सफलता हाथ नहीं लग रही है। पार्टी अब चेहरे का संकट दूर करने के लिए कांग्रेस-भाजपा के जनाधार वाले नेताओं को जोड़ने की जुगत में लगी हुई है।

केजरीवाल के खिलाफ दुष्प्रचार बर्दाश्त नहीं

प्रदेश की राजधानी जयपुर मे रविवार को कार्यकर्ताओं का सम्मेलन हुआ है। इसी सम्मेलन में आप ने चुनावी तैयारियों की शुरुआत की। सम्मेलन में राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कार्यकर्ताओं को अनुशासन में रहने की सीख देते हुए चेतावनी दी कि अब अनुशासनहीन लोगों के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं होगी। पार्टी में कई कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर पार्टी नेताओं के खिलाफ कमेंट करते रहते हैं। उनका कहना है कि हमारे खिलाफ लिख दो तो कोई बात नहीं, लेकिन पार्टी के सर्वोच्च नेता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी लिख देते हैं। अनुशासनहीनता करने वाले ऐसे किसी भी व्यक्ति को आप बर्दाश्त नहीं करेगी। ऐसे किसी साथी की हमें जरूरत नहीं है। पार्टी, संस्था, स्कूल, कॉलेज सहित अनुशासन हर जगह जरूरी होता है, बिना अनुशासन के पार्टी तो क्या परिवार भी नहीं चल सकता।

विस्तार

पंजाब फतह के बाद उत्साहित आम आदमी पार्टी ने अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सियासी जमीन को मजबूत करना शुरू कर दिया है। दिल्ली के द्वारका से विधायक विनय मिश्रा को राजस्थान का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। विनय मिश्रा ने काम संभालते ही प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक की सभी कार्यकारिणियों को भंग करने की घोषणा की है। अब नए सिरे से पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी। इसी के साथ पार्टी ने डिजिटल मेंबरशिप अभियान भी शुरू किया है। आप का फोकस अभी उन क्षेत्रों पर है, जहां लोग कांग्रेस-भाजपा दोनों से नाराज हैं। वहां अभी से खास रणनीति के साथ फोकस किया जाएगा।

‘कल’ ही होने वाले हैं चुनाव, अपनाई यह सोच

पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली एतिहासिक जीत के बाद से आम आदमी पार्टी ने अब नेशनल प्लान तैयार कर लिया है। आप ने नौ राज्यों में पार्टी को मजबूत करने के लिए अपने पदाधिकारी नियुक्त कर दिए हैं। दिल्ली और पंजाब के बाद अब आप का फोकस छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों पर है, जहां अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजस्थान में पार्टी का कामकाज देख रहे आप पार्टी के नेताओं का अमर उजाला से कहा कि प्रदेश में ‘कल’ ही चुनाव होने वाले हैं, इस सोच के साथ राजस्थान में आप कार्यकर्ता मैदान में उतरेंगे। पंजाब में पार्टी की जीत के बाद राजस्थान में कार्यकर्ताओं में उत्साह है और नए लोग पार्टी से जुड़ रहे हैं। इसी को देखते हुए तीन महीने का विशेष सदस्यता अभियान शुरू किया जा रहा है। निगरानी के लिए जिला स्तर पर प्रभारी होंगे। राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार की विफलताओं को जनता के बीच ले जाएंगे। सड़क पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा। इस आंदोलन के दौरान लाठी भी खानी पड़ी तो वे पीछे नहीं हटेंगे।

पार्टी सूत्रों ने अमर उजाला से कहा कि पंजाब की सफलता के बाद पार्टी ने राजस्थान को लेकर रणनीति में बदलाव किया है। इसके तहत जिन सीटों पर चुनाव लड़ना है, उन पर पहले से ही उम्मीदवारों की शॉर्ट लिस्टिंग की जाएगी। आप के पास राजस्थान में अब तक स्थानीय दमदार सियासी चेहरा नहीं है। अब पार्टी मल्टी फेस मॉडल पर काम करते हुए जनाधार वाले नेताओं को जोड़ने की तैयारी में है। कांग्रेस और बीजेपी के साफ छवि वाले और जनाधार वाले नाराज नेताओं को आप से जोड़ने की रणनीति पर काम चल रहा है। चुनावी साल से पहले कई नेताओं को आप से जोड़ा जाएगा। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह और नए चुनाव प्रभारी विनय मिश्रा ने हाल ही में जयपुर में हुए पार्टी के सम्मेलन में स्थानीय नेताओं को आगे का टास्क भी सौंप दिया है। कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर जनता की समस्याओं को प्रभावी तरीके से उठाने को कहा गया है।

इस तरह कांग्रेस और भाजपा का खेल बिगाड़ेगी आप

प्रदेश की सियासत को समझने वाले जानकारों का कहना है कि आम आदमी पार्टी के राजस्थान में सक्रिय होने का नुकसान भाजपा और कांग्रेस दोनों को होगा। राजस्थान में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ माहौल है। जबकि भाजपा पार्टी के भीतर की गुटबाजी से गुजर रही है। इसलिए आप भी इसका फायदा उठाने की रणनीति बना रही है। जिन सीटों पर हार-जीत का मार्जिन कम रहता है। वहां आप समीकरण बिगाड़ सकती है।

वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा से अलग विकल्प खोजने वालों की एक बड़ी तादाद है। लेकिन उन्हें अब तक उस स्तर की पार्टी नहीं मिली है, जो उनकी अपेक्षाओं पर खरी उतरे। इस वजह से ऐसे मतदाता या तो नोटा में वोट करते हैं या वोट डालने ही नहीं जाते। दोनों पार्टियों से नाराज इस वोटर्स पर आप की नजर है। फिलहाल विधानसभा चुनाव में करीब डेढ़ साल का वक्त है, तब तक कई सियासी समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे। आम आदमी पार्टी ने राजस्थान में मजबूती से चुनाव लड़ने का फैसला कर कांग्रेस-भाजपा के नेताओं को चौकन्ना जरूर कर दिया है।

कांग्रेस-भाजपा के बड़े चेहरों को जोड़ने की जुगत

राजस्थान में आम आदमी पार्टी को अब तक चुनावों में सफलता नहीं मिली है। 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को एक फीसदी वोट भी नहीं मिले थे। अब पार्टी ने रणनीति बदली दी है। पंजाब जीत के बाद प्रदेश के कई नेता आप से जुड़ना चाह रहे हैं। राज्य में पार्टी भले ही 2013 से सक्रिय भूमिका में है, लेकिन चर्चित चेहरा नहीं होने के कारण पार्टी को जमीनी स्तर पर अपेक्षित सफलता हाथ नहीं लग रही है। पार्टी अब चेहरे का संकट दूर करने के लिए कांग्रेस-भाजपा के जनाधार वाले नेताओं को जोड़ने की जुगत में लगी हुई है।

केजरीवाल के खिलाफ दुष्प्रचार बर्दाश्त नहीं

प्रदेश की राजधानी जयपुर मे रविवार को कार्यकर्ताओं का सम्मेलन हुआ है। इसी सम्मेलन में आप ने चुनावी तैयारियों की शुरुआत की। सम्मेलन में राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कार्यकर्ताओं को अनुशासन में रहने की सीख देते हुए चेतावनी दी कि अब अनुशासनहीन लोगों के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं होगी। पार्टी में कई कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर पार्टी नेताओं के खिलाफ कमेंट करते रहते हैं। उनका कहना है कि हमारे खिलाफ लिख दो तो कोई बात नहीं, लेकिन पार्टी के सर्वोच्च नेता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी लिख देते हैं। अनुशासनहीनता करने वाले ऐसे किसी भी व्यक्ति को आप बर्दाश्त नहीं करेगी। ऐसे किसी साथी की हमें जरूरत नहीं है। पार्टी, संस्था, स्कूल, कॉलेज सहित अनुशासन हर जगह जरूरी होता है, बिना अनुशासन के पार्टी तो क्या परिवार भी नहीं चल सकता।



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