कोरोना की चौथी लहर को लेकर एक्सपर्ट बोले- वैक्सीन लगवाने के बाद भी नहीं हैं सेफ, जानें क्यों


नई दिल्ली: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के खिलाफ वैक्सीनेशन (Vaccination) सबसे बड़ा हथियार है. वायरस को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए तेजी से वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया जा रहा है. देश की आधे से ज्यादा आबादी को वैक्सीनेशन (Vaccination in India) की कम से कम एक खुराक दी जा चुकी है जबकि वहीं ऐसे लोगों की तादात भी बहुत है जिन्हें वैक्सीन (Corona Vaccine) की दोनों खुराक मिल चुकी है. हालांकि वैक्सीनेशन के बीच में कोविड वैक्सीन को लेकर भी कई तरह की बातें सामने आती रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार देश में कोविड के टीके लेने वालों में से करीब 30 प्रतिशत लोग यह सोचते हैं कि वह वायरस से उतना सुरक्षित नहीं हैं जितना वे सोचते हैं.

कई अध्ययनों में यह पता चला है कि दो खुराक दिए जाने वाली वैक्सीन की सुरक्षा छह से आठ महीने में घटने लगती है. वायरस के खिलाफ वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है जिससे वैक्सीन लेने के बावजूद वायरस के संक्रमण का खतरा बना रहता है.

सभी को बूस्टर शॉट लगवानें का हो प्रावधान
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर देश कोरोना की चौथी लहर (Covid 19 fourth wave) का सामना करता है तो ऐसे में एक बार फिर से वायरस के संक्रमण (Corona Infection) का खतरा पैदा हो सकता है. देश दोबारा डेल्टा की तरह का कोहराम न देखे इसलिए एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि भारत को तीसरी खुराक (India Booster Dose Policy) की स्पष्ट नीति को लागू करना चाहिए जिसमें छह महीनें या इससे पहले अपनी दूसरी खुराक लेने वाले को बूस्टर डोज लगवानें का प्रावधान होना चाहिए, चाहे वह किसी भी उम्र का हो.

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वर्तमान समय में, भारत में केवल स्वास्थ्य सेवा और फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को बूस्टर शॉट्स की अनुमति मिली हुई है. जबकि वहीं दूसरी ओर अमेरिका जैसे देश 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए एक अतिरिक्त चौथी खुराक के साथ आगे बढ़ चुके हैं. वहीं 12 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को उनकी प्राथमिक टीकाकरण पूरा होने के पांच महीने बाद तीसरी खुराक की अनुमति दे दी गई है.

आपको बता दें कि भारत ने जनवरी में स्वास्थ्यकर्मी, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और कॉमरेडिडिटी के साथ 60 से अधिक वर्ष वाले लोगों के लिए प्रिकॉशन डोज शुरू किया था. इसके बाद सरकार ने 14 मार्च को 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों प्रिकॉशन डोज की अनुमति दे दी थी. एक प्रसिद्ध इम्यूनोलॉजिस्ट और एम्स के पूर्व डीन डॉ एन के मेहरा ने कहा कि मौजूदा समय महामारी का ऐसा समय है जब सभी के लिए बूस्टर शॉट की अनुमति दी जानी चाहिए.

डॉ मेहरा ने समझाया ने इसका कारण स्पष्ट करते हुए बताया कि “कोविड -19 के खिलाफ प्रतिरक्षा के दो हथियार हैं: कोविड जैसे वायरल संक्रमण में ह्यूमरल इम्युनिटी एंटीबॉडी बीमारी को रोकने में सक्रिय भूमिका निभाती हैं. हालांकि, एंटीबॉडी टाइट्रेस आमतौर पर छह से आठ महीनों में कम हो जाते हैं, जैसा कि कई अध्ययनों में देखा गया है. इसके पीछे के कारणों में से एक प्लाज्मा कोशिकाओं को बनाने वाले एंटीबॉडी का जीवन कम होना है. हालांकि कोशिका-मध्यस्थ प्रतिरक्षा अभी भी सक्रिय है, बेहतर सुरक्षा के लिए ह्यूमर इम्युनिटी होना महत्वपूर्ण है और इसलिए, बूस्टर खुराक की आवश्यकता है.

इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज के कुलपति डॉ एस के सरीन ने कहा कि यूएस, यूके और इज़राइल में प्रकाशित कई अध्ययनों से पता चला है कि दो खुराक की प्रभावशीलता पांच से छह महीने में कम हो जाती है. उन्होंने कहा हम बूस्टर खुराक पर निर्णय लेने के लिए मामलों के बढ़ने का इंतजार नहीं कर सकते. छह से आठ महीने पहले दूसरी खुराक लेने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए प्रक्रिया अभी शुरू होनी चाहिए. इसके अलावा, हमें बेहतर प्रभावकारिता के लिए टीकों को मिलाने के विचार का पता लगाने की जरूरत है.”

Tags: Booster Dose, Corona vaccination, COVID 19



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