सरकार का दावा: भारत के पास खाद्य तेल का पर्याप्त भंडार, इंडोनेशिया के प्रतिबंध का नहीं पड़ेगा असर


सार

इंडोनेशिया द्वारा पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध के बीच सरकार ने बड़ा आश्वासन दिया है। सरकार ने कहा है कि देश के पास खाद्य तेलों का पर्याप्त भंडार है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि देश में सभी खाद्य तेलों का मौजूदा स्टॉक लगभग 21 लाख मीट्रिक टन है, जबकि मई में 12 एलएमटी खाद्य तेल की उपलब्धता और हो जाएगी।

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इंडोनेशिया द्वारा पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध के बीच सरकार ने बड़ा आश्वासन दिया है। सरकार ने कहा है कि देश के पास खाद्य तेलों का पर्याप्त भंडार है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि देश में सभी खाद्य तेलों का मौजूदा स्टॉक लगभग 21 लाख मीट्रिक टन है, जबकि मई में 12 एलएमटी खाद्य तेल की उपलब्धता और हो जाएगी।इस साल सोयाबीन का भी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले काफी ज्यादा हुआ है और सरसों का उत्पादन इस साल पिछली बार की तुलना में एक-तिहाई से ज्यादा होने के आसार हैं। 

मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग ने फरवरी में तिलहन के उत्पादन को लेकर जो दूसरा एडवांस अनुमान जारी किया था, उससे भारत में सोयाबीन के उत्पादन को लेकर बहुत ही बेहतर तस्वीर देखने को मिली है। अनुमान वर्ष 2021-22 में इसका उत्पादन 126.10 लाख मीट्रिक टन होने की बात कही गई है, जो पिछले साल के 112 एलएमटी उत्पादन से अधिक है। वहीं, पिछले वर्ष की तुलना में राजस्थान सहित सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरसों की बुवाई 37 प्रतिशत अधिक होने से 2021-22 सीजन में सरसों का उत्पादन बढ़कर 114 लाख मीट्रिक टन हो सकता है।

बाहर से आने वाले खाद्य तेल में सोयाबीन का हिस्सा 22% है, जो कि अर्जेंटीना और ब्राजील से मंगवाया जाता है। वहीं सनफ्लावर ऑयल की हिस्सेदारी 15% है और इसका आयात यूक्रेन और रूस से होने की वजह से इस बार इसपर संकट मंडरा रहा है।

मंत्रालय के अनुसार, देश में आयात किए जाने वाले कुल खाद्य तेलों का लगभग 62 प्रतिशत पाम ऑयल आयात किया जाता है। मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया पाम ऑयल के मुख्य निर्यातक देश हैं। वहीं, आयात किए जाने वाले खाद्य तेलों में 22 प्रतिशत सोयाबीन तेल आयात किया जाता है, जो कि अर्जेंटीना और ब्राजील से आयात किया जाता है। वहीं कुल खाद्य तेलों में सूरजमुखी का तेल मुख्य रूप से यूक्रेन और रूस से आयात किया जाता है। कुल खाद्य तेलों में इसकी हिस्सेदारी 15 प्रतिशत है। दोनों देशों की बीच चल रहे युद्ध के कारण इसके निर्यात पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

वर्तमान में, वैश्विक उत्पादन में कमी और निर्यातक देशों द्वारा निर्यात कर या लेवी में वृद्धि के कारण खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ी हैं। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग खाद्य तेलों की कीमतों और उपलब्धता की स्थिति की निगरानी कर रहा है। उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए घरेलू खाद्य तेल की कीमतों में और कमी पर चर्चा करने के लिए प्रमुख खाद्य तेल प्रसंस्करण संघों के साथ नियमित रूप से बैठकें आयोजित की जाती हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जमाखोरी और मुनाफाखोरी को रोकने के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा विशेष टीमों का भी गठन किया गया है।

खाद्य तेलों की कीमतों पर दिन-प्रतिदिन कड़ी नजर रखी जा रही है ताकि खाद्य तेल की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए उचित उपाय किए जा सकें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कीमतें स्थिर रहें और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो।

विस्तार

इंडोनेशिया द्वारा पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध के बीच सरकार ने बड़ा आश्वासन दिया है। सरकार ने कहा है कि देश के पास खाद्य तेलों का पर्याप्त भंडार है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि देश में सभी खाद्य तेलों का मौजूदा स्टॉक लगभग 21 लाख मीट्रिक टन है, जबकि मई में 12 एलएमटी खाद्य तेल की उपलब्धता और हो जाएगी।इस साल सोयाबीन का भी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले काफी ज्यादा हुआ है और सरसों का उत्पादन इस साल पिछली बार की तुलना में एक-तिहाई से ज्यादा होने के आसार हैं। 

मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग ने फरवरी में तिलहन के उत्पादन को लेकर जो दूसरा एडवांस अनुमान जारी किया था, उससे भारत में सोयाबीन के उत्पादन को लेकर बहुत ही बेहतर तस्वीर देखने को मिली है। अनुमान वर्ष 2021-22 में इसका उत्पादन 126.10 लाख मीट्रिक टन होने की बात कही गई है, जो पिछले साल के 112 एलएमटी उत्पादन से अधिक है। वहीं, पिछले वर्ष की तुलना में राजस्थान सहित सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरसों की बुवाई 37 प्रतिशत अधिक होने से 2021-22 सीजन में सरसों का उत्पादन बढ़कर 114 लाख मीट्रिक टन हो सकता है।

बाहर से आने वाले खाद्य तेल में सोयाबीन का हिस्सा 22% है, जो कि अर्जेंटीना और ब्राजील से मंगवाया जाता है। वहीं सनफ्लावर ऑयल की हिस्सेदारी 15% है और इसका आयात यूक्रेन और रूस से होने की वजह से इस बार इसपर संकट मंडरा रहा है।

मंत्रालय के अनुसार, देश में आयात किए जाने वाले कुल खाद्य तेलों का लगभग 62 प्रतिशत पाम ऑयल आयात किया जाता है। मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया पाम ऑयल के मुख्य निर्यातक देश हैं। वहीं, आयात किए जाने वाले खाद्य तेलों में 22 प्रतिशत सोयाबीन तेल आयात किया जाता है, जो कि अर्जेंटीना और ब्राजील से आयात किया जाता है। वहीं कुल खाद्य तेलों में सूरजमुखी का तेल मुख्य रूप से यूक्रेन और रूस से आयात किया जाता है। कुल खाद्य तेलों में इसकी हिस्सेदारी 15 प्रतिशत है। दोनों देशों की बीच चल रहे युद्ध के कारण इसके निर्यात पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

वर्तमान में, वैश्विक उत्पादन में कमी और निर्यातक देशों द्वारा निर्यात कर या लेवी में वृद्धि के कारण खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ी हैं। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग खाद्य तेलों की कीमतों और उपलब्धता की स्थिति की निगरानी कर रहा है। उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए घरेलू खाद्य तेल की कीमतों में और कमी पर चर्चा करने के लिए प्रमुख खाद्य तेल प्रसंस्करण संघों के साथ नियमित रूप से बैठकें आयोजित की जाती हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जमाखोरी और मुनाफाखोरी को रोकने के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा विशेष टीमों का भी गठन किया गया है।

खाद्य तेलों की कीमतों पर दिन-प्रतिदिन कड़ी नजर रखी जा रही है ताकि खाद्य तेल की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए उचित उपाय किए जा सकें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कीमतें स्थिर रहें और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो।



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