Gujarat: ओवैसी ने भाजपा पर साधा निशाना, कहा- गुजरात चुनाव में वोट के लिए समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठा रही


वडगाम में एक चुनावी रैली को संबोधित करते असदुद्दीन ओवैसी।
वडगाम में एक चुनावी रैली को संबोधित करते असदुद्दीन ओवैसी।
– फोटो : [email protected]

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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गुजरात विधानसभा चुनाव में वोट हासिल करने और अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठा रही है। हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने यह भी पूछा कि हिंदू अविभाजित परिवार के लिए मुसलमानों और ईसाइयों को आयकर लाभ से “बहिष्कृत” किया गया, क्या यह समानता के सिद्धांत के खिलाफ नहीं था?

यूसीसी लागू करने के लिए समिति गठन के प्रस्ताव को मिली मंजूरी
दरअसल, गुजरात में भाजपा सरकार ने शनिवार को दिन में घोषणा की कि वह राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए सभी पहलुओं का मूल्यांकन करने के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक समिति का गठन कर रही है। राज्य मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक के दौरान समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसे मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली कैबिनेट की आखिरी बैठक माना जा रहा है, क्योंकि राज्य चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा अगले सप्ताह होने की उम्मीद है।

ओवैसी ने भाजपा पर वोट पाने के लिए ऐसे मुद्दों को उठाने का लगाया आरोप
बनासकांठा जिले के वडगाम में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि यूसीसी को लागू करना केंद्र का अधिकार क्षेत्र है, न कि राज्यों का। उन्होंने कहा कि ‘‘क्या यह सच नहीं है कि बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि समान नागरिक संहिता स्वैच्छिक होनी चाहिए और अनिवार्य नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा केवल अपने हिंदुत्व के एजेंडे के साथ आगे बढ़ना चाहती है और वोट पाने के लिए चुनाव से पहले इस तरह के मुद्दों को उठाने की उसकी आदत है।

ओवैसी ने कहा कि एक विधि आयोग ने 2018 में कहा था कि यूसीसी न तो जरूरी है और न ही वांछनीय। उन्होंने पूछा कि “एक मुसलमान के लिए शादी एक अनुबंध है, एक हिंदू के लिए यह हमेशा के लिए एक दूसरे के साथ जिंदगी है, एक ईसाई के लिए यह ‘मैं करता हूं’। यह भारत का बहुलवाद है जिसे अनुच्छेद 25, 26, 14, 19 और 20 के माध्यम से संभव बनाया गया है। क्या कोई यूसीसी अधिनियमित करके अनुच्छेद 29 (जो अल्पसंख्यक समूहों के हितों की रक्षा करता है) के खिलाफ कानून बना सकता है?” 

उन्होंने कहा कि “मैं प्रधानमंत्री मोदी से पूछना चाहता हूं कि हिंदू अविभाजित परिवार के तहत मुसलमानों और ईसाइयों को आयकर छूट के लाभ से बाहर क्यों रखा गया है? क्या यह समानता के अधिकार के खिलाफ नहीं है?” 

विस्तार

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गुजरात विधानसभा चुनाव में वोट हासिल करने और अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठा रही है। हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने यह भी पूछा कि हिंदू अविभाजित परिवार के लिए मुसलमानों और ईसाइयों को आयकर लाभ से “बहिष्कृत” किया गया, क्या यह समानता के सिद्धांत के खिलाफ नहीं था?

यूसीसी लागू करने के लिए समिति गठन के प्रस्ताव को मिली मंजूरी

दरअसल, गुजरात में भाजपा सरकार ने शनिवार को दिन में घोषणा की कि वह राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए सभी पहलुओं का मूल्यांकन करने के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक समिति का गठन कर रही है। राज्य मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक के दौरान समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसे मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली कैबिनेट की आखिरी बैठक माना जा रहा है, क्योंकि राज्य चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा अगले सप्ताह होने की उम्मीद है।

ओवैसी ने भाजपा पर वोट पाने के लिए ऐसे मुद्दों को उठाने का लगाया आरोप

बनासकांठा जिले के वडगाम में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि यूसीसी को लागू करना केंद्र का अधिकार क्षेत्र है, न कि राज्यों का। उन्होंने कहा कि ‘‘क्या यह सच नहीं है कि बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि समान नागरिक संहिता स्वैच्छिक होनी चाहिए और अनिवार्य नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा केवल अपने हिंदुत्व के एजेंडे के साथ आगे बढ़ना चाहती है और वोट पाने के लिए चुनाव से पहले इस तरह के मुद्दों को उठाने की उसकी आदत है।


ओवैसी ने कहा कि एक विधि आयोग ने 2018 में कहा था कि यूसीसी न तो जरूरी है और न ही वांछनीय। उन्होंने पूछा कि “एक मुसलमान के लिए शादी एक अनुबंध है, एक हिंदू के लिए यह हमेशा के लिए एक दूसरे के साथ जिंदगी है, एक ईसाई के लिए यह ‘मैं करता हूं’। यह भारत का बहुलवाद है जिसे अनुच्छेद 25, 26, 14, 19 और 20 के माध्यम से संभव बनाया गया है। क्या कोई यूसीसी अधिनियमित करके अनुच्छेद 29 (जो अल्पसंख्यक समूहों के हितों की रक्षा करता है) के खिलाफ कानून बना सकता है?” 

उन्होंने कहा कि “मैं प्रधानमंत्री मोदी से पूछना चाहता हूं कि हिंदू अविभाजित परिवार के तहत मुसलमानों और ईसाइयों को आयकर छूट के लाभ से बाहर क्यों रखा गया है? क्या यह समानता के अधिकार के खिलाफ नहीं है?” 





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