ITR : प्रॉपर्टी की सेल पर कैपिटल गेन की गणना कैसे करें, कैसे बचा सकते हैं इस पर टैक्स?


हाइलाइट्स

कैपिटल गेन 2 तरह के होते हैं.
पहला शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और दूसरा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन.
प्रॉपर्टी सेल पर कैपिटल गेन की गणना करते समय इन दोनों बातों का ध्यान रखना होता है.

नई दिल्ली. समीक्षाधीन वर्ष 2022-23 के लिए आईटीआर भरने की अंतिम तिथि बस अब 3 तीन दूर है. ऐसे में वेतनभोगी लोगों को जल्द-से-जल्द आईटीआर भरने का काम निपटा लेना चाहिए. आईटीआर भरते समय आपको अपनी सभी आय की जानकारी देनी होती है. आमतौर पर विभिन्न स्रोतों से मिली आय के बारे में करदाता को अच्छे से पता होता है लेकिन प्रॉपर्टी सेल के संबंध में वे यह नहीं समझ पाते कि उन्हें कैपिटल गेन की गणना कैसे करनी है.

आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं. आप बहुत आसानी प्रॉपर्टी बेचने पर हुए लाभ की गणना कर वह जानकारी आईटीआर में भर सकते हैं. आपको बता दें कि प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन 2 तरह के होते हैं जिन पर हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे क्योंकि इसका सीधा संबंध आप पर लगने वाले टैक्स से है.

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शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म
प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन 2 तरह के होते हैं. शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म. खरीद के 2 साल के अंदर प्रॉपर्टी बेचने पर प्राप्त होने वाली रकम शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के अंतर्गत आती है. वहीं, अगर प्रॉपर्टी अधिग्रहण के 2 साल बाद बेची जाए तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहते हैं.

कैसे लगता है टैक्स
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में आपको 20 फीसदी का कैपिटल गेन टैक्स देना होता है. जबकि शॉर्ट टर्म गेन आपकी टोटल इनकम में गिना जाता है. यानी आपकी इनकम जिस टैक्स स्लैब में उसी के अनुसार अप कैपिटल गेन टैक्स लगाया जाएगा.

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कैसे करें गणना
टैक्स सेवा प्रदाता क्लियर के सीईओ और संस्थापक अर्चित गुप्ता बताते हैं कि दोनों सूरतों में टैक्स की गणना अलग-अलग होगी.

  • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन. अंतिम बिक्री कीमत- (अधिग्रहण की कीमत+ मकान को बेहतर बनाने में खर्च की गई रकम+सेल पूरी करने में लगी रकम.
  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन. अंतिम बिक्री कीमत- (अधिग्रहण की इंडेक्स्ड कीमत+मकान को बेहतर करने में इंडेक्स्ड खर्च+सेल पूरी करने में लगी रकम

क्या होती है इंडेक्स कीमत
हर साल कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स जारी किया जाता है. इसे आयकर विभाग जारी करता है. इसका इस्तेमाल ऐसी प्रॉपर्टी की कॉस्ट ऑफ एक्वीजिशन कैलकुलेट करने में किया जाता है जिससे कई साल पहले खरीदा गया हो. इसका फॉर्मुला यह है- इंडेक्स कॉस्ट ऑफ एक्वीजिशन= अधिग्रहण की कीमत*सीआईआई (जिस साल में मकान बेचा गया)/सीआईआई (जिस साल में मकान खरीदा गया).

कैसे बचा सकते हैं टैक्स
आप पुरानी प्रॉपर्टी बेचने के बाद अगर वह पैसा नई प्रॉपर्टी खरीदने में लगाते हैं तो आपको टैक्स नहीं देना होगा. इसके अलावा एनएचएआई और आरईसीएल के तीन साल के बॉन्ड में निवेश कर आप टैक्स बचा सकते हैं. हालांकि, यह छूट केवल 50 लाख रुपये तक की होगी. साथ ही लोन रीपेमेंट और कंस्ट्रक्शन की लागत पर भी छूट प्राप्त कर सकते हैं.

Tags: Income tax, ITR

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