नई दिल्ली. बजट पेश करने से पहले एक और अहम परंपरा बदल गई. इस परंपरा की शुरुआत 1991 से हुई थी. आर्थिक सर्वे (Economic Survey) 2021-22 को सरकार ने इस बार बिल्कुल अलग तरीके से पेश किया. पिछले साल तक आर्थिक सर्वे को दो खंडों (Volume) में पेश किया जाता था लेकिन इस बार सिर्फ एक खंड यानी एक वॉल्यूम में पेश किया. आर्थिक सर्वे के पन्नों की संख्या भी घटाकर आधी कर दी गई. पिछले साल आर्थिक सर्वे जहां करीब 900 पन्नों में पेश हुआ था, वहीं इस बार सिर्फ 413 पेज का पेश किया गया है
कुलमिलाकर आर्थिक सर्वे ने दो खंड के उस पारंपरिक फॉर्मेट को ‘बाय-बाय’ कह दिया है, जिसे पहली बार 1991-92 में शुरू किया गया था. इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा गया है, “दो खंड के फॉर्मेट ने नए विचारों और विषयों के लिए जगह प्रदान की, लेकिन इससे इसका साइज निरतंर विशाल होता गया. ऐसे में इस साल से नया फॉर्मेट अपनाया गया है.”
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया, “अगर आर्थिक सर्वे के इतिहास को देखें तो पहली बार यह 1950-51 में जारी किया गया था. उस समय यह बजट का ही हिस्सा होता था और इसकी साइज 50 पन्नों से भी कम था. 1957-58 में तो सिर्फ 38 पन्नों का आर्थिक सर्वे रिपोर्ट जारी हुआ था. हालांकि आगे चलकर आर्थिक गतिविधियों और उससे जुड़े विभिन्न तालिकाओं को शामिल करने से इसका साइज बढ़ता गया.”
रिपोर्ट में बताया गया, “1962-63 की आर्थिक समीक्षा को दो भागों में बांटा गया था. पहला भाग विस्तृत आर्थिक विकास पर केंद्रित था, जबकि दूसरे भाग में विभिन्न क्षेत्रों का आधारभूत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया. इसी के अलगे साल से इस सर्वे रिपोर्ट को बजट से अलग कर दिया गया और इसे बजट के एक दिन पूर्व एक अलग डॉक्यूमेंट के रूप में पेश किया जाने लगा. 1990 तक आते-आते आर्थिक सर्वे करीब 250 पन्नों के पास पहुंच गया.”
सर्वे रिपोर्ट में बताया, “साल 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था बड़े संकट से गुजरी थी. आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में भी एक के एक बाद कई सुधार किए गए. सुधारों के बाद साल 1991-92 की आर्थिक सर्वे रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार था. यही पहला सर्वे रिपोर्ट था, जिसमें इसे दो खंडों में पेश किया गया था. इसमें पहला खण्ड 27 पन्नों की छोटी पुस्तिका थी, जिसमें देश के सामने आ रही व्यापक आर्थिक समस्याओं पर प्रकाश डाला गया था. वहीं दूसरे खंड में विभिन्न क्षेत्रों की विस्तारपूर्वक समीक्षा की गई थी.”
रिपोर्ट में आगे कहा गया, “2000 की शुरुआत के दौरान सर्वे 380 पेज का हो गया. वर्ष 2007-08 और 2008-09 में ग्लोबल आर्थिक संकट के दौरान इसमें एक अध्याय जोड़ा गया, जिसमें अर्थव्यवस्था की व्यापक चुनौती और संभावनाओं को बताया गया था. इसके बाद हर साल इसमें अधिक विषयों पर अध्याय जुड़ते गए. साल 2011-12 में यह दस्तावेज 485 पृष्ठों का था जिसमें तेरह अध्याय और एक सांख्यिकीय परिशिष्ट था.”
रिपोर्ट में बताया गया, “2013-14 में, सांख्यिकीय परिशिष्ट को अलग कर दिया गया और इसे दोनों खंडों के अलावा अतिरिक्त रूप से जारी किया जाने लगा. अगले साल फिर इस सर्वे को दो खंडो में पेश किया गया. पहले खण्ड में विषयगत नीतिगत मामलों का समाधान करते हुए कई अध्याय थे. वहीं दूसरे खंड में सांख्यिकीय परिशिष्ट के साथ-साथ परंपरागत आर्थिक समीक्षा थी. इसी फार्मेट को पिछले साल तक जारी रखा गया जिससे दस्तावेज का आकार लगातार बढ़ता गया. वर्ष 2020-21 के आर्थिक सर्वे में पहले खण्ड में 335 पन्ने, दूसरे खंड में 368 पन्ने और सांख्यिकीय परिशिष्ट में 174 पन्ने थे, जिससे आर्थिक सर्वे का कुल साइज आश्चर्यजनक रूप से कुल 877 पन्नों का हो गया.”
इस साल से सरकार ने दोनों को मिलाकर एक वॉल्यूम में पेश किया गया गया है, जबकि सांख्यिकीय परिशिष्ट को अलग हिस्से के तौर पर जारी किया गया है.
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