न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Fri, 11 Feb 2022 04:20 PM IST
सार
रेलवे सुरक्षा आयोग की ओर से पूर्वोत्तर फ्रंटियर रेलवे को लिखी चिट्ठी में रेल नेटवर्क की फर्जी जांच किए जाने के मुद्दे पर भी चेतावनी दी गई है।
गुवाहाटी-बीकानेर एक्सप्रेस 13 जनवरी को हादसे का शिकार हो गई थी।।
– फोटो : ANI
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विस्तार
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में पिछले महीने हुए ट्रेन हादसे में रेलवे अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। दरअसल, 13 जनवरी को बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस घटना में करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हुई थी। वहीं, कई और घायल भी हुए थे। अब लगभग एक महीने बाद उस हादसे की जांच रिपोर्ट सामने आई है। इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस हादसे का शिकार होने से पहले करीब 18 हजार किलोमीटर का सफर ठीक तरह से जांच हुए बिना ही पूरा कर चुकी थी, जबकि आमतौर पर रेलवे की जिम्मेदारी होती है कि वह हर 4500 किमी पर ट्रेन डिब्बों की जांच करे।
रेलवे सुरक्षा आयोग की ओर से पूर्वोत्तर फ्रंटियर रेलवे को लिखी चिट्ठी में रेल नेटवर्क की फर्जी जांच किए जाने के मुद्दे पर भी चेतावनी दी गई है। इसमें कहा गया है कि ट्रेन के इंजन की सुरक्षा जांच आखिरी बार छह दिसंबर 2021 को हुई थी। इसके बाद हादसा होने तक ट्रेन बिना जांच के 18 हजार किमी दौड़ चुकी थी।
चिट्ठी में कहा गया है कि जैसा कि जांच के नियम हैं, WAP4 वर्ग के ट्रेन इंजनों की हर 4500 किमी पर जांच सुनिश्चित की जानी चाहिए, लेकिन बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के इंजन के साथ ऐसा नहीं किया गया। गौरतलब है कि ट्रेन की सुरक्षा के लिहाज से ट्रेन के इंजन की जांच काफी अहम है। इसमें रेलवे के ट्रेन्ड अधिकारी इंजन के अंडरगियर से लेकर सभी सुरक्षा बारीकियों को परखते हैं, ताकि ट्रेन का सही से संचालन सुनिश्चित किया जा सके।