स्वप्ना सुरेश: सोने की तस्करी मामले में आरोपी को संघ से जुड़े एनजीओ में नौकरी मिलने का दावा, विवाद उठा तो बोलीं- मुझे जीनें दें


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तिरुवनंतपुरम
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Sun, 20 Feb 2022 08:14 PM IST

सार

सुरेश ने तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से कहा कि उन्हें परेशान करने के लिए की जा रही कोशिशों को देखकर उनको बहुत निराशा हुई है।

स्वप्ना सुरेश।

स्वप्ना सुरेश।
– फोटो : Social Media

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विस्तार

सोना तस्करी मामले की आरोपी स्वप्ना सुरेश को कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आएसएस) से जुड़े एक एनजीओ में नौकरी मिलने पर विवाद खड़ा हो गया है। इसके बाद रविवार को उन्होंने विरोधियों से अपील की कि वे उन्हें जीने दें और नई नौकरी पर विवाद पैदा कर उन्हें परेशान न करें।

सुरेश ने तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से कहा कि उन्हें परेशान करने के लिए की जा रही कोशिशों को देखकर उनको बहुत निराशा हुई है। उन्होंने दावा किया कि शुरू में उनको परेशान करने के लिए एक किताब जारी की गई और अब उनकी नौकरी को लेकर विवाद पैदा किया जा रहा है।

सुरेश की प्रतिक्रिया केरल राज्य अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति आयोग की ओर से गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) हाईरेंज रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी (एचआरडीएस) के खिलाफ मिली शिकायतों के मद्देनजर कार्रवाई शुरू करने के बीच आई है। आरोप लगाया गया है कि संगठन ने अट्टापडी और अन्य जगहों पर आदिवासियों के लिए आवासीय इकाइयों के निर्माण में अनियमितताएं कीं।

सुरेश ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें एक साक्षात्कार के बाद एनजीओ में निदेशक, महिला सशक्तिकरण और सीएसआर के रूप में नियुक्त किया गया, न कि इसलिए कि उनका आरएसएस या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कोई जुड़ाव था। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जीने दें। मुझे अपने बच्चों की परवरिश करने दें और अपनी मां की देखभाल करने दें। अनावश्यक विवाद पैदा कर मुझे परेशान ना करें। मेरा किसी को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है, इसलिए कृपया मुझे अकेला छोड़ दें।’’

क्या है सोने की तस्करी से जुड़ा मामला, जिसमें आरोपी हैं स्वप्ना सुरेश?

सोने की तस्करी का मामला पांच जुलाई 2020 को सीमा शुल्क आयुक्तालय, कोच्चि द्वारा त्रिवेंद्रम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के एयर कार्गो पर एक राजनयिक सामान से 30 किलोग्राम सोने की जब्ती से जुड़ा है। इस मामले में स्वप्ना सुरेश मुख्य आरोपी बनाई गई थीं। कुछ समय पहले ही सुरेश ने एम शिवशंकर की एक किताब में उनके नाम का जिक्र करने के लिए आलोचना की थी और दावा किया कि वह पहले से ही प्रताड़ना झेल रही हैं। शिवशंकर मुख्यमंत्री के पूर्व प्रमुख सचिव हैं। 



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