नई दिल्ली. कार को लग्जरी उत्पाद माना जाता है और अमूमन इसके लोन पर टैक्स छूट (Tax Exemption) नहीं मिलती. लेकिन, अगर आप प्रोफेशनल हैं या कार का इस्तेमाल अपने कारोबार के लिए करते हैं तो रिटर्न भरते समय टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. नौकरीपेशा को इस पर टैक्स छूट नहीं मिलती है.
क्लियर के फाउंडर एवं सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि अगर आप कार लोन (Car Loan) पर टैक्स छूट का दावा करना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि इसका इस्तेमाल कारोबारी काम में ही किया जाए. मसलन, आप इसे किराये पर चलाते हैं. ट्रेवल एजेंसी में इस्तेमाल करते हैं या कारोबार के काम से खुद चलाते हैं. अगर प्रोफेशनल हैं तो भी आप कार लोन पर सालाना दिए जाने वाले ब्याज के बराबर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. इसके लिए दिए गए ब्याज की रकम को रिटर्न भरते समय कारोबार की लागत के तौर पर दिखाना होगा.
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तेल और रखरखाव पर भी छूट
कार लोन के ब्याज पर ही नहीं, बल्कि सालाना इस्तेमाल किए गए ईंधन और कार के रखरखाव पर हुए खर्च को भी आयकर छूट में शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा, कार के खरीद मूल्य में सालाना आने वाली कमी यानी डेप्रिसिएशन कॉस्ट पर भी रियायत ले सकते हैं. हालांकि, ईंधन पर हुए खर्च की निश्चित रकम पर ही टैक्स छूट मिलती है और डेप्रिसिएशन कॉस्ट भी कार के मूल्य का 15-20% तक सालाना होता है.
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ऐसे समझें कैलकुलेशन
मान लीजिए, अगर आपकी सालाना आय 10 लाख रुपये है और कार लोन के लिए बैंक को सालाना 70 हजार रुपये का ब्याज देते हैं तो आयकर की गणना 9.30 लाख रुपये पर की जाएगी. इसमें ईंधन और डेप्रिसिएशन कॉस्ट शामिल नहीं होगी.
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इन बातों का रखें ख्याल
-अगर कार का इस्तेमाल कारोबारी उद्देश्य में नहीं होता है तो आयकर अधिकारी क्लेम खारिज कर सकता है.
-क्लेम के लिए बैंक से ब्याज प्रमाण पत्र जरूर लें. आयकर विभाग इसे सत्यापन के तौर पर मांग सकता है.
-कार संबंधित कारोबार या उसके मालिक के नाम पर ही पंजीकृत होनी चाहिए.
क्लेम में बरतें सावधानी
टैक्स एवं निवेश सलाहकार बलवंत जैन का कहना है कि टैक्सपेयर्स को इस बात का ध्यान रखना होगा कि क्लेम के समय आयकर अधिकारी कार के कारोबार में इस्तेमाल होने का प्रमाण मांग सकते हैं. अगर किसी ने झूठा दावा पेश किया है तो न सिर्फ क्लेम खारिज होगा बल्कि आयकर विभाग कार्रवाई भी कर सकता है. बेहतर होगा कि रिटर्न भरते समय करदाता सभी जरूरी दस्तावेजों का उल्लेख जरूर करें.
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