आयात मूल्य के केवल 25 फीसदी हिस्से में कच्चे तेल का उत्पादन कर सकता है भारत, अनिल अग्रवाल ने बताया इसका तरीका


हाइलाइट्स

भारत आयात मूल्य के एक चौथाई हिस्से में तेल का उत्पादन कर सकता है.
वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने निजी उद्योगों की इस क्षेत्र में प्रवेश की सिफारिश की है.
अग्रवाल ने कहा कि भारत में मेटल्स और मिनरल्स का बड़ा भंडार है.

नई दिल्ली. सरकार अगर एक्सप्लोरेशन और उत्पादन में निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी की अनुमति देती है तो भारत आयात मूल्य के एक चौथाई पर कच्चे तेल का उत्पादन कर सकता है. वेदांता लिमिटेड (Vedantaa Ltd) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने 18 जुलाई को एक बयान में यह बात कही. अनिल अग्रवाल देश के प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए इस फील्ड में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की पैरवी करते रहे हैं.

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब डॉलर के मुकाबले रुपया 79.98 के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. इसका मुख्य कारण कच्चे तेल और कोयले के आयात में आई तेजी है. वेदांता लिमिटेड मुख्य रूप से मेटल और एनर्जी क्षेत्र में काम करती है.  बता दें कि अनिल अग्रवाल 2003 में भारत से इंग्लैंड चले गए थे. वेदांता पहली भारतीय कंपनी थी जो लंदन स्टॉक एक्सचेंज (एलएसई) पर लिस्ट हुई थी.

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नौकरियों और रेवेन्यू में होगा इजाफा
अनिल अग्रवाल ने कहा है कि भारत आयात मूल्य के एक चौथाई पर तेल का उत्पादन कर सकता है. उन्होंने कहा कि केयर्न इसी भाव यानी 26 डॉलर प्रति बैरल पर तेल दे रही है. बकौल अग्रवाल, “हमारी इकोनॉमिक ग्रोथ में पारपंरिक उद्योगों और स्टार्टअप्स का बड़ा हाथ है. अगर स्टार्टअप्स और नए उद्यमियों को बढ़ावा मिले और बगैर किसी बाधा के उन्हें काम करने दिया जाए तो बड़ी संख्या में नौकरियों के मौके बनेंगे और सरकार का रेवेन्यू भी बढ़ेगा. ” उन्होंने कहा कि नए उद्यमियों को एक्सप्लोरेशन के लिए बढ़ावा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे प्राइवेट इक्विटी से प्राप्त फंड की मदद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन और डेटा एनालिटिक्स जैसी नई तकनीकों को इस्तेमाल कर तेल खोज सकते हैं.

मेटल्स और मिनरल्स का बड़ा भंडार
अनिल अग्रवाल का कहना है कि भारत को अपनी मेटल्स और हाइड्रोकार्बंस की एक्स्प्लोरेशन और प्रोडक्शन पॉलिसी में बदलाव करना होगा. उन्होंने कहा कि भारत में मेटल्स का बहुत बड़ा भंडार है लेकिन हर साल देश इनके आयात पर काफी पैसा खर्च करता है. बकौल अग्रवाल, आने वाले समय में इन मेटल्स का काफी बड़ा रोल है क्योंकि नई टेक्नोलॉजी तैयार करने में इनका इस्तेमाल होना है.

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