महंगाई की मार: रूस-यूक्रेन युद्ध ही नहीं चीजें महंगी होने के और भी हैं कारण, जानें इसका क्या होगा असर?


सार

मार्च में खुदरा महंगाई की दर 6.95 फीसदी थी। जो अप्रैल महीने में 7.79 फीसदी पहुंच गई। शहरों के मुकाबले गांवों में महंगाई दर ज्यादा है। 2019-20 से लगातार महंगाई की दर चार फीसदी से ऊपर बनी हुई है।

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अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई की दर 7.8 फीसदी रही। यानी, पिछले साल अप्रैल के मुकाबले इस साल भारतीय उपभोक्ताओं को रोजमर्रा की चीजें आठ फीसदी ज्यादा दाम पर मिलीं। खुदरा महंगाई की ये दर बीते आठ साल में सबसे ज्यादा है। 

इतना ही नहीं रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित लक्ष्य से भी ये करीब दो गुना है। दरअसल अक्टूबर 2016 से रिजर्व बैंक को खुदरा महंगाई की दर चार फीसदी के स्तर पर रखने का नियम है। हालांकि, इसमें दो फीसदी की छूट है यानी ये दो फीसदी से छह फीसदी तक रह सकती है।  

क्या देश में बढ़ती महंगाई की वजह यूक्रेन-रूस संकट है?
यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से बढ़ी कच्चे तेल की कीमतों ने इस महंगाई के इजाफे में बड़ा योगदान दिया है। कीमतें बढ़ने की आशंका पहले से ही थी। हालांकि, अकेले युद्ध की वजह से ही ऐसा नहीं हुआ है। अक्तूबर 2019 के बाद खुदरा महंगाई केवल एक बार चार फीसदी के स्तर को छुआ है। बाकी हर महीने में ये न सिर्फ चार फीसदी से ज्यादा रही बल्कि ज्यादातर समय ये छह फीसदी के ऊपर भी गई।  

पिछले सात महीने से लगातार महंगाई दर बढ़ रही है। भारत में साल की शुरुआत से ही महंगाई दर छह फीसदी से ऊपर थी। यानी, जब रूस-यूक्रेन संकट शुरू हुआ उससे एक महीने पहले भी खुदरा महंगाई की दर तय सीमा से ज्यादा थी। ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि आने वाले महीनों में इसमें राहत मिलने की संभावना बहुत कम है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये दर छह फीसदी से ऊपर बनी रहेगी।  

रूस-यूक्रेन युद्ध से इतर बढ़ती महंगाई की और कौन सी वजहें हैं? 
2019-20 से लगातार महंगाई की दर चार फीसदी से ऊपर बनी हुई है। दरअसल, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का उपयोग करके मुद्रास्फीति की गणना की जाती है। इस सूचकांक में अलग-अलग भार के साथ अलग-अलग श्रेणियां हैं। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, उत्पादन लागत के अलावा कई अन्य चीजें होती हैं, जिसकी भूमिका खुदरा महंगाई की दर तय करने में अहम होती है।   

उदाहरण के लिए 2019-20 में जब महंगाई की दर 4.8 फीसदी थी। उस वक्त इसका बड़ा कारण खाद्य पदार्थ की कीमतों में आया छह फीसदी का उछाल था। इसी तरह 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना महामारी के कारण बड़ा धक्का लगा। उस वक्त भी खाद्य पदार्थों की कीमतों में 7.3 फीसदी का इजाफा हुआ। उस वक्त भी महंगाई दर 5.5 फीसदी थी। 

मार्च के मुकाबले महंगाई दर में कितना इजाफा हुआ है?
मार्च में खुदरा महंगाई की दर 6.95 फीसदी थी। जो अप्रैल महीने में 7.79 फीसदी पहुंच गई। शहरों के मुकाबले गांवों में महंगाई दर ज्यादा है। शहरों में अप्रैल में जहां महंगाई दर 7.09 फीसदी थी वहीं, गांवों में खुदरा महंगाई की दर 8.38 फीसदी रही। मार्च में भी शहरों को मुकाबले गांवों में महंगाई ज्यादा थी। मार्च महीने में शहरों में खुदरा महंगाई की दर जहां 6.12 फीसदी थी। वहीं, गांवों में खुदरा महंगाई की दर 7.66 फीसदी रही। एक साल पहले की बात करें तो महंगाई दर 4.23 फीसदी थी। सालभर पहले गांवों के मुकाबले शहरों में महंगाई ज्यादा थी। अप्रैल 2021 में शहरों में खुदरा महंगाई की दर 4.71 फीसदी थी वहीं, गांवों में ये दर 3.75 फीसदी थी।  

 

 कौन सी चीजें सबसे ज्यादा महंगी हुई हैं?
खाने पीने की चीजों की बात करें तो तेल, सब्जी और मसाले सबसे ज्यादा महंगे हुए हैं। तेल के दामों में सबसे ज्यादा 17.28 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं, सब्जियां पिछले साल के मुकाबले 15.41 फीसदी महंगी हो गई हैं। मसालों की कीमतें भी 10.56 फीसदी बढ़ी हैं। 

कपड़े और जूते पहनना भी हुआ महंगा
खाने पीने की चीजों से इतर सबसे ज्यादा महंगे जूते-चप्पल हुए हैं। इनके दामों में 12.12 फीसदी का इजाफा हुआ है। कपड़े भी 9.51 फीसदी महंगे हो गए हैं। परिवहन और संचार 10.91 फीसदी तो ईधन और बिजली के दामों में 10.80 फीसदी का इजाफा हुआ है। 

इन चीजों पर महंगाई की मार सबसे ज्यादा

खाद्य तेल

17.28%

सब्जी

15.41%

जूता-चप्पल

12.12%

परिवहन और संचार

10.91%

ईंधन और बिजली

10.80%

मसाले

10.56%

सोर्स: mospi

क्या अलग-अलग राज्य के लोगों पर महंगाई का असर अलग है?

जी, हां। महंगाई की सबसे ज्यादा मार पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के लोगों पर पड़ी है। पश्चिम बंगाल में महंगाई दर में सबसे ज्यादा 9.12 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं, मध्य प्रदेश में  9.10 फीसदी का इजाफा हुआ है। हरियाणा में एक साल में महंगाई 8.95 फीसदी बढ़ी है। महाराष्ट्र में महंगाई दर 8.78 फीसदी हो गई है। इसके अलावा असम, गुजरात, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर में भी महंगाई दर आठ फीसदी से ज्यादा रही।

इन राज्यों में सबसे ज्यादा महंगाई

पश्चिम बंगाल

9.12%

मध्य प्रदेश

9.10%

हरियाणा

8.95%

महाराष्ट्र

8.78% 

असम

8.54%

उत्तर प्रदेश

8.46%

गुजरात

8.20%

राजस्थान

8.12%

सोर्स: mospi  

इस बढ़ती महंगाई का क्या-क्या असर हो सकता है? 
महंगाई बढ़ने का कई चीजों पर असर होता है। जैसे बढ़ती महंगाई लोगों की क्रय शक्ति कम कर देती है। इसकी वजह से समग्र मांग कम हो जाती है। इससे बचत करने वाले को नुकसान होता है तो उधार देने वाले को फायदा होता है। 

विस्तार

अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई की दर 7.8 फीसदी रही। यानी, पिछले साल अप्रैल के मुकाबले इस साल भारतीय उपभोक्ताओं को रोजमर्रा की चीजें आठ फीसदी ज्यादा दाम पर मिलीं। खुदरा महंगाई की ये दर बीते आठ साल में सबसे ज्यादा है। 

इतना ही नहीं रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित लक्ष्य से भी ये करीब दो गुना है। दरअसल अक्टूबर 2016 से रिजर्व बैंक को खुदरा महंगाई की दर चार फीसदी के स्तर पर रखने का नियम है। हालांकि, इसमें दो फीसदी की छूट है यानी ये दो फीसदी से छह फीसदी तक रह सकती है।  

क्या देश में बढ़ती महंगाई की वजह यूक्रेन-रूस संकट है?

यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से बढ़ी कच्चे तेल की कीमतों ने इस महंगाई के इजाफे में बड़ा योगदान दिया है। कीमतें बढ़ने की आशंका पहले से ही थी। हालांकि, अकेले युद्ध की वजह से ही ऐसा नहीं हुआ है। अक्तूबर 2019 के बाद खुदरा महंगाई केवल एक बार चार फीसदी के स्तर को छुआ है। बाकी हर महीने में ये न सिर्फ चार फीसदी से ज्यादा रही बल्कि ज्यादातर समय ये छह फीसदी के ऊपर भी गई।  

पिछले सात महीने से लगातार महंगाई दर बढ़ रही है। भारत में साल की शुरुआत से ही महंगाई दर छह फीसदी से ऊपर थी। यानी, जब रूस-यूक्रेन संकट शुरू हुआ उससे एक महीने पहले भी खुदरा महंगाई की दर तय सीमा से ज्यादा थी। ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि आने वाले महीनों में इसमें राहत मिलने की संभावना बहुत कम है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये दर छह फीसदी से ऊपर बनी रहेगी।  

रूस-यूक्रेन युद्ध से इतर बढ़ती महंगाई की और कौन सी वजहें हैं? 

2019-20 से लगातार महंगाई की दर चार फीसदी से ऊपर बनी हुई है। दरअसल, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का उपयोग करके मुद्रास्फीति की गणना की जाती है। इस सूचकांक में अलग-अलग भार के साथ अलग-अलग श्रेणियां हैं। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, उत्पादन लागत के अलावा कई अन्य चीजें होती हैं, जिसकी भूमिका खुदरा महंगाई की दर तय करने में अहम होती है।   

उदाहरण के लिए 2019-20 में जब महंगाई की दर 4.8 फीसदी थी। उस वक्त इसका बड़ा कारण खाद्य पदार्थ की कीमतों में आया छह फीसदी का उछाल था। इसी तरह 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना महामारी के कारण बड़ा धक्का लगा। उस वक्त भी खाद्य पदार्थों की कीमतों में 7.3 फीसदी का इजाफा हुआ। उस वक्त भी महंगाई दर 5.5 फीसदी थी। 

मार्च के मुकाबले महंगाई दर में कितना इजाफा हुआ है?

मार्च में खुदरा महंगाई की दर 6.95 फीसदी थी। जो अप्रैल महीने में 7.79 फीसदी पहुंच गई। शहरों के मुकाबले गांवों में महंगाई दर ज्यादा है। शहरों में अप्रैल में जहां महंगाई दर 7.09 फीसदी थी वहीं, गांवों में खुदरा महंगाई की दर 8.38 फीसदी रही। मार्च में भी शहरों को मुकाबले गांवों में महंगाई ज्यादा थी। मार्च महीने में शहरों में खुदरा महंगाई की दर जहां 6.12 फीसदी थी। वहीं, गांवों में खुदरा महंगाई की दर 7.66 फीसदी रही। एक साल पहले की बात करें तो महंगाई दर 4.23 फीसदी थी। सालभर पहले गांवों के मुकाबले शहरों में महंगाई ज्यादा थी। अप्रैल 2021 में शहरों में खुदरा महंगाई की दर 4.71 फीसदी थी वहीं, गांवों में ये दर 3.75 फीसदी थी।  

 



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