एक इंटरव्यू में जैकी ने कहा था, ‘फकीर सब नहीं बन सकते बिड़ू। अपुन पैदाइशिच फकीर है। चॉल वाले घर में जाता रहता हूं, क्योंकि मैं वहां कई साल रह चुका हूं। हीरो बनने के बाद भी रहा हूं। टॉइलट जाने के लिए लाइन में लगा हूं, डब्बा पकड़कर।’
जैकी श्रॉफ ने साल 1982 में देव आनंद की फिल्म ‘स्वामी दादा’ से में डेब्यू किया था। हालांकि, उन्हें असली पहचान सुभाष घई की फिल्म ‘हीरो’ से मिली थी। इके बाद वह पर्दे के बड़े सितारों में शुमार हो गए।
इंटरव्यू में जैकी ने यह भी कहा था, ‘मेरी पॉलिसी देव साहब वाली है। आगे का सोच, जो बीत गया, उस बीते हुए वक्त को क्या देखना! क्या होगा पीछे देखकर, मां को ला सकता हूं, नहीं ला सकता हूं। तो आगे चलते रहने का। मोबाइल में कम परिवार, माशूका की आंखों में ज्यादा देखने का।’
जैकी ने एक बार बताया था कि 1988 में आई अपनी फिल्म ‘फलक’ के समय उन्होंने सलमान की कुछ तस्वीरें खींची थीं। वह इन तस्वीरों को अपनी जेब में रखकर घूमते थे और प्रड्यूसर्स से उन्हें फिल्मों में कास्ट करने के लिए कहते थे। उन्होंने यह भी बताया कि उस समय पर सलमान खान को फिल्मों में लेने के लिए उन्होंने कई फिल्म प्रड्यूसर्स से संपर्क भी किया था।
जैकी ने इसी इंटरव्यू में यह कहा था कि वह उस समय ऐसा सोचते थे कि यह बच्चा (सलमान)एक दिन जरूर स्टार बनेगा। जैकी ने बताया कि एक समय पर सलमान उनके बहुत बड़े फैन थे और वह जैकी के जीन्स और बूट्स काफी पसंद करते थे।