KVS Admission 2022: खत्म हुआ MP कोटा, केंद्रीय विद्यालय ने एडमिशन के लिए जारी की नई गाइडलाइन


सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों (KV) में एडमिशन के लिए संसद सदस्य (एमपी) कोटा खत्म कर दिया है और सोमवार को संशोधित एडमिशन गाइडलाइंस जारी की।यह कदम केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) द्वारा एमपी कोटे सहित ‘विशेष प्रावधानों’ के तहत अगले आदेश तक एडमिशन पर रोक लगाने के एक हफ्ते बाद आया है। केवीएस स्पेशल डिस्पेंस एडमिशन स्कीम या एमपी कोटे के तहत, लोकसभा या राज्यसभा में एक सांसद कक्षा 1 से 9 तक में एडमिशन के लिए प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों से अधिकतम 10 छात्रों की सिफारिश कर सकता था।

सांसदों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही थी कि या तो एमपी कोटा खत्म किया जाए या सिफारिश के आधार पर एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या बढ़ाई जाए।केवीएस द्वारा जारी संशोधित गाइडलाइन के अनुसार, एडमिशन नीति के ‘विशेष प्रावधान’ खंड के तहत कई संशोधन किए गए हैं। एमपी कोटे के अलावा, केवीएस ने शिक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के 100 बच्चों, सांसदों और सेवानिवृत्त केवी कर्मचारियों के बच्चों और आश्रित पोते, और स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के विवेकाधीन कोटा सहित अन्य कोटा भी हटा दिया है।

केवीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संगठन द्वारा उचित विचार के बाद संशोधन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि एडमिशन के विशेष प्रावधान खंड के तहत कुछ अन्य कोटा के साथ एमपी कोटा को खत्म कर दिया गया है। उनकी जगह कुछ नए कोटा भी शामिल किए गए हैं।

नए कोटा में गृह मंत्रालय के अंतर्गत सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ, एनडीआरएफ और असम राइफल्स जैसे समूह बी और सी केंद्रीय पुलिस संगठनों के बच्चों के लिए 50 सीटें शामिल हैं, जिन्हें आंतरिक सुरक्षा, सीमा सुरक्षा, आपदा प्रतिक्रिया के लिए तैनात किया जाता है। इसके अलावा, केवीएस ने विशेष प्रावधानों के तहत आधिकारिक तौर पर पीएम केयर्स योजना के तहत आने वाले बच्चों को भी शामिल किया है।

बता दें कि हाल ही में संपन्न संसद सत्र के दौरान कांग्रेस के मनीष तिवारी और भाजपा सांसद सुशील मोदी समेत कई सांसदों ने मांग की कि आरक्षण खत्म किया जाए या सरकार सीमा बढ़ाए।

21 मार्च को, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा से सामूहिक रूप से बहस करने और यह तय करने का आग्रह किया कि क्या केवी में एमपी कोटा जारी रखा जाना चाहिए या खत्म किया जाना चाहिए। उनकी अपील के बाद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सुझाव दिया था कि इस मामले पर विचार-विमर्श करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक हो सकती है।

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