LIC IPO : देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी को आखिर क्‍यों लाना पड़ रहा है पब्लिक ऑफर, जानें सबकुछ


नई दिल्‍ली. देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation of India-LIC) की आईपीओ की लिस्टिंग (LIC IPO Listing) की जोर-शोर से तैयारियां कई दिनों से चल रही है. इस आईपीओ पर सभी की नजरें लगी है. रविवार को सेबी (SEBI) के पास एलआईसी ने डीआरएचपी (DRHP) फाइल कर दी है. सरकार कोविड-19 (COVID-19) के कारण खाली हुए खजाने को भरने के लिए निजीकरण को बढ़ावा दे रही है. उसकी के तहत एलआईसी में अपनी हिस्‍सेदारी बेचने को एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) लाया जा रहा है.

हालांकि, अभी तक आईपीओ की कीमत का निर्धारण नहीं हुआ है, लेकिन बाजार विश्‍लेषकों का मानना है कि एलआईसी भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ होगा. इससे सरकार के खजाने में करीब 10 बिलियन डॉलर आएंगे. एलआईसी की स्‍थापना 1956 में हुई थी. वर्ष 2000 तक यह एकमात्र बीमा कंपनी थी. 2000 में बीमा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए भी खोल दिया गया था.

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बहुत से लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर सरकार को ऐसी मूल्‍यवान बीमा कंपनी में अपनी हिस्‍सेदार बेचने के लिए आईपीओ लाने की क्‍या जरूरत है. एलआईसी पॉलिसीधारकों के मन में भी थोड़ी शंकाएं हैं. बाजार जानकारों का मानना है कि मूलभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार के पर्याप्‍त पैसा नहीं है. इसलिए सरकार अब अपने स्‍वामित्‍व वाली कंपनियों का निजीकरण कर पैसे जुटा रही है. कोविड-19 से अर्थव्‍यवस्‍था को बहुत बड़ा झटका लगा है. इससे उबरने के लिए सरकार को धन की आवश्‍यकता है. इसीलिए अब एलआईसी आईपीओ जल्‍द से जल्‍द लाने की कवायद में सरकार लगी है.

LIC का नहीं मुकाबला

भारतीय जीवन बीमा निगम घरेलू जीवन बीमा बाजार दो-तिहाई हिस्‍से (LIC Market share) पर काबिज है. इसकी कुल परिसंपत्ति (Lic Assets) 36.7 ट्रिलियन रुपए (491 बिलियन डॉलर) है. यह भारत की कुल जीडीपी का 16 फीसदी है. एलआईसी में करीब 1 लाख कर्मचारी हैं और करीब 1 मिलियन बीमा एजेंट इसके लिए काम करते हैं. एलआई के पास भारत के लगभग हर शहर की प्राइम लोकेशन पर बड़े-बड़े ऑफिस हैं. इनमें चैन्‍नई में 15 मंजिला भवन और मुंबई के बीचों बीच स्थित इसका हेडक्‍वार्टर भी शामिल है.  ऐसा माना जाता है कि एलआईसी के पास मूल्‍यवान कलाकृतियों का भी एक बहुत बड़ा कलेक्‍शन है. इसमें मशहूर चित्रकार एमएफ हुसैन की पैंटिग्‍स भी शामिल हैं. हालांकि, इस खजाने का मूल्‍य कितना है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है.

इसलिए लाया जा रहा LIC IPO

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था कोरोना महामारी के कारण अपने सबसे बुरे दिनों में से गुजर रही है. भारत स्‍वतंत्रता के बाद मंदी के सबसे बुरे दौर में है. कोविड-19 ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को हिलाकर रख दिया है. कोविड-19 को नियंत्रण में लाने के लिए भारत सरकार को देश भर में लॉकडाउन लगाना पड़ा. इससे सरकारी खजाने पर बहुत बुरा असर पड़ा और लाखों लोग बेराजगार हो गए. गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों की संख्‍या में भी इससे इजाफा हुआ.

एलआईसी का आईपीओ सरकार के निजीकरण से धन जुटाने के प्रयासों को सिरे चढ़ाने में भी मदद करेगा. सरकारी कंपनियों का निजीकरण (Privatization Of Government Companies) कर धन जुटाने के अपने लक्ष्‍य से सरकार भी बहुत पीछे है. अभी तक सरकार सरकार केवल 120.3 बिलियन रुपए ही इस वित्‍तवर्ष में जुटा पाई है. सरकार का लक्ष्‍य 780 बिलियन रुपए जुटाने का था.

क्‍या LIC IPO निवेश का सही विकल्‍प है?

एलआईसी भारत में एक जाना पहचाना नाम है. बीमा क्षेत्र में इसकी मजबूत पकड़ है. भले ही आज बाजार में बहुत सी निजी बीमा कंपनियां आ गई हो, परंतु वे एलआईसी को टक्‍कर नहीं दे पाई हैं. एलआई अपने लाखों पॉलिसीहोल्‍डर (LIC Policyholder) को भी इस आईपीओ में निवेश के लिए डिस्‍काउंट दे रहा है. इसके लिए बड़े स्‍तर पर प्रचार किया जा रहा है.

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विश्‍लेषकों का अनुमान है कि खुदरा निवेशक (Retail Investor)  एलआईसी आईपीओ की तरफ खूब आकर्षित होंगे. हालांकि, निवेशकों के लिए काफी अनिश्चितताएं भी यहां मौजूद हैं. निवेशकों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि क्‍या एलआईसी मैनेजमेंट स्‍वतंत्र रूप से फैसले ले सकेगा. यह भी अभी साफ नहीं है कि क्‍या एलआईसी बढ़ते कंपीटिशन के बीच अपना बाजार हिस्‍सा बरकरार रख पाएगा.

Tags: LIC IPO, Life Insurance Corporation of India (LIC)

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