Maharashtra political crisis: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, इस्तीफा देने वाले या अयोग्य घोषित विधायकों पर 5 साल के बैन की मांग


नई दिल्ली. महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक लंबित मामले में एक आवेदन दायर किया गया है. जिसमें उन विधायकों पर 5 साल तक चुनाव लड़ने से रोक लगाने की मांग की गई है, जो या तो राज्य विधानसभाओं से अयोग्य घोषित किए गए हैं या इस्तीफा दे चुके हैं. याचिका में कहा गया है कि हाल ही में 18 जून, 2022 से 22 जून, 2022 तक महाराष्ट्र में भी यही घटना दोहराई जा रही है. ये राजनीतिक दल फिर से देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए अदालत को मामले में तत्काल निर्देश देने की जरूरत है.

समाचार एजेंसी एएनआई की एक खबर के अनुसार मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेता जया ठाकुर का आवेदन उनके द्वारा 2021 में दायर एक लंबित याचिका में दिया गया. जिस पर जनवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी थी. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए पर्याप्त अवसर के बावजूद प्रतिवादियों ने आज तक जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया है. राजनीतिक दल इस स्थिति का नुकसान उठा रहे हैं और हमारे देश के विभिन्न राज्यों में चुनी हुई सरकारों को लगातार गिराया जा रहा है.

इस याचिका में कहा गया है कि एक बार जब सदन का कोई सदस्य दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य हो जाता है, तो उसे उस कार्यकाल के दौरान फिर से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जिसके लिए वह चुना गया था. इस आवेदन में 2017 में मणिपुर विधानसभा, 2019 में कर्नाटक और 2020 में मध्य प्रदेश विधानसभा में हुई घटनाओं का उल्लेख किया गया है. याचिका में कहा गया है कि 2019 में कर्नाटक में 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया या उनको स्पीकर ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए अयोग्य घोषित कर दिया. उन्होंने फिर चुनाव लड़ा और उनमें से 11 फिर से चुने गए. उनमें से दस को पिछली सरकार गिरने के बाद बनी नई सरकार में मंत्री पद मिला है.

Tags: Maharashtra, Supreme Court, Supreme court of india



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