अरावली में खनन माफिया की नजर केवल पवर्त शृंखला (पहाड़) पर ही नहीं, मिट्टी पर भी है। यही कारण है कि पत्थर के साथ मिट्टी से सोना बनाया जा रहा है। खनन माफिया के लिए पत्थर ही नहीं, मिट्टी भी मोटी कमाई का जरिया है। पचगांव में जिस स्थान पर डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई को डंपर से कुचला गया था, उससे मात्र 200 मीटर की दूरी पर पंचायती भूमि से भारी बड़े पैमाने पर मिट्टी का खनन किया जा रहा है।
सरकार ने पूरे प्रदेश में अवैध मिट्टी खनन पर रोक लगाई हुई है। इसके बाद भी क्षेत्र में पुलिस व प्रशासन की अनदेखी के चलते पंचायती व निजी जगहों पर मिट्टी खनन बे रोक-टोक चल रहा है। खनन माफिया खुलेआम जेसीबी से ट्रैक्टर-ट्राली में मिट्टी भरकर बेच रहे हैं। पहाड़ को काट-काट कर अरावली का सीना तो चीरा जा रहा ही है, धरती को खोदकर उसे भी खोखला बनाया जा रहा है। सैकड़ों फुट तक खाई बनाकर माफिया मिट्टी से मोटी कमाई कर रहा है। मौजूदा समय में ग्रामीण क्षेत्र में मिट्टी की एक ट्रॉली 1000 से 1200 रुपये तक बिकती है। शहरी क्षेत्र में इसकी कीमत डेढ़ गुना बढ़ जाती है। पचगांव के पास ही एक तालाब की शक्ल में अरावली की खोदाई की गई है। यहां गाड़ियों के टायर (डपंर और ट्रैक्टर) के ताजा निशान यह बताने के लिए काफी हैं कि अवैध खनन बिना किसी खौफ के धड़ल्ले से किया जा रहा है।
जनवरी में पांच लड़कियों की हुई थी मौत
इसी साल जनवरी में तावडू के गांव कांगरका में मिट्टी ढहने से पांच लड़कियों की मौत हो गई थीं। इसके बाद प्रशासन ने क्षेत्र में अवैध मिट्टी के खनन को लेकर कार्रवाई और जांच की बात कही थी, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ।
हमेशा रहता है हादसे का डर
अवैध रूप से खनन की गई मिट्टी लेकर चलने वाले ट्रैक्टरों की रफ्तार इतनी तेज होती है कि गांव व सड़क पर अक्सर हादसे होने का भय बना रहता है। कई बार छोटे बच्चे इनकी चपेट में आने से घायल भी हुए हैं। इसके बाद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। क्षेत्र के गांव छारोडा, चीला, पचगांव, डिंगरहेड़ी, कांगरका, निजामपुर, मोहम्मदपुर अहिर, भंगवो खरक जलालपुर आदि में पंचायती भूमि से मिट्टी का अवैध खनन होता रहा है।
अवैध खनन रोकने के लिए बनाई गई टॉस्क फोर्स कमेटी के संज्ञान में यह मामला लाया गया है। सभी पंचायतों में मौके पर निरीक्षण किया जाएगा। जल्द ही इस बारे में कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। -नंदलाल अग्रवाल, पंचायत विकास अधिकारी, तावडू