Discovery Alert!
A recently discovered exoplanet skims in and out of its star’s habitable zone. It’s 37 light-years from Earth and about four times our planet’s mass, making Ross 508b a super-Earth. A year there, one orbit, takes just 10.8 days! https://t.co/qmEDhIuS3A pic.twitter.com/MW7Cap45If— NASA Exoplanets (@NASAExoplanets) August 3, 2022
‘रॉस 508 बी’ को पृथ्वी से भी बड़ी संभावित चट्टानी दुनिया माना जा रहा है, लेकिन यह अपने रहने योग्य जोन से मूव कर रहा है। इसके बावजूद उम्मीदें बरकरार हैं, क्योंकि यह ग्रह अपनी सतह पर पानी को बनाए रखता है, जिससे जीवन की संभावना को बल मिलता है। नासा ने बताया है कि ‘रॉस 508 बी’ एक सुपर अर्थ एक्सोप्लैनेट है। यह M-टाइप तारे की परिक्रमा करता है, जो पृथ्वी से लगभग 37 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इस ग्रह का द्रव्यमान 4 पृथ्वी के बराबर है और ग्रह को अपने तारे की एक परिक्रमा करने में 10.8 दिन लगते हैं।
सवाल उठता है कि आखिर वैज्ञानिक उन ग्रहों को कैसे ढूंढते हैं, जो रहने लायक हो सकते हैं। इसका जवाब हैं गोल्डीलॉक्स जोन। ये ऐसे जोन होते हैं जिनसे होकर गुजरने वाले ग्रहों में जीवन की संभावना हो सकती है। नासा ने कहा है कि यह ऐसा ग्रह है, जो अपनी सतह पर पानी बनाए रखने में सक्षम हो सकता है और भविष्य में M क्लास वाले बौने तारों के आसपास जीवन की संभावना का अध्ययन करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
हाल में एक अध्ययन से पता चला है कि विभिन्न परिस्थितियों में भी कई अरबों वर्षों तक लिक्विड वॉटर, एक्सोप्लैनेट की सतह पर मौजूद रह सकता है। पृथ्वी की तरह जीवन दे सकने वाले एक्सोप्लैनेट की खोज में लिक्विड वॉटर यानी पानी की भूमिका महत्वपूर्ण है। बर्न यूनिवर्सिटी, ज्यूरिख यूनिवर्सिटी और नेशनल सेंटर ऑफ कॉम्पीटेंस इन रिसर्च (NCCR) के रिसर्चर्स ने समझाया है कि रहने योग्य एक्सोप्लैनेट की खोज के लिए इस दृष्टिकोण की बेहद जरूरत है।
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