NSE Scam : निवेशकों के 10 लाख करोड़ रुपये डूबने पर यूं Chitra Ramakrishna को मिली थी एनएसई की कमान


नई दिल्ली. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange – NSE) की पूर्व सीईओ (Ex. CEO) चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramakrishna) कथित तौर पर हिमालय में रहने वाले ‘बाबा’ के कहने पर फैसले लेने, वित्तीय अनियमितता और ‘बाबा’ के साथ गोपनीय जानकारियां साझा करने जैसे मामलों में जांच का सामना कर रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चित्रा कैसे एनएसई की सीईओ (CEO) बनीं और किसकी मदद से इतने बड़े एक्सचेंज की कमान उनके हाथ में आई?

दरअसल, बात 5 अक्टूबर 2012 की सुबह की है, जब एक्सचेंज में तकनीकी (Technology) खराबी आई और निवेशकों के करीब 10 लाख करोड़ रुपये डूब गए. इसके बाद आनन फानन में तत्कालीन सीईओ रवि नारायण को अपना पद छोड़ना पड़ा. इसके कुछ महीने बाद शेयर कारोबार की पुरुष प्रधान दुनिया में चित्रा रामकृष्ण की एंट्री होती है और 13 अप्रैल 2013 को उन्हें एक्सचेंज की कमान सौंप दी जाती है.

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टेक्नोलॉजी एक शेर है, जिस पर हर कोई सवार

चित्रा रामकृष्ण को टेक्नोलॉजी में काफी भरोसा है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की सीईओ बनने के बाद करीब 8 साल पहले उन्होंने कहा था…टेक्नोलॉजी एक ऐसा शेर है, जिस पर हर कोई सवार है. इसके बाद एक्सचेंज में तकनीकी खराबी आई, जिसकी गाज रवि नारायण पर गिरी और इनाम चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramakrishna) को मिला. इसके बाद वह उस एनएसई की सीईओ (NSE CEO) बन गईं, जिसने एक साल में ही देश के सबसे बड़े शेयर बाजार के रूप में 100 साल पुराने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को पछाड़ दिया.

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बाबा से 20 वर्षों से ले रही थीं सलाह

चित्रा का दावा है कि ‘बाबा’ हिमालय की पहाड़ियों में रहते हैं और पिछले 20 साल से उन्हें व्यक्तिगत एवं पेशेवर मामलों में सलाह देते रहे हैं. वह उन्हें ‘शिरोमणि’ कहकर बुलाती थीं. मामला सामने आने के बाद इसमें और चीजें जुड़ती गईं. अब यह मामला आनंद सुब्रमण्यम को मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किए जाने और उनका पदनाम बदलकर समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक का सलाहकार किए जाने के लिए कंपनी संचालन में खामियों से भी जुड़ा है.

खामियों को पैदा कर उठाया लाभ

जांच सिर्फ बाबा की पहचान सुनिश्चित करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बोर्ड, नियामक और सरकार सहित विभिन्न स्तरों पर चूक के कारणों का भी पता लगाया जा रहा है. एक पूर्व नियामक ने कहा कि ऐसा लगता है कि पूर्व और सेवारत नौकरशाहों, कुछ अत्यधिक महत्वाकांक्षी दलालों, शीर्ष सरकारी अधिकारियों और एक्सचेंज में शामिल कुछ कॉरपोरेट अधिकारियों की एक मंडली ने अपने निजी फायदे के लिए विभिन्न खामियों को पैदा किया और उसका फायदा उठाया.

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