PMGKAY Scheme : गरीबों को मुफ्त राशन देने से सरकार पर बढ़ सकता है बोझ, सितंबर के बाद योजना को बंद करने की आशंका


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कोरोना के समय शुरू की गई मुफ्त राशन योजना के लिए अब सरकार के पास पैसे नहीं हैं। ऐसे में यह आशंका है कि सितंबर के बाद इसे को बंद किया जा सकता है। वित्तमंत्रालय के व्यय विभाग ने अपनी आंतरिक रिपोर्ट में कहा है कि इस योजना को सितंबर के बाद आगे बढ़ाने से और बोझ बढ़ेगा। साथ ही अगर टैक्स पर किसी भी तरह की राहत दी जाती है तो यह भी सरकार के वित्तीय सेहत पर बुरा असर डाल सकती है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जाता है। व्यय विभाग ने कहा है कि इस योजना का समय बढ़ाने, पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने और खाने के तेलों पर कस्टम ड्यूटी घटाने के फैसलों से वित्तीय स्थिति गंभीर बन गई है।  
 
80,000 करोड़ रुपये बढ़ सकता है बोझ
वित्तमंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि अगर योजना को सितंबर के बाद बढ़ाया जाता है तो 80,000 करोड़ रुपये का और बोझ बढ़ जाएगा। यानी खाद्य सब्सिडी का बिल 3.7 लाख करोड़ रुपये के पार चला जाएगा। विभाग ने इसी के साथ यह सलाह दी है कि इस योजना को न तो आगे बढ़ाया जाए और न ही टैक्स पर कोई राहत दी जाए।  

एक लाख करोड़ का घाटा
पिछले महीने सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर जो टैक्स कम किया था, उससे एक लाख करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है। चालू वित्तवर्ष के लिए बजट में जीडीपी के अनुपात में भौतिक घाटा 6.4 फीसदी रखने का लक्ष्य तय किया गया था। फिच रेटिंग ने कहा कि सब्सिडी और टैक्स में राहत से यह बढ़कर 6.8 फीसदी तक जा सकता है। 

6 महीने के लिए बढ़ी थी योजना
केंद्र सरकार ने अपनी इस योजना को मार्च में 6 महीने के लिए बढ़ा दी थी। इसकी अवधि सितंबर में पूरी होगी। इसके लिए इस साल के बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 2.07 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया था, जो 2021-22 के 2.86 लाख करोड़ रुपये की तुलना में करीबन 79 हजार करोड़ रुपये कम था। हालांकि 6 महीने तक मुफ्त राशन की योजना बढ़ाने से खाद्य सब्सिडी बिल 2.87 लाख करोड़ रुपये तक जाने की उम्मीद है।

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कोरोना के समय शुरू की गई मुफ्त राशन योजना के लिए अब सरकार के पास पैसे नहीं हैं। ऐसे में यह आशंका है कि सितंबर के बाद इसे को बंद किया जा सकता है। वित्तमंत्रालय के व्यय विभाग ने अपनी आंतरिक रिपोर्ट में कहा है कि इस योजना को सितंबर के बाद आगे बढ़ाने से और बोझ बढ़ेगा। साथ ही अगर टैक्स पर किसी भी तरह की राहत दी जाती है तो यह भी सरकार के वित्तीय सेहत पर बुरा असर डाल सकती है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जाता है। व्यय विभाग ने कहा है कि इस योजना का समय बढ़ाने, पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने और खाने के तेलों पर कस्टम ड्यूटी घटाने के फैसलों से वित्तीय स्थिति गंभीर बन गई है।  

 

80,000 करोड़ रुपये बढ़ सकता है बोझ

वित्तमंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि अगर योजना को सितंबर के बाद बढ़ाया जाता है तो 80,000 करोड़ रुपये का और बोझ बढ़ जाएगा। यानी खाद्य सब्सिडी का बिल 3.7 लाख करोड़ रुपये के पार चला जाएगा। विभाग ने इसी के साथ यह सलाह दी है कि इस योजना को न तो आगे बढ़ाया जाए और न ही टैक्स पर कोई राहत दी जाए।  

एक लाख करोड़ का घाटा

पिछले महीने सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर जो टैक्स कम किया था, उससे एक लाख करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है। चालू वित्तवर्ष के लिए बजट में जीडीपी के अनुपात में भौतिक घाटा 6.4 फीसदी रखने का लक्ष्य तय किया गया था। फिच रेटिंग ने कहा कि सब्सिडी और टैक्स में राहत से यह बढ़कर 6.8 फीसदी तक जा सकता है। 

6 महीने के लिए बढ़ी थी योजना

केंद्र सरकार ने अपनी इस योजना को मार्च में 6 महीने के लिए बढ़ा दी थी। इसकी अवधि सितंबर में पूरी होगी। इसके लिए इस साल के बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 2.07 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया था, जो 2021-22 के 2.86 लाख करोड़ रुपये की तुलना में करीबन 79 हजार करोड़ रुपये कम था। हालांकि 6 महीने तक मुफ्त राशन की योजना बढ़ाने से खाद्य सब्सिडी बिल 2.87 लाख करोड़ रुपये तक जाने की उम्मीद है।



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