President Election: राज्यसभा चुनाव के बाद कितनी ताकतवर हुई भाजपा, आंकड़ों से समझिए राष्ट्रपति चुनाव पर इसका क्या असर होगा?


राज्यसभा का चुनाव खत्म हो चुका है। 15 राज्यों की कुल 57 सीटों पर चुनाव होने थे। इनमें से 41 पर निर्विरोध प्रत्याशी जीत गए, वहीं शुक्रवार 10 जून को बाकी 16 सीटों पर चुनाव हुए। अब हर किसी की नजर 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर है। 

इस चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायकों के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि राज्यसभा चुनाव के बाद संख्याबल के हिसाब से कौन सी पार्टी कितनी मजबूत है? 

 

पहले चुनाव का कार्यक्रम जान लीजिए

राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए अधिसूचना 15 जून को जारी की जाएगी। नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून तय की गई है। नामांकन पत्रों की जांच 30 जून तक होगी। उम्मीदवार अपना नामांकन दो जुलाई तक वापस ले सकेंगे। इसके बाद राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होगा, जिसके नतीजे तीन दिन बाद यानी 21 जुलाई को आएंगे।

 

राज्यसभा चुनाव में क्या हुआ और इसका क्या असर पड़ेगा? 

जून-जुलाई में 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटें खाली हो रहीं थीं। इन्हीं सीटों पर 10 जून को चुनाव हुए। इनमें से 11 राज्यों की 41 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन तीन जून को ही हो गया था। सभी 57 सीटों के नतीजे आने के बाद आंकड़े देखें तो सबसे ज्यादा 22 सीटें भाजपा को मिलीं। कांग्रेस को नौ, वाईएसआर कांग्रेस को चार, बीजद और डीएमके को तीन-तीन सीटें मिलीं। 

आप, एआईएडीमके, राजद, टीआरएस दो-दो सीटें जीतने में सफल रहे। जदयू, झामुमो, शिवसेना, एनसीपी, सपा और रालोद के खाते में एक-एक सीट गई। दो निर्दलीय भी जीतने में सफल रहे। इनमें से एक सपा के समर्थन से तो एक को भाजपा के समर्थन से जीत मिली। 

हालांकि, जो प्रत्याशी चुनाव जीते हैं उनमें से दो को इस बार राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालने को मिलेगा। इनमें कार्तिकेय शर्मा और कृष्णलाल पंवार हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये दोनों अगस्त में राज्यसभा की सदस्यता लेंगे। वहीं, इस बार चुनाव हारने वाले सुभाष चंद्रा और चुनाव न लड़ने वाले दुष्यंत गौतम वोट डाल सकेंगे। क्योंकि, इनका कार्यकाल राष्ट्रपति चुनाव के बाद खत्म हो रहा है। 

 

अब जानिए राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने वोटर्स होंगे? 

राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डाल सकते हैं, लेकिन कश्मीर में विधानसभा भंग है। यहां चार राज्यसभा सीटें खाली हैं। ऐसे में 229 राज्यसभा सांसद ही राष्ट्रपति चुनाव में वोट डाल सकेंगे। 

राष्ट्रपति की ओर से मानित 12 सांसदों को भी इस चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं है। दूसरी ओर, लोकसभा के सभी 543 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे। इनमें आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में हो रहे उप चुनाव में जीतने वाले सांसद भी शामिल होंगे।  

इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4 हजार 33 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे। इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4 हजार 809 होगी। हालांकि, इनके वोटों की वैल्यू अलग-अलग होगी। इन वोटर्स के वोटों की कुल कीमत 10 लाख 79 हजार 206 होगी। आगे जानिए आंकड़े क्या कहते हैं? 

 

एनडीए: लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा की संख्या के अनुसार, सत्तारुढ़ भाजपा की अगुआई वाले एनडीए के पास मौजूदा समय करीब पांच लाख 26 हजार वोट हैं। इनमें दो लाख 17 हजार अलग-अलग विधानसभा और तीन लाख नौ हजार सांसदों के वोट से पूरा होगा। एनडीए में अभी भाजपा के साथ जेडीयू, एआईएडीएमके, अपना दल (सोनेलाल), एलजेपी, एनपीपी, निषाद पार्टी, एनपीएफ, एमएनएफ, एआईएनआर कांग्रेस जैसे 20 छोटे दल शामिल हैं।

मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से एनडीए को अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए 13 हजार वोटों की और जरूरत पड़ेगी। 2017 में जब एनडीए ने रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाया था तब आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा की बीजेडी ने भी समर्थन दिया था। इसके अलावा एनडीए में न होते हुए भी जेडीयू ने समर्थन दिया था। वहीं, पिछली बार एनडीए का हिस्सा रही शिवसेना और अकाली दल अब अलग हो चुकी है। 

बीजेडी के पास 31 हजार से ज्यादा वैल्यू वाले वोट हैं और वाईएसआरसीपी के पास 43,000 से ज्यादा वैल्यू वाले वोट हैं। ऐसे में इनमें से किसी एक के समर्थन से भी एनडीए आसानी से जीत हासिल कर सकती है।

 



Source link

Enable Notifications OK No thanks