Punjab election 2022: क्या खामोश मतदाताओं ने पलटे समीकरण, पढ़ें- कांग्रेस, शिअद व आप को कितना नफा-नुकसान


हर्ष कुमार सलारिया, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Sun, 20 Feb 2022 10:25 PM IST

सार

पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी जहां पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, वहीं शिअद-बसपा गठबंधन और भाजपा ने भी सरकार बनाने का दावा किया है।

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विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को हुए मतदान में पंजाब के मतदाता पूरी तरह खामोश दिखाई दिए। चुनाव प्रचार के दौरान जहां वोटरों का रुझान आम आदमी पार्टी की तरफ दिखाई दे रहा था, वह प्रचार के अंतिम तीन दिनों में बदले घटनाक्रम के बाद छट गया। विशेष बात यह रही कि वोटरों ने कोई विपरीत प्रतिक्रिया व्यक्त करने के बजाय खामोशी साध ली। 

दूसरी ओर, बाकी सियासी दलों ने जो मुहिम छेड़ी, उसे वोटरों ने खुलकर समर्थन नहीं दिया। ऐसे में, आप से छिटके वोटर किस सियासी दल की तरफ मुड़े, इस बारे में सभी कयास लगा रहे हैं। इस बार रोजगार के मुद्दे को लेकर शुरू हुए चुनाव प्रचार का रुख उस समय बदला जब कवि कुमार विश्वास द्वारा अरविंद केजरीवाल पर खालिस्तानियों से संबंध के लगाए आरोपों को विरोधी दलों ने हाथोंहाथ लेते हुए यह साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि केजरीवाल के प्रतिबंधित संगठन एसएफजे और अन्य अलगाववादी संगठनों से संबंध हैं। 

विपक्षी दलों ने इस संबंध में यहां तक प्रचारित किया कि जो भी व्यक्ति आप को वोट डालेगा, वह देश और पंजाब का गद्दार होगा। ऐसे में आप के समर्थन में खुलकर सड़कों पर आ रहे लोग सहम गए। वहीं, केजरीवाल की तरफ से भी कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई और पंजाब में आप का प्रचार अभियान भी खामोश हो गया।

दूसरी ओर, वोटरों की खामोशी से वोटों के सारे समीकरण भी छिन्न-भिन्न हो गए हैं। रविवार को मतदान के बाद सभी दल अपनी जीत और अगली सरकार बनाने का दावा करते दिखाई दिए लेकिन किसी भी नेता के पास यह प्रमाण नहीं हैं कि वोटरों के आप से छिटकने के बाद कितने वोटर उनकी पार्टी से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री चन्नी जहां पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, वहीं शिअद-बसपा गठबंधन और भाजपा ने भी सरकार बनाने का दावा किया है। पंजाब लोक कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अपने गठबंधन के जरिए सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं।

आप ही नहीं दूसरे दलों को भी नुकसान
फिलहाल यह अनुमान लगाया जा रहा है कि पहली बार आप से जुड़ने जा रहे वोटरों की एक बड़ी तादाद अपनी पारंपरिक पार्टियों की तरफ मुड़ेंगी, जबकि यह आशंका भी जताई जा रही है कि आप के खालिस्तानियों से संबंध के आरोपों को देखते हुए प्रदेश के गरमख्याली शिअद और कांग्रेस से टूटकर आप की तरफ जा सकते हैं। इस तरह, नए समीकरण आप के साथ-साथ शिअद और कांग्रेस को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। वहीं, रविवार को दोपहर बाद मतदान में अचानक आई तेजी यह संकेत भी दे रही है कि पूरे प्रचार के दौरान आप से जुड़ गए वोटर सारे आरोपों को दरकिनार करते हुए अपने फैसले के हिसाब से मतदान करने निकले हैं।

विस्तार

विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को हुए मतदान में पंजाब के मतदाता पूरी तरह खामोश दिखाई दिए। चुनाव प्रचार के दौरान जहां वोटरों का रुझान आम आदमी पार्टी की तरफ दिखाई दे रहा था, वह प्रचार के अंतिम तीन दिनों में बदले घटनाक्रम के बाद छट गया। विशेष बात यह रही कि वोटरों ने कोई विपरीत प्रतिक्रिया व्यक्त करने के बजाय खामोशी साध ली। 

दूसरी ओर, बाकी सियासी दलों ने जो मुहिम छेड़ी, उसे वोटरों ने खुलकर समर्थन नहीं दिया। ऐसे में, आप से छिटके वोटर किस सियासी दल की तरफ मुड़े, इस बारे में सभी कयास लगा रहे हैं। इस बार रोजगार के मुद्दे को लेकर शुरू हुए चुनाव प्रचार का रुख उस समय बदला जब कवि कुमार विश्वास द्वारा अरविंद केजरीवाल पर खालिस्तानियों से संबंध के लगाए आरोपों को विरोधी दलों ने हाथोंहाथ लेते हुए यह साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि केजरीवाल के प्रतिबंधित संगठन एसएफजे और अन्य अलगाववादी संगठनों से संबंध हैं। 

विपक्षी दलों ने इस संबंध में यहां तक प्रचारित किया कि जो भी व्यक्ति आप को वोट डालेगा, वह देश और पंजाब का गद्दार होगा। ऐसे में आप के समर्थन में खुलकर सड़कों पर आ रहे लोग सहम गए। वहीं, केजरीवाल की तरफ से भी कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई और पंजाब में आप का प्रचार अभियान भी खामोश हो गया।

दूसरी ओर, वोटरों की खामोशी से वोटों के सारे समीकरण भी छिन्न-भिन्न हो गए हैं। रविवार को मतदान के बाद सभी दल अपनी जीत और अगली सरकार बनाने का दावा करते दिखाई दिए लेकिन किसी भी नेता के पास यह प्रमाण नहीं हैं कि वोटरों के आप से छिटकने के बाद कितने वोटर उनकी पार्टी से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री चन्नी जहां पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, वहीं शिअद-बसपा गठबंधन और भाजपा ने भी सरकार बनाने का दावा किया है। पंजाब लोक कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अपने गठबंधन के जरिए सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं।

आप ही नहीं दूसरे दलों को भी नुकसान

फिलहाल यह अनुमान लगाया जा रहा है कि पहली बार आप से जुड़ने जा रहे वोटरों की एक बड़ी तादाद अपनी पारंपरिक पार्टियों की तरफ मुड़ेंगी, जबकि यह आशंका भी जताई जा रही है कि आप के खालिस्तानियों से संबंध के आरोपों को देखते हुए प्रदेश के गरमख्याली शिअद और कांग्रेस से टूटकर आप की तरफ जा सकते हैं। इस तरह, नए समीकरण आप के साथ-साथ शिअद और कांग्रेस को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। वहीं, रविवार को दोपहर बाद मतदान में अचानक आई तेजी यह संकेत भी दे रही है कि पूरे प्रचार के दौरान आप से जुड़ गए वोटर सारे आरोपों को दरकिनार करते हुए अपने फैसले के हिसाब से मतदान करने निकले हैं।



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