Ramakrishna Jayanti 2022: स्वामी विवेकानंद के गुरु थे रामकृष्ण परमहंस, जानें उनके बारे में सब कुछ


रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramahamsa) 19वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध समाज सुधारक और धार्मिक नेता थे। उनका जन्म 18 फरवरी, 1836 को हुआ था लेकिन उनकी जयंती ( Ramakrishna Paramahamsa Jayanti 2022) हर साल हिंदू लूनर कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है। कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन, शुक्ल पक्ष के महीने में द्वितीय तिथि को श्री रामकृष्ण की जयंती मनाई जाती है।

इस वर्ष रामकृष्ण परमहंस के अनुयायी 4 मार्च, 2022 को उनकी 186वीं जयंती मना रहे हैं। उन्हें पंजाब के एक नग्न भिक्षु और उनके वेदांतिक गुरु तोतापुरी ने उन्हें ‘परमहंस’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

जीवन

रामकृष्ण परमहंस स्वतंत्रता पूर्व भारत के एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत थे। उनका जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली के कमरपुकुर गांव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। गढ़धर चट्टोपाध्याय के रूप में जन्मे, रामकृष्ण आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने वालों के लिए एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक थे।

आध्यात्मिक संत रामकृष्ण देवी काली के बहुत बड़े भक्त थे और उन्हें दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में एक पुजारी के रूप में भी नियुक्त किया गया था। उन्होंने शारदा देवी से शादी की, जो बाद में उनकी आध्यात्मिक साथी बनीं। इन दोनों ने साथ मिलकर लोगों को अध्यात्म को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

रामकृष्ण परमहंस के सबसे प्रसिद्ध शिष्यों में से एक शिष्य स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु की शिक्षाओं को बढ़ावा देने के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इसका मुख्यालय बेलूर के रामकृष्ण आश्रम में है। इस मिशन का मुख्य लक्ष्य लोगों को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करना है। इसके साथ ही स्वामी विवेकानंद न ही रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी।

मृत्यु
1885 में परमहंस को गले का कैंसर हो गया। फिर, उन्हें एक विशाल उपनगरीय विला में भेज दिया गया, जहां उनके युवा शिष्यों ने दिन-रात उनकी देख-रख की और उन्होंने भविष्य के मठवासी भाईचारे की नींव रखी, जिसे रामकृष्ण मठ के नाम से जाना जाता है। 16 अगस्त, 1886 को, रामकृष्ण ने देवी माँ का नाम लेते हुए अपने भौतिक शरीर को त्याग दिया और अनंत काल में चले गए। रामकृष्ण के निधन के बाद, शारदामोनी अपने आप में एक धार्मिक नेता बन गई।

प्रसिद्ध विचार

  • . परमेश्वर सब मनुष्यों में है, परन्तु सब मनुष्य परमेश्वर में नहीं हैं; इसलिए हम पीड़ित हैं।
  • . ईश्वर का अनन्य प्रेम आवश्यक है, बाकी सब असत्य है।
  • . दुनिया वास्तव में सत्य और विश्वास का मिश्रण है। विश्वास को त्यागें और सत्य को ग्रहण करें।
  • . लालसा के बाद भगवान के दर्शन होते हैं।

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