नई दिल्ली. सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के निधन के कारण आरबीआई ने होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक एक दिन के टाल दी है. अब यह तीन दिवसीय बैठक 8 फरवरी यानी कल से होगी, जो पहले आज यानी 7 फरवरी से होनी थी. इसके नतीजे 10 फरवरी को आएंगे, तब पता चल जाएगा कि आप पर होम और ऑटो लोन की ईएमआई का बोझ बढ़ेगा या घटेगा.
जानकारों का मानना है कि महंगाई संबंधी चिंताओं के बीच आरबीआई अपनी अगली और बजट 2022 के बाद पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रख सकता है. उनका मानना है कि केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति नीतिगत रुख को ‘उदार’ से ‘तटस्थ’ में बदल सकती है. नकदी के सामान्यीकरण प्रक्रिया के रूप में रिवर्स रेपो रेट में बदलाव कर सकती है.
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रेपो रेट में बदलाव का अनुमान नहीं
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि बजट में वृद्धि को लेकर दिए गए आश्वासन और कच्चे तेल की कीमतों के कारण महंगाई बढ़ने की आशंका को देखते हुए रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी हो सकती है. हालांकि, इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा. अगले साल इसमें 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है.
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रेपो और रिवर्स रेपो रेट में अंतर कम करने पर जोर
बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि आरबीआई सबसे पहले रिवर्स रेपो रेट और रेपो रेट के बीच अंतर को कम करेगा. अप्रैल में वह रिवर्स रेपो 0.40 फीसदी बढ़ाकर 3.75 फीसदी कर सकता है. उसके बाद रेपो और रिवर्स रेपो के बीच फासला 0.25 फीसदी के पूर्व स्तर पर आ जाएगा. जून में पहली बार रेपो रेट में बढ़ोतरी का फैसला लिया जा सकता है. दिसंबर तक इसे 4 फीसदी से बढ़ाकर 4.75 फीसदी तक किया जा सकता है.
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