मुंबई . विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अबतक भारतीय बाजारों से 1,14,855.97 करोड़ रुपये की निकासी की है. जियो पॉलिटिकल टेंशन और मुद्रास्फीति को लेकर चिंता के बीच विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में बिकवाल बने हुए हैं.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने अबतक भारतीय शेयरों बाजारों से 48,261.65 करोड़ रुपये की निकासी की है. इस तरह आज की तारीख तक 2022 में विदेशी निवेशकों की निकासी का आंकड़ा 1,14,855.97 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.
लगातार छठा महीना बिकवाली का
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस-यूक्रेन तनाव की वजह से वैश्विक स्तर पर वृहद आर्थिक स्थिति और मुद्रास्फीतिक दबाव की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं. यह लगातार छठा महीना है जबकि विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध निकासी की है.
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रूस-यूक्रेन युद्ध
कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी की वरिष्ठ ईवीपी और प्रमुख (इक्विटी शोध) शिबानी कुरियन ने कहा, ‘‘रूस-यूक्रेन युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा असर काफी सीमित है, क्योंकि इन देशों से हमारी आयात पर निर्भरता नहीं है. हालांकि, जिंसों के ऊंचे दाम चुनौतियां पैदा कर रहे हैं.’’
कच्चा तेल सिरदर्द बना
कुरियन ने कहा कि भारत कच्चे तेल का शुद्ध आयातक है. ‘‘ऐसा अनुमान है कि कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत के उछाल से चालू खाते के घाटे (कैड) पर 0.3 प्रतिशत, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पर 0.4 प्रतिशत और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर 0.2 प्रतिशत का असर पड़ेगा.
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डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने जनवरी में भारतीय शेयर बाजारों से 28,526.30 करोड़ रुपये निकाले थे. फरवरी में उनकी निकासी 38,068.02 करोड़ रुपये रही थी. मार्च में अबतक उन्होंने 48,261.65 करोड़ रुपये की बिकवाली की है.
बाजार की आगे की दिशा को लेकर विश्लेषकों का कहना है कि अनिश्चितता के बावजूद बाजार जुझारू क्षमता दिखा रहा है. हालांकि, वैश्विक धारणा में कमजोरी का यहां भी असर पड़ सकता है. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘घरेलू बाजार वैश्विक घटनाक्रमों से दिशा लेगा. युद्ध समाप्त होने और कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ने से भारत अपनी जुझारू क्षमता को कायम रख सकता है. हालांकि, लघु अवधि में उतार-चढ़ाव चिंता का विषय रहेगा.’’
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