कोरोना के गंभीर होने में जीन भी जिम्मेदार, साइंटिस्टों ने की जेनेटिक फैक्टर की पहचान


Genes are also responsible for Corona getting serious : पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाली कोरोना महामारी के बढ़ते और घटते प्रकोप के बीच इसके इलाज और रोकथाम की कोशिशें भी लगातार जारी है. पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसके पुख्ता इलाज की कोशिशों में जुटे हुए हैं. इसी फेहरिस्त में ब्रिटेन के साइंटिस्टों ने कुछ इस तरह के जेनेटिक फैक्टर की पहचान की है, जो कुछ खास लोगों में कोविड-19 संक्रमण के लक्षणों को अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा गंभीर बनाते हैं. इस स्टडी के नतीजों से वायरस से होने वाली बीमारियों का बेहतर इलाज खोजने में मदद मिल सकती है. स्कॉटलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग (University of Edinburgh) के रिसर्चर्स की लीडरशिप वाली टीम ने जेनेमिक्स इंग्लैंड (Genomics England) के साथ पार्टनरशिप में 224 आईसीयू में भर्ती मरीजों के 7491 जीनोम (genome) की सीक्वेंसिंग की, और उसके बाद उनके डीएनए की तुलना 48400 अन्य ऐसे लोगों से की, जिन्हें कोविड का संक्रमण नहीं हुआ था.

इसके साथ ही स्टडी के दौरान 1630 वैसे लोगों से भी तुलना की गई, जिन्हें कोरोना का हल्का संक्रमण था. इस स्टडी में शामिल किए गए सभी लोगों की जीन सीक्वेंसिंग से रिसर्चर्स एक सटीक मैप बना सके और उन जेनेटिक भिन्नताओं (genetic differences)की पहचान की, जो कोरोना के संक्रमण के गंभीर होने से जुड़े हैं.

स्टडी में क्या निकला
रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी में पाया कि आईसीयू में भर्ती मरीजों के 16 जीनों में अन्य ग्रुप्स की तुलना में भिन्नता था. इस स्टडी से इम्यून सिस्टम में जीन की भूमिका बेहतर स्पष्ट तरीके से स्पष्ट हुई है और इससे इस बात का भी संकेत मिला है कि मरीजों का इलाज अगर इम्यून सेल्स द्वारा स्त्रावित (secreted) इंटरफेरोन-प्रोटीन (interferon-protein) से किया जाए, तो उससे वायरस से बचाव हो सकता है और बीमारी का इलाज शुरुआती चरण में हो सकता है. इससे कुछ मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग होने जैसी दिक्कतों को भी समझा जा सकता है.

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क्योंकि स्टडी में ये भी पाया गया है कि ब्लड क्लॉटिंग के मुख्य अवयव (main ingredient) जिसे फैक्टर 8 भी कहते हैं, उसे कंट्रोल करने वाले जीन वेरिएशन कोविड से होने वाली बीमारी की गंभीरता से जुड़ा है. क्योंकि फैक्टर 8 वो जीन है, जो बहुत ज्यादा तरह के हीमोफिलिया से संबंधित होता है. इस स्टडी का निष्कर्ष ‘नेचर (Nature)’ जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

क्या कहते हैं जानकार
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में क्रिटकल केयर मेडिसिन में कंसल्टेंट प्रोफेसर केनेथ बैली (Kenneth Bailey) के अनुसार, हमारी स्टडी के लेटेस्ट रिजल्ट्स से ये पता चलता है कि कुछ लोगों में कोरोना का संक्रमण जानलेवा क्यों होता जाता है. इससे हमें बीमारी के बढ़ने का जो प्रोसेस है, उसे समझने में मदद मिली है और बेहतर व प्रभावी इलाज ढूंढने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

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इस स्टडी के निष्कर्ष से ये पता चला है कि किस तरह से सिंगल जीन वेरिएंट इम्यून सिस्टम सिग्नलिंग, जिसे इंटरफेरोन अल्फा-10 कहते हैं, ये अहम मैसेंजर मॉलीक्यूल को बाधित करता है और उससे मरीज के सीरियर होने का रिस्क बढ़ जाता है.

Tags: Coronavirus, Health, Health News, Lifestyle

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