रोजाना सेंधा नमक का इस्‍तेमाल कर सकता है बीमार, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी


नई दिल्‍ली. पिछले कुछ दिनों से न केवल हार्ट, ब्‍लड प्रेशर और हाइपरटेंशन वाले मरीजों के घरों में बल्कि सामान्‍य घरों में भी सेंधे नमक के इस्‍तेमाल का एक ट्रेंड बन गया है. कई कार्डियोलॉजिस्‍ट और आयुर्वेदिक चिकित्‍सकों की ओर से सेंधे नमक की सलाह के बाद स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर चिंतित लोगों ने अपनी रसोई से साधारण नमक या टेबल साल्‍ट को पूरी तरह हटा दिया है. आज ऐसे हजारों घर हैं जहां खाने में सिर्फ सेंधा नमक ही इस्‍तेमाल हो रहा है. इतना ही नहीं लोग अपने करीबियों और रिश्‍तेदारों को भी साधारण नमक के बजाय सेंधा नमक के फायदे गिनाते हुए इस्‍तेमाल की सलाह देते दिखाई दे रहे हैं. इसके अलावा इंडियन ब्‍यूरो ऑफ माइन्‍स की इंडियन मिनरल्‍स ईयरबुक 2017 का तीसरा मिनरल रिव्‍यू भी इस बात की तस्‍दीक करता है कि भारत में लोग अब सेंधा नमक ज्‍यादा इस्‍तेमाल कर रहे हैं. हालांकि यह ट्रेंड अब नुकसानदायक होता जा रहा है और स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ इसे हेल्‍थ के लिए खतरनाक बता रहे हैं.

दिल्‍ली स्थित जीबी पंत अस्‍पताल में प्रोफेसर ऑफ कार्डियोलॉजी डॉ. मोहित गुप्‍ता कहते हैं कि कई बार हाइपरटेंशन, हाई बीपी या हार्ट के मरीजों को चिकित्‍सक नमक बदलकर खाने की सलाह देते हैं. चूंकि सामान्‍य तौर पर लोग टेबल सॉल्‍ट यानि सफेद नमक का इस्‍तेमाल करते हैं, ऐसे में उन्‍हें पोटेशियम की मात्रा को भी देखते हुए मुख्‍य रूप से सेंधा नमक और काला नमक खाने के लिए कहा जाता है. साथ ही यह भी कहा जाता है कि वे नमक को रोटेशन के आधार पर बदल-बदलकर खाएं लेकिन देखा जा रहा है कि अब बिना किसी बीमारी से जूझ रहे सामान्‍य लोग भी रसोई में सिर्फ सेंधे नमक का रोजाना, ज्‍यादा मात्रा में और नियमित उपयोग कर रहे हैं, जो कि नुकसानदेह हो सकता है.

इंडियन चेस्‍ट सोसायटी के सदस्‍य और जाने-माने एंडोक्राइनोलॉजिस्‍ट डॉ. संजय कालरा कहते हैं कि जो लोग रोजाना नियमित तौर पर सेंधा नमक ले रहे हैं और ये सोच रहे हैं कि यह साधारण नमक के मुकाबले अच्‍छा है तो वे दो गलतियां कर रहे हैं. पहली गलती तो यह है कि सेंधे नमक में आयोडीन नहीं होता. ऐसे में आयोडीन की कमी का खतरा पैदा होता है. दूसरा ये कि लोगों को ये भ्रम में है कि इसमें नमक या सोडियम कम है तो इसे खूब खाया जा सकता है और यह साधारण नमक के मुकाबले कम नुकसान करेगा. यह धारणा एकदम गलत है. यहां ध्‍यान देने वाली बात यह है कि जो साधारण या टेबल साल्‍ट है उसमें तो सोडियम होता ही है लेकिन सेंधे नमक में भी सोडियम क्‍लोराइड उतनी ही मात्रा में होता है. ऐसे में सेंधा नमक, सामान्‍य नमक से बिल्‍कुल भी अलग नहीं है.

सेंधे नमक के बाद भी बढ़ रहे हाई बीपी के मरीज
डॉ. कालरा कहते हैं कि भले ही लोगों ने सेंधा नमक खाना शुरू कर दिया है लेकिन देश में हाई-ब्‍लड प्रेशर या हाइपरटेंशन की समस्‍या बढ़ रही है. कई ऐसे मरीज आते हैं जिन्‍हें सेंधा नमक खाने के बाद भी ये परेशानियां हैं, या फिर ये बीमारियां होने के बाद भी भ्रम में ज्‍यादा सेंधा नमक खा रहे हैं. दिलचस्‍प बात ये है कि भारत में समस्‍या साधारण नमक या टेबल साल्‍ट नहीं है बल्कि नमक की भारी मात्रा का इस्‍तेमाल है. मात्रा कम करने के बजाय वे सेंधे नमक का इस्‍तेमाल कर समझते हैं कि ये अब फायदा पहुंचाएगा. जबकि वह नुकसान ही पहुंचाता है.

बेहद दिलचस्‍प है कि साउथ अमेरिका में भारतीयों की यानो-मामो जनजाति (Yano-Mamo) है, इसके अलावा भारत में जारवा जनजाति है जो अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहती है. ये जनजातियां कभी भी नमक नहीं खाती हैं. कहा जाता है कि जब इन्‍हें कोई नमकीन चीज दी जाती है तो इनको हाई (High) की समस्‍या होने लगती है, जो आमतौर पर एल्‍कोहल लेने के बाद होती है. डॉ. कालरा कहते हैं कि अगर ये लोग बिना नमक के रह सकते हैं तो हम लोग अपने रूटीन खाने में नमक का इस्‍तेमाल कम से कम तो कर ही सकते हैं. सेंधा नमक खाने का कोई खास फायदा नहीं है, उल्‍टा नुकसान ही है, इसलिए जितना भी संभव हो आयोडाइज्‍ड नमक ही खाएं.

वहीं डॉ. मोहित गुप्‍ता कहते हैं कि कोई भी नमक खराब नहीं है, हर नमक अलग प्रकार से लाभ देता है, इसके साथ ही कोई भी नमक चाहे वह सेंधा ही है पूरी तरह लाभप्रद नहीं है. मुख्‍य चीज है कि नमक की मात्रा को कम किया जाए. प्रतिदिन दो ग्राम से ज्‍यादा नमक का इस्‍तेमाल हार्ट ही नहीं बल्कि सामान्‍य मरीजों के लिए भी नुकसानदायक है. चटनी, अचार, टिन्‍ड जूस या प्रिजर्वेटिव्‍स वाले पदार्थों में सामान्‍य से पांच गुना ज्‍यादा नमक होता है, इनका इस्‍तेमाल पूरी तरह बंद करना होगा.

सेंधा नमक पैदा कर सकता है ये परेशानियां

Tags: Blood Pressure Machine, Heart Disease, India pakista, Salt assembly by-election

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