Skin Care Tips: गर्मियों में त्‍वचा से जुड़ी गंभीर समस्‍याएं और बचाव के सीक्रेट टिप्‍स


नई दिल्ली. दिल्‍ली एनसीआर सहित देश के कई शहरों का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार जा चुका है. क्‍या बढ़ते तामपान का असर हमारी त्‍वचा पर भी पड़ता है? यदि हां, तो क्‍या इसका असर सिर्फ सनबर्न तक सीमित है या फिर इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं. इन दोनों सवालों का जवाब हैं – हां.

इंद्रप्रस्‍थ अपाेलो हॉस्पिटल के डर्मेटोलॉजी डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्‍टेंट डॉ. डीएम महाजन के अनुसार, बहुत ज़्यादा गर्मी हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है, इसकी वजह से हीट स्ट्रोक (लू), गर्मी से थकान, सनबर्न जैसी समस्या के साथ-साथ एक्ज़िमा, एक्ने, फॉलीक्युलिटिस जैसी कई अन्‍य गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.

डॉ. डीएम महाजन के अनुसार, बढ़ते तामपान के साथ जरूरी है कि हम शरीर में हाइड्रेशन का स्तर ठीक बनाए रखें. इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि बहुत ज़्यादा गर्मी से त्वचा को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है.

त्‍वचा से जुड़ी कुछ बड़ी समस्‍याएं

सनबर्न सनबर्न गर्मियों में होने वाली त्वचा की सबसे आम समस्या है. इस मौसम में आप चाहे त्वचा पर सनस्क्रीन लगाएं और इसे नियमित रूप से लगाते रहें, तो भी धूप के कारण त्वचा को नुकसान पहुंचने की संभावना बहुत अधिक होती है. रोज़ाना अपनी त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए कम से कम 40 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन लगाएं. इसके अलावा, ऐसे कपड़े पहनें जो यूवी किरणों को रोक सकें, अपने चेहरे को ढकने के लिए हैट का उपयोग करें. अगर सनबर्न हो जाए तो धूप में जाने से बचें. आप जितना ज़्यादा धूप में जाएंगे, उतना ही त्वचा को नुकसान पहुंचने की संभावना बढ़ेगी.
एक्ज़िमा एक्ज़िमा एक क्रोनिक समस्या है, जिसके कारण त्वचा पर लाल पैच और दरारे बन जाती हैं, जिनमें खुजली होती है. गर्मियों के मौसम में एक्ज़िमा की संभावना बढ़ जाती है. तेज़ गर्मी के कारण कोहनी, घुटने के भीतरी हिस्सों पर पसीना जमा होता है, ऐसे में इन हिस्सों में एक्ज़िमा की संभावना अधिक हो जाती है. इससे बचने के लिए शरीर के तापमान को सामान्य बनाकर रखें, त्वचा पर मॉइश्चरइज़र लगाएं, साफ कपड़े पहनें और नियमित रूप से कपड़े बदलते रहें.
एक्ने जब ऑयल और बैक्टीरिया के कारण त्वचा के पोर्स बंद हो जाते हैं तो एक्ने की समस्या होने लगती है. मौसम में गर्मी होने पर ज़्यादा पसीना आता है और पसीने के कारण त्वचा से ऑयल और बैक्टीरिया आसानी से चिपकते हैं. इस वजह से गर्मी में एक्ने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसी त्वचा की खास देखभाल करें अपनी त्वचा को रगड़ने के बजाए, हल्के हाथ से पौंछ कर पसीना निकालें, क्योंकि रगड़ने से त्वचा की समस्या बढ़ सकती है. हमेशा ऐसे कपड़े पहनें जो पसीने को सोख लें. गर्मी में टोपी, तौलिए आदि का इस्तेमाल करें.
गर्मी के कारण रैश अगर पसीने की ग्लैण्ड्स बंद हो जाएं तो पसीना शरीर से बाहर नहीं निकल पाता. यह त्वचा के नीचे जमा होकर रैशेज़ का कारण बन जाता है. कभी कभी यह घमौरियां का रूप भी ले लेता है. इससे बचने के लिए दिन में ज़्यादा गर्मी के समय में बाहर न जाएं, इंडोर गतिविधियां करें. ठंडे और ढीली फिटिंग के कपड़े पहनें. अगर आपको पसीना आता है तो हल्के से पौंछे, त्वचा को सूखा रखें. शरीर का तापमान कम रखने के लिए नियमित रूप से ठण्डे पानी से नहाएं.
फॉलीक्युलिटिस यह एक तरह का इन्फेक्शन है जो हेयर फॉलिकल्स में होता है. फॉलीक्युलिटीज़ पिम्पल्स की तरह दिखते हैं, लेकिन अक्सर ये फूले हुए होते हैं और इनमें खुजली होती है. गर्मियों में पोर्स बंद होने के कारण पसीने पर बैक्टीरिया आसानी से पनप जाते हैं, इसलिए इस तरह के इन्फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए पसीना आने के बाद नहाएं. नहाने के बाद दोबारा पसीने वाले कपड़े न पहनें. इसके अलावा पूरे शरीर पर नॉन कॉमेडोजनिक सनस्क्रीन लगाएं.
कीड़ों के काटने की समस्या गर्मियों में कीड़े, जैसे मच्छर आदि काटने की संभवना भी बढ़ जाती है, क्योंकि इस मौसम में हम घर से बाहर ज़्यादा रहते हैं. कीड़ों के काटने पर उनकी लार यानि सलाईवा त्वचा पर ही छूट जाती है, जो शरीर में हिस्टामाईन रिस्पॉन्स का कारण बनती है. इसकी वजह से त्वचा पर लालगी, खुजली, दाने जैसे लक्षण हो सकते हैं. इसलिए इस मौसम में पूरी बाजू और पैंट जैसे ढके कपड़े पहनें, कीटों से बचने के रेपेलेन्ट क्रीम लगाएं. अगर कोई कीड़ा या मच्छर काट जाए, तो इसे न खरोंचें. ऐसा करने से त्वचा पर जलन हो सकती है और घाव भरने में ज़्यादा समय लग सकता है.
मेलास्मा मेलास्मा एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा पर अलग से रंग के धब्बे पड़ जाते हैं. पहले यह समस्या चेहरे पर होती है, ये धब्बे ग्रे या भूरे रंग के होते हैं. आमतौर पर मेलास्मा के मरीज़ों को यह समस्या साल भर रहती है, लेकिन धूप के संपर्क में आने से धब्बे गहरे रंग के होजाते है. इससे बचने के लिए धूप में न जाएं, सनस्क्रीन लगाएं, बाहर जाने सेपहले टोपी पहलें. अगर आपको गंभीर मेलास्मा है तो डॉ..क्टर से इलाज कराएं.
एथलीट्स फुट एथलीट्स फुट एक आम फंगल इन्फेक्शन है, इसमें पैरों की अंगुलियों के बीच की त्वचा के खुजली और रैश हो जाते हैं. यह साल के किसी भी समय में हो सकता हे, लेकिन अक्सर इसकी संभावना तब ज़्यादा होती है जब पैरों में ज़्यादा पसीना आए. इससे बचने के लिए पैरों को सूखा रखें. जूतों में और पैरों की अंगुलियों के बीच एंटीफंगल पाउडर लगाएं. इसके अलावा अपनी जुराबें बदलते रहें. गीले जूते न पहनें.

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कैसे करें त्वचा में खुश्की और जलन से बचाव

जब बाहरी हवा में गर्मी और उमस होती है तो त्वचा में खुश्की और जलन की संभावना बढ़ जाती है. इस मौसम में धूप, पूल या एंयरकंडीशनिंग में ज़्यादा समय तक रहना भी त्वचा के लिए अच्छा नहीं होता. अगर आपकी त्वचा में खुश्की और जलन है तो इन सुझावों को अपनाएं…

  1. पूल से बाहर आते ही तुरंत शावर लें और बालों को शैम्पू से धोएं. नहाने के लिए ताज़ा साफ पानी और माइल्ड क्लेंज़र या बॉडी वॉश इस्तेमाल करें.
  2. बाहर जाने से पहले सनस्क्रहन लगाएं. ब्रॉड स्पैक्ट्रम, एसपीएफ 30 प्लस और वॉटर रेज़िस्टेन्ट सनस्क्रीन चुनें.
  3. त्वचा को धोने के लिए माइल्ड क्लेंज़र चुनें. जिस बॉडी वॉश पर ‘एंटीबैक्टीरियल’ या ‘डियोड्रेन्ट’ लिखा होता है, वह आपकी त्वचा को ज़्याद खुश्क कर सकता है.
  4. गर्म पानी के बजाए गुनगुने या ठण्डे पानी से नहाएं.
  5. नहाने के बाद बिना खुशबु वाला मॉइश्चराइज़र लगाएं. गीली त्वचा पर मॉइश्चराइज़र लगाने से त्वचा में नमी लॉक हो जाती है, इसलिए नहाने के बाद 5 मिनट के अंदर मॉइश्चराइज़र लगा लें.
  6. अपना मॉइश्चराइज़र हमेशा अपने साथ रखें, हाथा धोने के बाद या जब भी त्वचा में खुश्की महसूस हो, इसे लगाएं. तो गर्मियों के सीजन में अपनी त्वचा की खास देखभाल करें.

Tags: Health tips, Sehat ki baat, Skin care

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