टीबी से मिलती-जुलती फेफड़े की अन्य बीमारियों में भी कारगर है मलेरिया की दवा – स्टडी


Anti-Malaria Drugs Can Fight Pulmonary Disease : फेफड़े के रोगों (Lung Diseases) के इलाज की दिशा में वैज्ञानिकों को एक नई कामयाबी मिली है. अमेरिका की कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी (Colorado State University) यानी सीएसयू के रिसर्चर्स की एक टीम ने अपनी नई स्टडी में पाया है कि मलेरिया (Malaria) के इलाज में उपयोग की जाने वाली दवाएं टीबी (Tuberculosis disease) से मिलती-जुलती फेफड़े की अन्य संक्रामक बीमारियों में भी कारगर हैं. ये स्टडी इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि टीबी संक्रमण से ज्यादा लोग गैर-टीबी मायकोबैक्टीरिया (mycobacteria) या एनटीएम (NTM) से संक्रमित होते हैं और ये संक्रमण उन लोगों में ज्यादा होता है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है या वो क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी (chronic obstructive pulmonary disease) डिजीज या सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis) से पीड़ित होते हैं. रिसर्चर्स के अनुसार, डीओएसआरएस (DosRS) नामक एक रेगुलेटर है, जो बैक्टीरिया के कई जरूरी कामकाज को कंट्रोल करता है. इनमें उसका श्वसन (respiration), बायोफिल्म बनाना और विपरीत स्थितियों में सुसुप्तावस्था (hibernation) में जाना जैसी एक्टिविटी शामिल हैं.

ये बैक्टीरिया अपने आसपास के माहौल में कम आक्सीजन, आक्सीडेटिव स्ट्रेस तथा अम्लीय पीएच को भांपने में काफी सक्षम होता है. ये सारी चीजें रोगों से लड़ने में शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया के हिस्सा हैं. इस स्टडी का निष्कर्ष  ‘साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन (science translational medicine)’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

क्या कहते हैं जानकार
इस स्टडी के प्रमुख ऑथर्स में शामिल सीएसयू (CSU) के डिपार्टमेंट आफ माइक्रोबायोलाजी, इम्युनोलॉजी एंड पैथोलाजी की प्रोफेसर मैरी जैक्सन (Professor Mary Jackson) का कहना है, इस समय एनटीएम (Nontuberculous mycobacteria) के इलाज के लिए बहुत कम एंटीबायोटिक उपलब्ध हैं और कुछ रोगियों पर तो उन दवाओं का असर भी नहीं होता है.

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आमौतर पर ये देखा गया कि मलेरिया रोधी दवाएं, जो पहले ही एडवांस क्लिनिकल ट्रायल से गुजर चुकी हैं, इस प्रकार के संक्रमण से मुकाबले में तात्कालिक तौर पर उपयोगी हो सकती है. फिलहाल मायकोबैक्टीरियम (mycobacterium) के खिलाफ कुछ ही दवाएं असरकारी हैं और वे भी विषाक्तता (poisoning) पैदा करती हैं, जिसका काफी साइडइफैक्ट होता है.

स्टडी में क्या निकला
रिसर्चर्स ने चूहों पर किए प्रयोग में पाया कि मलेरिया रोधी दो दवाएं डीओएसआरएस को स्ट्रेस के प्रति प्रतिक्रिया करने से रोकता है. जिसका मतलब है कि बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं और प्रतिरक्षा प्रणाली की प्राकृतिक रोग प्रतिक्रिया से लड़ने के लिए संघर्ष करता है. यह रेगुलेटर को ब्लाक कर देता है और उसे अपना काम करने से रोकता है.

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प्रोफेसर मैरी जैक्सन (Professor Mary Jackson)  ने बताया कि इस नए इलाज की सबसे बड़ी बात ये रही कि बैक्टीरिया का बायोफिल्म बनाने की क्षमता को कम किया जा सका. उससे बैक्टीरिया का एंटीबायोटिक प्रतिरोध (antibiotic resistance) कम हुआ और दवा ज्यादा प्रभावी हुई. इस इलाज से फेफड़े में बैक्टीरियल लोड उसी प्रकार से कम हुआ, जैसा कि इलाज में इस्तेमाल किए जा रहे मौजूदा एंटीबायोटिक्स से होता है.

Tags: Health, Health News, Lifestyle, TB

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