Linking Aadhaar to Voter card: चुनाव कानून संशोधन अधिनियम के खिलाफ याचिका पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट


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आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक करना अनिवार्य करने पर अब राजनीति शुरू हो गई है। वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने को लेकर किए गए चुनाव कानून संशोधन अधिनियम के खिलाफ कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुरजेवाला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी।

वोटर कार्ड को आधार से लिंक करना असंवैधानिक: सुरजेवाला
कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने अपनी याचिका में कहा है कि वोटर कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करना नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और यह असंवैधानिक है और संविधान के विपरीत है। कांग्रेस का एक तर्क यह भी है कि आधार नागरिकता का नहीं बल्कि निवासी होने का प्रमाण है, जबकि वोटर आईडी कार्ड नागरिकता का अधिकार देता है।

आधार डाटा को इलेक्ट्रॉनिक इलेक्टोरल फोटो पहचान पत्र डाटा के साथ जोड़ने से मतदाताओं का व्यक्तिगत और निजी डाटा एक वैधानिक प्राधिकरण को उपलब्ध होगा और यह मतदाताओं पर एक सीमा लागू करेगा। यानी मतदाताओं को अब अपने संबंधित आधार विवरण प्रस्तुत करके निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (प्रतिवादी संख्या दो) के समक्ष अपनी पहचान स्थापित करनी होगी।

नागरिकों के डाटा की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में नागरिकों के डाटा की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है, इस तथ्य से स्थिति और गंभीर हो जाएगी। याचिका में दावा किया गया है कि चुनाव कानून में संशोधन मतदाता के प्रोफाइलिंग को भी सक्षम कर सकता है क्योंकि आधार से जुड़ी सभी जनसांख्यिकीय जानकारी मतदाता पहचान पत्र से जुड़ी होगी।

मतदाता को मताधिकार से वंचित करने की संभावना बढ़ सकती है
यह सैद्धांतिक रूप से मतदाताओं की पहचान के आधार पर मताधिकार से वंचित करने/धमकाने की संभावना को भी बढ़ा सकता है। याचिका में कहा गया है कि “यह मतदाताओं की निगरानी और मतदाताओं के निजी संवेदनशील डाटा के व्यावसायिक शोषण की संभावना को भी बढ़ा सकता है।”

सरकार के चुनाव सुधार कार्यक्रम का हिस्सा
मौजूदा केंद्र सरकार के चुनाव सुधार कार्यक्रम के तहत निर्वाचन आयोग ने आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र के जरिए इलेक्टोरल डाटा के साथ जोड़ने का प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसका मकसद एक ही व्यक्ति के नाम से कई वोटर आईडी को खत्म करना है। साथ ही चुनावी प्रक्रिया को त्रुटि रहित बनाना है। इसके लिए बने संशोधित कानून के मुताबिक इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर किसी भी व्यक्ति से उसका आधार नंबर मांग सकता है। हालांकि इससे जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि आधार कार्ड या नंबर सिर्फ पहचान है का दस्तावेज है, लेकिन ये नागरिकता का आधार नहीं है।

विपक्षी दल कर रहे लगातार विरोध
आधार और वोटर आईडी को लिंक करने का लगभग सभी विपक्षी दल लगातार विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में इसे लेकर अपना पुरजोर विरोध दर्ज कराया है। विपक्षी दलों का कहना है कि आधार व्यवस्था में कई खामियां हैं और ऐसे में अगर वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक किया जाता है तो इसका नुकसान गरीब मतदाताओं को होगा। वहीं यह लोगों के निजता के अधिकार का भी हनन करता है। कांग्रेस के अलावा डीएमके, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना और बसपा ने भी आधार से वोटर आईडी लिंक कराने का पुरजोर विरोध किया है।

विस्तार

आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक करना अनिवार्य करने पर अब राजनीति शुरू हो गई है। वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने को लेकर किए गए चुनाव कानून संशोधन अधिनियम के खिलाफ कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुरजेवाला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी।

वोटर कार्ड को आधार से लिंक करना असंवैधानिक: सुरजेवाला

कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने अपनी याचिका में कहा है कि वोटर कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करना नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और यह असंवैधानिक है और संविधान के विपरीत है। कांग्रेस का एक तर्क यह भी है कि आधार नागरिकता का नहीं बल्कि निवासी होने का प्रमाण है, जबकि वोटर आईडी कार्ड नागरिकता का अधिकार देता है।

आधार डाटा को इलेक्ट्रॉनिक इलेक्टोरल फोटो पहचान पत्र डाटा के साथ जोड़ने से मतदाताओं का व्यक्तिगत और निजी डाटा एक वैधानिक प्राधिकरण को उपलब्ध होगा और यह मतदाताओं पर एक सीमा लागू करेगा। यानी मतदाताओं को अब अपने संबंधित आधार विवरण प्रस्तुत करके निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (प्रतिवादी संख्या दो) के समक्ष अपनी पहचान स्थापित करनी होगी।

नागरिकों के डाटा की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं

याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में नागरिकों के डाटा की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है, इस तथ्य से स्थिति और गंभीर हो जाएगी। याचिका में दावा किया गया है कि चुनाव कानून में संशोधन मतदाता के प्रोफाइलिंग को भी सक्षम कर सकता है क्योंकि आधार से जुड़ी सभी जनसांख्यिकीय जानकारी मतदाता पहचान पत्र से जुड़ी होगी।

मतदाता को मताधिकार से वंचित करने की संभावना बढ़ सकती है

यह सैद्धांतिक रूप से मतदाताओं की पहचान के आधार पर मताधिकार से वंचित करने/धमकाने की संभावना को भी बढ़ा सकता है। याचिका में कहा गया है कि “यह मतदाताओं की निगरानी और मतदाताओं के निजी संवेदनशील डाटा के व्यावसायिक शोषण की संभावना को भी बढ़ा सकता है।”

सरकार के चुनाव सुधार कार्यक्रम का हिस्सा

मौजूदा केंद्र सरकार के चुनाव सुधार कार्यक्रम के तहत निर्वाचन आयोग ने आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र के जरिए इलेक्टोरल डाटा के साथ जोड़ने का प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसका मकसद एक ही व्यक्ति के नाम से कई वोटर आईडी को खत्म करना है। साथ ही चुनावी प्रक्रिया को त्रुटि रहित बनाना है। इसके लिए बने संशोधित कानून के मुताबिक इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर किसी भी व्यक्ति से उसका आधार नंबर मांग सकता है। हालांकि इससे जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि आधार कार्ड या नंबर सिर्फ पहचान है का दस्तावेज है, लेकिन ये नागरिकता का आधार नहीं है।

विपक्षी दल कर रहे लगातार विरोध

आधार और वोटर आईडी को लिंक करने का लगभग सभी विपक्षी दल लगातार विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में इसे लेकर अपना पुरजोर विरोध दर्ज कराया है। विपक्षी दलों का कहना है कि आधार व्यवस्था में कई खामियां हैं और ऐसे में अगर वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक किया जाता है तो इसका नुकसान गरीब मतदाताओं को होगा। वहीं यह लोगों के निजता के अधिकार का भी हनन करता है। कांग्रेस के अलावा डीएमके, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना और बसपा ने भी आधार से वोटर आईडी लिंक कराने का पुरजोर विरोध किया है।



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