अमेरिकी बाजार में गिरावट ने 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ा, अभी और होगी गिरावट, भारत पर क्या होगा इसका असर?


नई दिल्ली. इस साल अब तक शेयरों में आई गिरावट ने अमेरिकी निवेशकों को बहुत नुकसान दिया है. हालांकि, अभी यह साल अभी आधा बाकी है और आगे भी बाजार की चाल उतार-चढ़ाव भरी रह सकती है. बता दें कि अमेरिका में 1970 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी साल की पहली छमाही में इतनी अधिक बिकवाली देखी गई हो.

ब्लूमबर्ग के एक लेख के अनुसार, अमेरिका में निवेशकों को 3 तरह का खतरा दिख रहा है. महंगाई, मंदी और उपभोक्ता आत्मविश्वास में कमी. अमेरिकी में निवेशकों ने इस साल के लिए जो उम्मीदें की थी वह पूरी नहीं हुईं. निवेशकों को लगता है कि अगर मंदी आई तो कंपनियों का मूल्यांकन और नीचे चला जाएगा.

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बाजार अभी और नीचे जाएगा
हॉराइजन इनवेस्टमेंट के मुख्य निवेश अधिकारी स्कॉट लैंडर का कहना है कि बाजार अब यहां से ऊपर नहीं जाएगा व आगे इसमें और 10 फीसदी की गिरावट आएगी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक की पॉलिसी में बदलाव के बाद ही बाजार अपने निचले स्तर से ऊपर निकलेगा. बकौल लैंडर, अगले कुछ महीनों में इसकी कोई उम्मीद नहीं है. मॉर्गन स्टेनली के माइकल जे. विल्सन ने कहा है कि आर्थिक संकुचन का पूरा असर दिखने के लिए एसएंडपी में और 15-20 फीसदी से अधिक गिरावट आने का अनुमान है. उनका कहना है कि यह करीब 3000 अंक और गिरेगा. वहीं, सैक्सो बैंक के पीचर गार्नरी ने कहा है कि बाजार में अभी और 17 फीसदी के गिरावट का अनुमान है.

सबसे अधिक गिरावट वाले शेयरों की सूची में 2022
खबर के अनुसार, फेडरल रिजर्व फिलहाल लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय नहीं करेगा. वह मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए नीतिगत दरों में वृद्धि जारी रखेगा. इस साल कई दिन बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई. 2022 में ऐसे 14 दिन रहे जब एसएंडपी 500 में 2 फीसदी से अधिक की गिरावट देखी गई. इसलिए यह साल सबसे अधिक गिरावट वाले वर्षों की सूची में शामिल हो गया.

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भारत पर क्या होगा असर
फेड रिजर्व के  ब्याज दरें और बढ़ाने से कर्ज लेकर भारत जैसे देशों में तगड़े रिटर्न की उम्मीद करने वाले लोगों को तगड़ा झटका लगेगा. वे भारतीय बाजारों से पैसा निकालना शुरू कर देंगे. अमेरिका में मंदी की वजह से भारत का रुपया कमजोर और जिससे आयात महंगा हो जाएगा जिसका सीधा प्रभाव आपके रोजमर्रा के खर्च पर होगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही रुपया डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर तक गिर जाएगा. इसके बाद ब्याज दरें बढ़ने से अमेरिकी निवेशकों को अपने देश में पैसा कमाने का अच्छा मौका मिलेगा और इस वजह से भी वह भारत से पैसा निकालेंगे.

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