रात 9 बजे के बाद सोने वाले बच्चों में मोटापे का खतरा, सीखने की क्षमता पर भी पड़ता है असर


आजकल के लाइफस्टाइल में बच्चों की देखभाल करना पेरेंट्स के लिए बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि हमारे खुद के बिगड़े रूटीन की वजह से हम बच्चों पर चीजों को जल्दी-जल्दी करने का दबाव डालते हैं. ऑफिस से लेट आने और फिर टीवी या मोबाइल में लग जाना, डिनर लेट करना और फिर देर से सोना, आजकल के लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गया है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बच्चों का सही समय सोना कितना जरूरी है? अगर आपका बच्चा रात को देर तक जागता है, तो आपको थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है. दैनिक भास्कर अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, देर रात तक जगने वाले 6 साल तक के बच्चों में भी मोटापे का खतरा हो सकता है.

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, जो बच्चे रात 9 बजे या उसके बाद तक जागते रहते हैं, उनमें मोटापा और वजन बढ़ने की आशंका अधिक होती है. खासकर, जिनके माता-पिता मोटापे से ग्रस्त हैं.

क्या कहते हैं जानकार
स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर, डॉ. क्लाउड मार्कस के अनुसार, मोटापे से ना केवल हार्ट डिजीज, डायबिटीज, बीपी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है, बल्कि ये मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करता है. दरअसल, देर से सोने वाले बच्चों की नींद पूरी हो पाती है, जिससे उनमें इंसुलिन और ग्लूकोज प्रॉसेस नहीं हो पाता और मोटापा बढ़ता है.

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बच्चों के पूरी नींद लेने के कई फायदे
रिसर्चर्स ने पाया कि जो बच्चे पूरी नींद लेते हैं उनमें सीखने और अपने काम करने की क्षमता ज्यादा होती है. स्टडी के अनुसार, पर्याप्त नींद लेने वाले बच्चों में सीखने की ललक 44% तक ज्यादा होती है. यही नहीं इनमें देर तक सोने वाले बच्चों की तुलना में स्कूल का होमवर्क पूरा करने की संभावना 33% अधिक होती है. स्कूल में भी इनका प्रदर्शन 28% तक अधिक होता है.

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सोने से पहले का रूटीन
अगर आप बच्चे बच्चों को भविष्य में बीमारियों से दूर रखना चाहते हैं तो उनकी अच्छी नींद सुनिश्चित करें. आपको उनकी पर्याप्त नींद के लिए सोने के 30 मिनट पहले एक फिक्स रूटीन बनाना होगा. जिसमें आप उन्हें ब्रश कराएं, कहानियां सुनाएं, या उनसे कोई गीत या कविता सुनाने को कहें. बच्चों को कोई किताब पढ़ने के लिए भी कह सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि इस रूटीन में मोबाइल या टीवी देखने के लिए बिल्कुल ना कहें.

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