Parliament: सांसदों के निलंबन की कहानी, जब एक साथ 63 सांसद हुए थे निलंबित, क्यों और कैसे होती है कार्रवाई?


संसद सत्र में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। विपक्ष के हंगामे के बीच दो दिनों के अंदर राज्यसभा और लोकसभा से अब तक विपक्ष के 24 सांसद निलंबित हो चुके हैं। 20 सांसदों को एक हफ्ते के लिए निलंबित किया गया है, जबकि चार को पूरे सत्र के लिए। 

हफ्तेभर के लिए निलंबित होने वाले सांसदों में तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी के सात, डीएमके छह, टीआरएस के तीन, सीपीएम के दो, सीपीआई के एक और आप के संजय सिंह शामिल हैं। इससे पहले लोकसभा के चार सांसदों को पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था। इनमें कांग्रेस सांसद  ज्योतिमणि, राम्या हरिदास, मणिकम टैगोर, टीएन प्रतापन शामिल हैं। 

ये पहली बार नहीं है, जब सत्र के दौरान हंगामा करने पर सांसदों को निलंबित किया गया हो। 1989 में तो एक बार एक साथ 63 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। आज हम आपको कुछ ऐसी ही कहानी बताएंगे… 

 

किस नियम के तहत सांसद होते हैं निलंबित? 

राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के अध्यक्ष के पास कुछ शक्तियां हैं। इसके जरिए वह सांसदों को निलंबित कर सकते हैं। इसका जिक्र लोकसभा और राज्यसभा के रूलबुक में है। इसके मुताबिक, अगर सदन में सांसद अव्यवस्था फैला रहे हैं तो उन्हें निलंबित किया जा सकता है। राज्यसभा में नियम 255 और 256 के तहत सभापति सदस्यों को निलंबित करने की ताकत रखते हैं। वहीं, लोकसभा के अध्यक्ष के पास रूलबुक के नियम 373 और 374 के तहत ऐसी शक्तियां हैं।

 

राज्यसभा में कब निलंबित हो सकते हैं सांसद? 

राज्यसभा के रूलबुक के नियम 255 के तहत सभापति को अगर यह लगता है कि किसी सांसद का व्यवहार सदन के संचालन के लिहाज से सही नहीं है तो वो उस सदस्य को सदन से बाहर जाने को कह सकते हैं। अगर सभापति को लगता है कि सदस्य का व्यवहार बिल्कुल ठीक नहीं है और वह उनकी बातों को बिल्कुल अनसुनी कर रहे हैं तो रूलबुक के नियम 256 के तहत राज्यसभा के सभापति ऐसे सदस्यों को निलंबित करने का प्रस्ताव सदन में रख सकते हैं। वह सीधा सदस्यों को निलंबित नहीं कर सकते हैं। पहले सभापति सदन में सदस्यों के निलंबन का प्रस्ताव रखते हैं और फिर उसके पास होने के बाद सांसदों का निलंबन प्रभावी हो जाता है।

 

लोकसभा में कैसे होता है सदस्यों का निलंबन? 

लोकसभा के रूलबुक 373 और 374 के तहत अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह सांसदों को निलंबित कर सकता है। राज्यसभा के सभापति के उलट लोकसभा अध्यक्ष के पास सांसदों को सीधे निलंबन का अधिकार होता है। इसी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कांग्रेस के चार सांसदों को निलंबित किया है। लोकसभा अध्यक्ष इस शक्ति का इस्तेमाल किसी सदस्य को 5 बैठकों तक के लिए निलंबित करने के लिए कर सकता है।

 

क्या इसे कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है?

संविधान के आर्टिकल 105 (2) के तहत भारत में संसद में किए गए किसी भी व्यवहार के लिए कोई सांसद किसी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। यानी सदन में कही गई किसी भी बात को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को संसद में कुछ भी करने की छूट मिली है।

एक सांसद जो कुछ भी कहता है वो राज्यसभा और लोकसभा की रूल बुक से कंट्रोल होता है। इस पर सिर्फ लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ही कार्रवाई कर सकते हैं। 

 



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