आज का शब्द: चपल और हरिवंशराय बच्चन की रचना- सृष्टि के प्रारंभ में


                
                                                             
                            'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- चपल, जिसका अर्थ है- चंचल, चुलबुला, उतावला या चालाक। प्रस्तुत है हरिवंशराय बच्चन की कविता- सृष्टि के प्रारंभ में
                                                                     
                            

एक

सृष्टि के प्रारंभ में 
मैंने उषा के गाल चूमे, 
बाल रवि के भाग्यवाले 
दीप्त भाल विशाल चूमे

प्रथम संध्या के अरुण दृग
चूमकर मैंने सुलाए, 

तारिका-कलि से सुसज्जित 
नव निशा के बाल चूमे, 

वायु के रसमय अधर 
पहले सके छू होंठ मेरे, 
मृत्तिका की पुतलियों से 
आज क्या अभिसार मेरा!
कह रहा जग वासनामय 
हो रहा उद्गार मेरा!

दो

विगत-बाल्य वसुंधरा के 
उच्च तुंग-उरोज उभरे, 

तरु उगे हरिताभ पट धर 
काम के ध्वज मत्त फहरे, 

चपल उच्छृंखल करों न 
जो किया उत्पात उस दिन, 

है हथेली पर लिखा वह, 
पढ़ भले ही विश्व हहरे;

प्यास वारिधि से बुझाकर 
भी रहा अतृप्त हूँ मैं, 
कामिनी के कुच-कलश से 
आज कैसा प्यार मेरा!
कह रहा जग वासनामय
हो रहा उद्गार मेरा!

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1 minute ago



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