ब्रेन को जल्दी बूढ़ा कर देती है टाइप 2 डायबिटीज – स्टडी


लाइफस्टाइल डिजीज डायबिटीज का असर केवल हमारे शरीर पर ही नहीं, बल्कि ब्रेन पर भी पड़ता है.  एक स्टडी में साइंटिस्टों ने पाया है कि टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes ) से ग्रस्त लोगों के ब्रेन की उम्र (एजिंग) एक हेल्दी व्यक्ति की तुलना में करीब 26% तेजी से बढ़ती है. या यूं कहें कि रोगी का ब्रेन तेजी से बूढ़ा होता है. यही नहीं, टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की संज्ञानात्मक क्षमता (सोचने-समझने की क्षमता) भी घट जाती है.

इस स्टडी के नतीजों को ई लाइफ (E-Life) जर्नल में प्रकाशित किया गया है. जब तक टाइप-2 डायबिटीज का औपचारिक रूप से डायग्नोज किया जाता है, तब तक ब्रेन को पहले से ही क्षति हो चुकी होती है. इसलिए ब्रेन में डायबिटीज से जुड़े परिवर्तनों का पता लगाने के लिए संवेदनशील तरीकों की तत्काल जरूरत है.

कैसे हुई स्टडी
इस स्टडी के लिए  50 साल से लेकर 80 साल तक की आयु वर्ग के 20 हजार लोगों के ब्रेन स्कैन और ब्रेन क्षमता का मूलांकन किया गया. नतीजों की तुलना लगभग 100 अन्य स्टडीज के मेटा-विश्लेषण से की गई. उनके विश्लेषण से पता चला कि टाइप-2 डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति की काम करने की याददाश्त और सीखने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है.

क्या कहते हैं जानकार
अमेरिका की स्टोनी ब्रुक यूनिवर्सिटी (Stony Brook University) में डॉक्टरेट के छात्र, बोटोंड एंटाल (Botond Antal) के अनुसार, डायबिटीज को डायग्नोज करने के लिए रूटीन क्लिनिकल असेसमेंट आमतौर पर ब्लड शुगर, इंसुलिन के लेवल और बॉडी मास पर्सेंटेज पर ध्यान केंद्रित करते हैं. हालांकि, टाइप 2 डायबिटीज के न्यूरोलॉजिकल इफैक्ट्स स्टैंडर्ड मैजर्स (मानक उपायों) द्वारा पता लगाए जाने से कई साल पहले खुद को प्रकट कर सकते हैं.

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स्टडी में क्या निकला
कम्प्यूटेशनल न्यूरोडायग्नोस्टिक्स (Computational Neurodiagnostics) लैब के निदेशक लिलियन मुजिका-पारोदी (Lilianne Mujica-Parodi) के अनुसार, “हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज और इसकी प्रगति त्वरित ब्रेन एज बढ़ने के साथ जुड़ी हो सकती है, कॉम्प्रोमाइज एनर्जी एवेलिबिलिटी की वजह से ब्रेन स्ट्रक्चर और फंक्शन में अहम बदलाव हो सकता है.”

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मुजिका-पारोदी ने आगे बताया, “जब तक डायबिटीज का औपचारिक रूप से निदान किया जाता है, तब तक ये क्षति पहले ही हो चुकी होती है, हमारे नतीजे टाइप 2 डायबिटीज और इलाज रणनीतियों के लिए ब्रेन-आधारित बायोमार्कर में रिसर्च की जरूरत को रेखांकित करते हैं, जो विशेष रूप से इसके न्यूरोकॉग्नेटिव इफैक्ट्स को लक्षित करते हैं.”

Tags: Diabetes, Health, Health News, Lifestyle

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