U-19 World Cup: युवराज को आदर्श मानते हैं फाइनल में पांच विकेट लेने वाले बावा, दादा ने जीता था ओलंपिक गोल्ड


आईसीसी अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में तेज गेंदबाज राज बावा ने घातक गेंदबाजी से इंग्लैंड के टॉप ऑर्डर को तहस नहस कर दिया। इस विश्व कप में बावा एक बेहतरीन ऑलराउंडर बनकर उभरे हैं। उन्होंने टूर्नामेंट में अब तक चार पारियों में 72.33 की औसत से 217 रन बनाए हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 110.71 का रहा। इस दौरान बावा ने 17 चौके और नौ छक्के लगाए हैं।

फाइनल में कमाल की गेंदबाजी की

वहीं, गेंदबाजी में बावा शुरुआती कुछ मैचों में ज्यादा विकेट नहीं ले पाए, लेकिन फाइनल में वह बड़े मैच के खिलाड़ी बनकर उभरे। उन्होंने इंग्लैंड के पांच बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा। इसमें लगातार दो गेंदों पर दो विकेट भी शामिल है। उन्होंने टूर्नामेंट में छह मैच में 22.2 के स्ट्राइक रेट से नौ विकेट चटकाए हैं। फाइनल में 31 रन देकर पांच विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। 

राज भारत की ओर से किसी भी अंडर-19 विश्व कप फाइनल में पांच विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज बन गए हैं। उनकी बॉलिंग फिगर 31 रन देकर पांच विकेट फाइनल की सर्वश्रेष्ठ बॉलिंग फिगर है। बावा के पास अच्छी गति भी है। ऐसे में वह भविष्य में भारत के फास्ट बॉलिंग ऑलराउंडर के विकल्प हो सकते हैं।

अंडर-19 विश्व कप फाइनल में भारत की ओर से सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी

  • 31/5 राज बावा, 2022 
  • 8/4 पीयूष चावला 2006,
  • 30/4 रवि बिश्नोई, 2020
  • 34/4 रवि कुमार, 2022
  • 54/4 संदीप शर्मा, 2012

शिखर धवन का रिकॉर्ड भी तोड़ा था

राज बावा ने इस विश्व कप में शिखर धवन का भी रिकॉर्ड तोड़ा था। उन्होंने युगांडा के खिलाफ ग्रुप स्टेज के मैच में 108 गेंदों पर 162 रन की पारी खेली थी। इसमें 14 चौके और आठ छक्के शामिल थे। इस पारी से उन्होंने धवन के 2004 अंडर-19 विश्व कप में किसी भारतीय द्वारा बनाए गए सबसे ज्यादा रन के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। धवन ने तब स्कॉटलैंड के खिलाफ 155 रनों की पारी खेली थी। अब 162 रन बनाकर बावा उनसे आगे निकल गए।

दादा तरलोचन सिंह गोल्ड जीत चुके

राज बावा को स्पोर्ट्स विरासत में मिली है। राज के दादा तरलोचन सिंह बावा 1948 में खेले गए लंदन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे थे। वहीं, राज के पिता सुखविंदर सिंह बावा क्रिकेट कोच रहे हैं। भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह सुखविंदर के क्रिकेट क्लब में प्रैक्टिस कर चुके हैं। राज ने युवराज को पिता के क्लब में बल्लेबाजी करते देखा है और उनकी ख्वाहिश भी युवराज सिंह जैसा बनने की है। इसलिए वह ऑलराउंडर बने। 

युवराज को कॉपी करने की कोशिश करते थे राज

राज ने इंडियन एक्स्प्रेस से बातचीत में बताया कि जब वह पांच साल के थे, तभी दादा तरलोचन का निधन हो गया था, लेकिन वह पिता से दादा की कहानियां सुनते थे। इसी से उन्हें खेल के प्रति रुचि बढ़ी। राज ने कहा- युवराज को बल्लेबाजी करते देखने के बाद जब मैंने पहली बार बल्ला उठाया, तो उन्हें ही कॉपी करने की कोशिश कर रहा था। धीरे-धीरे उन्हीं की तरह खेलना शुरू किया। युवराज मेरे रोल मॉडल हैं। युवराज की तरह राज भी बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं, लेकिन वह गेंदबाजी दाएं हाथ से करते हैं।

12 नंबर की जर्सी के पीछ ये है कहानी

राज बावा की जर्सी भी 12 नंबर की है। इसी जर्सी नंबर के साथ युवराज सिंह भी मैदान पर उतरते थे। युवराज का जन्मदिन भी 12 दिसंबर को पड़ता है। इतना ही नहीं राज के दादा तरलोचन सिंह का जन्म भी 12 फरवरी को हुआ था। राज भी अपना जन्मदिन भी 12 नवंबर को मनाते हैं। इतने ज्यादा संयोग की वजह से ही उन्होंने 12 नंबर की जर्सी चुनी। राज बताते हैं कि उन्हें बचपन में एक्टर बनने का भूत सवार था। उनके पिता को लगता था कि राज बड़ा होकर अभिनेता ही बनेगा।

India U-19 star Raj Angad Bawa carrying Olympic gold medallist grandfather  Tarlochan's legacy | Sports News,The Indian Express

धर्मशाला में क्रिकेट के प्रति दिलचस्पी बढ़ी

पिता सुखविंदर ने बताया कि राज को क्रिकेट में दिलचस्पी नहीं थी। मैंने भी उम्मीद छोड़ दी थी। एक बार वो मेरे साथ धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम गया था। हम एक लोकर टूर्नामेंट खेलने गए थे। मैं टीम का कोच था। यहीं से उसका मन बदला और क्रिकेट में दिलचस्पी लेने लगा। प्रैक्टिस सेशन के बाद राज मेरे पास आया और कहने लगा, ‘पापा मैं भी क्रिकेटर बनना चाहता हूं’। यहीं से उसके क्रिकेटर बनने की शुरुआत हुई। उस दिन मैं काफी खुश था।

गेंदबाजी के साथ बल्लेबाजी पर भी ध्यान दिया

सुखविंदर बताते हैं कि गुरुग्राम के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में मैंने पहली बार राज को गेंदबाजी करते देखा। तब राज करीब 11 साल के रहे होंगे। उसने लेदर बॉल से अपने पहले ही मैच में पांच विकेट लिए थे। इसके बाद मैंने उसके बॉलिंग एक्शन पर एक साल तक काम किया। साथ-साथ उसकी बल्लेबाजी पर भी ध्यान दिया। यही कारण है कि वह ऑलराउंडर बन सका। 

खुद की कामयाबी के लिए पिता को दिया श्रेय

राज भी पिता को श्रेय देने से नहीं चूकते हैं। वे कहते हैं- पापा को मेरे खेल के बारे में जानकारी थी। मैं शुरुआत से तेज गेंदबाज रहा हूं। पापा ने मुझसे बल्लेबाजी पर फोकस करने को कहा। आज उनकी ही बदौलत मैं ऑलराउंडर बन पाया हूं।



Source link

Enable Notifications OK No thanks