Uttarakhand: आखिर क्यों तय नहीं हो पा रहा नए CM का नाम? अचानक दिल्‍ली पहुंचे त्रिवेंद्र, कौशिक और धामी


देहरादून. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे (Uttarakhand Election Result) तो 10 मार्च को ही सामने आ गए थे, लेकिन राज्य के अगले मुख्यमंत्री का नाम अभी भी तय नहीं हो पाया है. साफ है कि बीजेपी आलाकमान इस पर कोई फैसला नहीं कर पाया है. वहीं, 10 मार्च को ही आए चुनाव नतीजों के बाद यूपी, गोवा, मणिपुर राज्यों में पार्टी मुख्यमंत्री का नाम तय कर चुकी है. यही नहीं, इन राज्यों में नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण कार्यक्रम की तैयारियां भी जोरों से चल रही हैं, लेकिन उत्तराखंड में अभी तक कोई नाम तय नहीं हो पाया है.

यही नहीं, केंद्रीय पर्यवेक्षकों के आने की तारीख भी लगातार टल रही है. पहले केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी को 19 मार्च को आना था. इसके बाद इसे 20 मार्च किया गया और अब इसे 21 मार्च बताया जा रहा है, लेकिन सटीक तारीख किसी बीजेपी नेता के पास नहीं है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत ने कहा कि पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में विधानमंडल दल की बैठक होगी और इस बैठक में विधायक एकमत से अपना नेता चुन लेंगे. साथ ही कहा कि इसकी तस्वीर अगले एक-दो दिन में साफ हो जाएगी.

पहले त्रिवेंद्र, फिर कौशिक और शाम को धामी दिल्‍ली पहुंचे
इस बीच शनिवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली पहुंचे तो शाम होते-होते अचानक बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी देश की राष्‍ट्रीय राजधानी पहुंच गए.इसी तरह रात होते-होते कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी भी दिल्ली रवाना हो गए. वहीं, तीनों नेताओं की दिल्ली की मौजूदगी किसी बड़े सियासी गुणा-गणित की तरफ इशारा कर रही है.

आखिर क्यों फंस रहा है पेंच?
पुष्कर सिंह धामी के खटीमा से चुनाव हारने के बाद उत्तराखंड के अगले मुख्यमंत्री का मामला पेचीदा हो चला है. वहीं, उनके चुनाव हारने के बाद कई नेता मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. अलग-अलग खेमों में बंटी बीजेपी में सीएम के चेहरे को लेकर एक राय नहीं है. बीजेपी के भीतर कई अनकहे खेमे हैं, जो बड़े राजनीतिक मौकों पर साफ-साफ नजर आते हैं. मुख्यमंत्री के मुद्दे पर इन खेमों को एक राय करना पार्टी आलाकमान के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जिसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल और विजय बहुगुणा प्रमुख राजनीतिक चेहरों में शामिल हैं, जो राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए सत्ता की बागड़ोर अपने किसी करीबी के हाथ रखना चाहते हैं. इसी खेमेबंदी में उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री का चेहरा फंसा हुआ है. इसी खेमेबंदी के कारण साल 2017 से 2022 तक राज्य में 57 विधायकों के बावजूद बीजेपी को दो मुख्यमंत्रियों को बदलकर पुष्कर सिंह धामी के रूप में तीसरा मुख्यमंत्री बनाना पड़ा था.

बहरहाल, धामी के चेहरे पर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा गया, लेकिन उनके खुद चुनाव हारने के बाद पार्टी में खेमेबंदी शुरू हो गई. भगत सिंह कोश्यारी भले ही इस समय महाराष्ट्र के राज्यपाल हों, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उनकी पूरी नजर राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम पर है. पूर्व मुख्यमंत्री कोश्यारी उत्तराखंड बीजेपी के नेताओं में सबसे वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए उनकी राय को नजरअंदाज करना पार्टी आलाकमान के लिए आसान नहीं. सूत्रों के मुताबिक, कोश्यारी ने पार्टी आलाकमान को पुष्कर सिंह धामी को ही दोबारा कमान सौंपने की सलाह दी है. वहीं, कोश्यारी ने धामी को सीएम न बनाए जाने की स्थिति में एक-दो ऐसे विधायकों के नाम सुझाए हैं जिन्हें राज्य की कमान सौंपी जा सकती है. वहीं, दूसरी तरफ पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की भी राय पार्टी आलाकमान ने ली है. वह खुद दिल्ली में डेरा डाल चुके हैं. जबकि पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के बारे में सूत्र बता रहे हैं कि वो किसी ब्राह्मण चेहरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की पैरवी कर रहे हैं.

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Tags: Pushkar Singh Dhami, Trivendra Singh Rawat, Uttarakhand assembly election result 2022, Uttarakhand elections



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