राजेश खन्ना के करियर को ऊंचाई पर पहुंचाने में वहीदा रहमान का भी रहा हाथ, ‘खामोशी’ फिल्म के लिए सुझाया था नाम


फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज एक्ट्रेस वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) पहले भी बला की खूबसूरत लगती थी अब 84 साल की उम्र में भी बेहद ग्रेसफुल लगती हैं. वहीदा उन एक्ट्रेस में शुमार हैं जिसने फिल्म इंडस्ट्री को अपने सामने फलते-फूलते, बदलते देखा है. सन 1955 में मात्र 17 बरस की वहीदा ने फिल्मी करियर शुरू किया था. यूं तो वहीदा ने इतने लंबे फिल्मी करियर में ‘सीआईडी’, ‘गाइड’, ‘चौदहवीं का चांद’, ‘साहिब बीबी और गुलाम’, ‘पत्थर के सनम’, ‘राम और श्याम’ जैसी कई शानदार फिल्मों में काम किया, लेकिन उनकी एक फिल्म ‘खामोशी’ के बारे में बताते हैं जो राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) के करियर में मील का पत्थर साबित हुई थी.

दरअसल, हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना उन दिनों नए-नए फिल्म इंडस्ट्री में आए थे और अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहे थे. बांग्ला और हिंदी फिल्मों के दिग्गज निर्देशक आसित सेन ने ‘दीप ज्वले जाई’ बांग्ला फिल्म को जब हिंदी में ‘खामोशी’ नाम से बनाने की सोची तो फिल्म में एक्टर के तौर पर राजेश खन्ना का नाम वहीदा रहमान ने ही सुझाया था.

वहीदा रहमान को पसंद आई थी ‘आखिरी खत’
दरअसल, वहीदा ने राजेश खन्ना के अभिनय से सजी फिल्म ‘आखिरी खत’ देखी थी. इस फिल्म में राजेश की अदाकारी से वहीदा खासा प्रभावित हुईं, उन्हें ‘खामोशी’ की कहानी के लिए राजेश सटीक लगे.  वहीदा ने आसित सेन को कहा तो उन्होंने भी राजेश का कास्ट कर लिया था. इस फिल्म में वहीदा रहमान की तारीफ तो हुई ही राजेश खन्ना को भी खूब पॉपुलैरिटी मिली थी. इस फिल्म के बाद उन्हें कई बड़े फिल्ममेकर्स ने नोटिस किया और अपनी फिल्मों का ऑफर दिया था.

rajesh khanna, waheeda rehman

‘खामोशी’ के एक सीन में राजेश खन्ना और वहीदा रहमान.(फोटो साभार: NFAI/twitter)

‘खामोशी’ एक यादगार फिल्म
1969 में रिलीज हुई फिल्म ‘खामोशी’ मानसिक रोगी अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स राधा की कहानी है जो अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के जद्दोजहद के बीच एक मरीज से प्यार कर बैठती है. इस फिल्म में वहीदा रहमान ने राधा के रोल में जबरदस्त अदाकारी दिखाई थी. इस फिल्म को फिल्मफेयर नॉमिनेशन मिला था, हालांकि उन्हें प्राइज नहीं मिला था. इस फिल्म को ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमैटोग्राफी के लिए फिल्मफेयर मिला था.

ये भी पढ़िए-देव आनंद की पहली कलर फिल्म Guide में काम करने के लिए वहीदा रहमान नहीं थीं तैयार, बदल दिए गए डायरेक्टर

‘खामोशी’ के यादगार गाने
इस फिल्म के गाने आज भी संगीतप्रेमियों की लिस्ट में शामिल रहती है. गजब के रुहानी गाने गुलजार ने लिखे थे और संगीत हेमंत कुमार ने दिया था.  ‘हमने देखी है उन आंखों की महकती खुशबू’, ‘वो शाम कुछ अजीब थी’, ‘तुम पुकार लो’ जैसे गाने अपनी पूरी ताजगी के साथ मौजूद है, इन्हें भला कोई भूल सकता है क्या ?

Tags: Rajesh khanna, Waheeda rehman

image Source

Enable Notifications OK No thanks