डिप्रेशन के इलाज के दौरान ब्रेन में किस तरह के होते हैं बदलाव, स्टडी में आया सामने


डिप्रेशन (Depression) यानी अवसाद के इलाज का प्रभाव इतना धीमा समझ में आता है कि ये पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि जो इलाज चल रहा है वो प्रभावी है या नहीं. ऐसे में इलाज के बीच में यदि बदलाव की जरूरत हो, तो उसे तय कर पाना कठिन होता है. लेकिन अब यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (UBC) के रिसर्चर्स ने अपनी नई स्टडी में ये दिखाया है कि रिपिटेटिव ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (RTMS) इलाज के दौरान ब्रेन में क्या बदलाव होते है. आपको बता दें कि आरटीएमएस की प्रक्रिया उस स्थिति में अपनाई जाती है, जब डिप्रेशन के ट्रीटमेंट में दवा का असर नहीं होता है. ऐसे में इस विधि के प्रभाव को जानना और भी जरूरी हो जाता है. एक अनुमान के अनुसार, अवसाद पीड़ित 40% लोगों पर अवसादरोधी (एंटीडिप्रेसेंट) दवा का असर नहीं होता है. इस स्थिति में आरटीएमएस सेशन के दौरान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्वाइल वाले एक उपकरण को रोगी की खोपड़ी पर रखा जाता है. ये उपकरण बिना दर्द का अहसास कराए मैग्नेटिक पल्स देता है, जिससे ब्रेन में मूड कंट्रोल से जुड़े क्षेत्रों के नर्व सेल्स स्टिम्युलेट होते हैं. इसे डोर्सोलैटरल प्रीफ्रंटल कार्टेक्स (Dorsolateral Prefrontal Cortex) कहते हैं.

इस प्रोसेस के इफैक्टिव साबित होने के बावजूद इसके बारे में पता नहीं था कि आरटीएमएस किस तरह से ब्रेन को प्रभावित करता है और उसका मैकेनिज्म क्या है? इस स्टडी का निष्कर्ष अमेरिकन जर्नल ऑफ साइकाइट्री (American Journal of Psychiatry) में प्रकाशित हुआ है.

क्या कहते हैं जानकार
यूबीसी के डिपार्टमेंट ऑफ साइकाइट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फिदेल विला-रोड्रिग्ज (Dr. Fidel Villa-Rodriguez) के अनुसार, ‘जब हमने ये स्टडी शुरू की तो हमारे पास एक सामान्य सा सवाल था कि आरटीएमएस इलाज के दौरान ब्रेन में क्या होता है? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमारी टीम ने रोगियों को आरटीएमएस उस समय दिया, जब वे मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) स्कैनर में थे. चूंकि एमआरआई ब्रेन की एक्टिविटी को माप सकता है, इसलिए आरटीएमएस के दौरान होने वाले बदलाव का रियल टाइम पता चला.’

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रिसर्च टीम ने पाया कि डोर्सोलैटरल प्रीफ्रंटल कार्टेक्स को स्टिम्युलेट किए जाने से ब्रेन के कई एरिया एक्टिव हो गए. ये एरिया इमोशनल रिएक्शंस को मैनेज करने से लेकर मोटल कंट्रोल तक जैसे कार्यों से जुड़े होते हैं. रिसर्च टीम ने स्टडी में शामिल प्रतिभागियों का चार सप्ताह तक आरटीएमएस से इलाज किया और इसकी पड़ताल की कि क्या ब्रेन के जो एरिया एक्टिव हुए थे, वे रोगियों में डिप्रेशन के लक्षणों में आई कमी से जुड़े हैं?

स्टडी में क्या निकला
डॉक्टर विला-रोड्रिग्ज ने बताया कि आरटीएमएस और फंक्शनल एमआरआई के दौरान ब्रेन के जो एरिया एक्टिव हुए थे, उसका पॉजिटिव नतीजों से अहम जुड़ाव था. उन्होंने कहा कि इस नए मैप के जरिए ये पता करना आसान हो गया कि आरटीएमएस किस तरह से ब्रेन के अलग-अलग हिस्सों को स्टिम्युलेट करता है. हमें उम्मीद है कि इसका इस्तेमाल ये तय करने में हो सकता है कि रोगी आरटीएमएस के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करता है.

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उन्होंने आगे बताया कि इस सिद्धांत को दर्शाने और आरटीएमएस के जरिए एक्टिव होने वाले ब्रेन के एरिया की पहचान से, अब हम ये समझने की कोशिश कर सकते हैं कि क्या इस पैटर्न का इस्तेमाल बायोमार्कर के तौर पर हो सकता है? रिसर्चर्स अब इसकी संभावना ढूंढ रहे हैं कि आरटीएमएस का इस्तेमाल अन्य न्यूरोसाइकाइट्रिक बीमारियों में किस तरह से किया जा सकता है.

Tags: Health, Health News, Lifestyle

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