नमस्कार, न्यूज 18 हिंदी के हेल्थ पॉडकास्ट सेहत की बात में मैं अनूप कुमार मिश्र एक बार फिर हाजिर हूं, आपकी सेहत से जुडे नए मसले के साथ. दोस्तों आज वर्ल्ड कैंसर डे है, लिहाजा हम कैंसर की बीमारी, उसके इलाज और बीते सालों में आई नई तकनीक पर बात करेंगे. इस बातचीत में हमारे साथ होंगे बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर डायरेक्टर एण्ड एचओडी डॉ. सुरेंद्र दबास.
इंडिया अगेंस्ट कैंसर नामक संस्था के आंकडे़ बताते हैं कि भारत में बच्चेदानी के मुख के कैंसर की वजह से हर आठ मिनट में एक महिला की मृत्यु हो जाती है. अपने ही देश में स्तन कैंसर से पीडि़त हर दो महिलाओं में से एक महिला अपनी जान गंवा देती है. हर साल तंबाकू के सेवन से 3500 से अधिक लोगों की जान जा रही है. राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के आंकड़े बताते हैं कि 2020 में कैंसर से पीडि़त होने वाले मरीजों की सालाना संख्या 14 लाख तक पहुंच गई थी.
ICMR-NCDIR द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुमान लगाया गया है कि समय रहते लोग नहीं चेते तो 2025 तक हमारे देश में कैंसर से पीडि़त मरीजों की संख्या सालाना 15.7 लाख तक हो जाएगी. ऐसे में मेरा सवाल यह है कि कैंसर के केसेज में बढ़ोत्तरी की असल वजह क्या है क्या कैंसर का इलाज पहले से कितना आसान हुआ है.
डॉ. सुरेंद्र डबास के अनुसार, ओपन सर्जरी के विकल्प को लेप्रोस्कोपिक अथवा लेजर की सर्जरी ने रिप्लेस किया है. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के वेल डिफाइन्ड वर्जन के तौर पर अब रोबोटिक सर्जरी का भी विकल्प मौजूद है. इन नई तकनीक से सर्जरी में मरीज को सर्जरी के दौरान ब्लीडिंग कम होती है और सर्जरी के बाद मरीज को रिकवरी में आसानी होती है.
कैसर की बीमारी और इलाज से जुड़ी नई तकनीक के बारे में जानने के लिए सुने आज का पॉडकास्ट … कैंसर के इलाज की तरफ नए कदम.