बिहार की सियासत में एंट्री करने वाले PK के लिए वो 10 सवाल, जिसका जवाब देना आसान नहीं


पटना. बिहार के सियासत में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की एंट्री हो चुकी है. लेकिन लाख टके का सवाल है कि क्या PK बिहार की सियासत पर अपनी छाप छोड़ पाएंगे. बिहार की जातीय राजनीति (Bihar Politics) में कितना मुश्किल है PK के लिए अपने पैर जमाना, इसका जवाब ढूंढना उनके लिए भी आसान नहीं होगा. PK अपनी अलग कोई पार्टी बनाएंगे या कोई मंच बना कर बिहार में सियासत करेंगे इसका खुलासा प्रशांत किशोर एक-दो दिन में करने वाले हैं. लेकिन उसके पहले कुछ ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब PK को खोजना होगा. ऐसे कई सवाल हैं जिसका जवाब प्रशांत किशोर को ढूंढना होगा तभी बिहार के सियासी पिच पर उनके सफल होने की संभावना होगी.

सवाल नंबर 1– क्या PK बिहार की जातीय राजनीति में बंटे वोट बैंक में अपनी अलग से कोई पहचान बना पाएंगे?

सवाल नंबर 2- प्रशांत किशोर के पास अपना कोई जनाधार नंही है, और न ही उनके पास संगठन की ताकत है. ऐसे में वो कैसे कोई पार्टी खड़ी कर सकते हैं?

सवाल नंबर 3- प्रशांत किशोर जिस जाति या समाज से आते हैं उसका बिहार के वर्तमान सियासत में मुख्यमंत्री जैसे पद पर पहुंचना सियासत में आसान नहीं है?

सवाल नंबर 4- प्रशांत किशोर की लड़ाई बिहार में लालू यादव, नीतीश कुनार, तेजस्वी यादव, बीजेपी और चिराग पासवान जैसे दिग्गजों के साथ-साथ कांग्रेस से भी होगी जिसके सामने फिलहाल PK कुछ भी नहीं हैं?

सवाल नंबर 5- PK युवाओं और गैर-राजनीतिक लोगों पर ज्यादा निर्भर होने की बात कर रहे हैं और बिहार का दौरा करने की तैयारी में हैं. लेकिन बिहार के ग्रामीण इलाके में उनके चेहरे की चर्चा उतनी नहीं है जिस पर युवा प्रभावित हों. वहीं, युवाओं को लुभाने के लिए तेजस्वी यादव 10 लाख सरकारी नौकरियों की बात कह चुके हैं?

सवाल नंबर 6- प्रशांत किशोर पिछले साल भी बिहार में आकर राजनीति करने की बात कह चुके हैं. लेकिन अचानक वापस लौट गए. इस बार भी ऐसा नहीं होगा, इस पर विश्वास करना आसान नहीं है?

सवाल नंबर 7- प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार हैं. इस बार उनके मन के अंदर क्या है इसकी तस्वीर साफ नहीं हुई है. क्या वो किसी हिडेन एजेंडे पर काम कर रहे हैं?

सवाल नंबर 8- बिहार में प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के विकल्प के तौर पर मुखर होकर सामने आना होगा, और बीजेपी के खिलाफ भी कोई बड़ा एजेंडा लाना होगा जो जनता को लुभा सके जो आसान नहीं होगा?

सवाल नंबर 9- प्रशांत किशोर कभी ना कभी बिहार की तमाम राजनीतिक पार्टियों के साथ काम कर चुके हैं, और लगभग तमाम दल PK की रणनीति से वाकिफ हैं. इसलिए उनके लिए कोई अलग रणनीति बनाना आसान नहीं होगा?

सवाल नंबर 10- प्रशांत किशोर को अपनी मुहिम से ऐसे लोगों को जोड़ना होगा जिनका बिहार के लोगों पर बड़ा प्रभाव है. लेकिन ऐसे गैर-राजनीतिक लोग सियासत में सफल होंगे यह कहना आसान नहीं होगा.
बिहार के जाने माने पत्रकार अरुण पांडे कहते हैं कि PK के लिए बिहार की सियासत में पैर जमाना आसान नहीं होगा. उन्हें कई सवालों के ठोस जवाब ढूंढना होंगे खास कर जातीय राजनीति के साथ-साथ बिहार के सियासत के धुरंधरों के बीच अपने लिए अलग जगह बनाना और जनता को यह भरोसा दिलाना कि वो कुछ अलग करने वाले हैं.

जाहिर है PK के पास I-PAC नाम की संस्था है और अनुभवी लोगों की टीम भी है जिसने बिहार में पहले भी काम किया है. लेकिन उन्हें भी पता है कि बिहार में जातियों की राजनीति तमाम मुद्दों पर अंतिम समय में हावी हो जाता है. इसका एक बड़ा उदाहरण 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव है. वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार कहते हैं कि PK ने एक पहल की है बिहार में कुछ अलग करने की. लेकिन वो पहल जनता को कितना पसंद आएगा यह देखना दिलचस्प होगा.

Tags: Bihar News in hindi, Bihar politics, Prashant Kishor



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