38 दोषियों को फांसी: अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में बोला कोर्ट- गवाह पहचान न सकें, इसलिए आरोपियों ने बार-बार बदला था हुलिया


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Sun, 20 Feb 2022 10:28 PM IST

सार

विशेष न्यायाधीश एआर पटेल की बेंच ने शुक्रवार को अहमदाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 आतंकियों को मौत की सजा सुनाई थी।

2008 अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट के दोषी और उस समय की तस्वीरें

2008 अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट के दोषी और उस समय की तस्वीरें
– फोटो : पीटीआई

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विस्तार

अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने कहा है कि 2008 में शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के आरोपी लगातार अपना हुलिया बदलते रहते थे, ताकि अभियोजन पक्ष के गवाह उन्हें पहचान न पाएं और वे सजा से बच जाएं। 

विशेष न्यायाधीश एआर पटेल की बेंच ने शुक्रवार को अहमदाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 आतंकियों को मौत की सजा सुनाई थी। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। अदालत ने इस मामले में आईएम से जुड़े 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। मामले में 28 अन्य को बरी कर दिया गया था। देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी अदालत ने एक साथ इतने लोगों को मौत की सजा सुनाई। 

अदालत ने फैसले में क्या कहा?

अदालत की वेबसाइट पर शनिवार को अपलोड किए गए 7,015 पन्नों के फैसले में अदालत ने कहा कि उसने सुनवाई के दौरान पाया कि गवाह आरोपियों को पहचान न सकें, इसके लिये आरोपी अलग-अलग हथकंडे अपना रहे थे। सितंबर 2021 तक चली मामले की सुनवाई के दौरान 1,163 गवाहों से पूछताछ की गई। अदालत ने कहा कि गवाह पहचान सकें, इसके लिए आरोपियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए छोटे-छोटे समूहों में अदालत में पेश किया जाता था।

आतंकियों ने बचने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपनाए?

अदालत ने कहा कि इस दौरान आरोपी कई तरह के हथकंडे अपनाते थे, जैसे कि अपने हाव-भाव बदलना, अलग-अलग पोशाक पहनना, टोपी या चश्मा पहनना या हटाना और अपनी दाढ़ी का आकार बदलना आदि। अदालत ने कहा कि इन प्रयासों के बावजूद कई गवाह कई आरोपियों की पहचान करने में कामयाब रहे, और जो लोग अदालत के सामने ऐसा नहीं कर सके, उन्होंने कार्यकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष पहचान परेड के दौरान उन्हें पहचान लिया।

अदालत ने कहा कि 10-12 गवाहों को छोड़कर, अन्य सभी ने घटना के बारे में जो कुछ भी पता था, उसका विवरण प्रदान किया। कोर्ट के मुताबिक, कई गवाह लंबे अंतराल के कारण आरोपियों की पहचान नहीं कर सके। गौरतलब है कि इस मामले में दोषी देशभर की विभिन्न जेलों में बंद हैं, जिनमें अहमदाबाद की साबरमती केंद्रीय जेल, दिल्ली की तिहाड़ जेल और भोपाल, गया, बेंगलुरु, केरल और मुंबई की जेलें शामिल हैं।



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