मुंबई . शेयर बाजार में पिछले कुछ महीनों में ऊपरी स्तरों से काफी करेक्शन देखने को मिला है. फरवरी मध्य से रूस-यूक्रेन संकट ने बाजार की हालत खराब कर रखी है. बाजार के भारी उतार-चढ़ाव में नए निवेशक परेशान हैं. ऐसे में एक्सपर्ट मार्केट को लेकर कुछ जरूरी सलाह-सुझाव दे रहे हैं.
मनीकंट्रोल के जश कृपलानी के साथ बातचीत में UTI MF (जो 2.24 लाख करोड़ के एसेट्स मैनेज करता है ) के मुख्य निवेश अधिकारी वेत्री सुब्रमण्यम (Vetri Subramaniam) ने बाजार पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव पर विस्तार से बात की. Vetri Subramaniam ने फंड हाउस के पैसिव प्रोडक्ट और इंडस्ट्री में नई प्रतिस्पर्धा के बारे में भी विस्तार से बात की.
पेश है उनसे बातचीत के संपादित अंश:
रूस-यूक्रेन संकट को आप शेयर बाजारों को कैसे प्रभावित करते हुए देखते हैं?
दुनिया भर के केंद्रीय बैंक उस मौद्रिक सहायता को वापस लेना चाह रहे थे जो COVID-19 के कारण दी गई थी. मुद्रास्फीति की चिंता बढ़ रही थी और सप्लाई चैन में बाधा पड़ने से भी मुद्रास्फीति बढ़ी. यूक्रेन समस्या से सप्लाई चैन प्रभावित हुई. तेल, गैस, कोयले के लिए ये यह बेल्ट एक अहम सप्लायर है. रूस और यूक्रेन को एक साथ रख कर देखें तो यह एग्री-कमोडिटीज और मेटल्स का एक बड़ा सप्लायर है. इसलिए इस युद्ध से यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को सप्लाई का एक और झटका लगा है.
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इस करेक्शन के दौरान निवेशकों को बाजारों में क्या अप्रोच रखना चाहिए?
Subramaniam ने कहा कि निवेशकों को अपना निवेश जारी रखना चाहिए. यदि वे महंगे वैल्यूएशन के कारण अपना पैसा होल्ड किये हैं तो यह उनके लिए अब उस पैसे को बाजार में लगाने का मौका बन रहा है. लार्ज-कैप में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि वैल्यूएशन में गिरावट आई है. यह पहली बार नहीं था जब हमने देखा कि वैल्यूएशन महंगा हुआ है और भविष्य में में हम कभी-कभार फिर से वैल्यूएशन सस्ता होता हुआ देखेंगे. वैल्यूएशन में उतार-चढ़ाव होता रहता है. इसके पीछे के कारण और समाचार अलग-अलग समय पर सामने आते रहते हैं. वास्तव में वैल्यूएशन का मतलब रिवर्ट होता है. इसलिए, जब वैल्यूएशन अधिक हो तो निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए.
आप किन सेक्टर्स पर बुलिश हैं?
इस पर जवाब देते हुए Vetri Subramaniam ने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर में वैल्यूएशन उचित लग रहा है और लाभ के लिए कंपनियां अच्छी तरह से तैयार दिख रही हैं. ऑटो सेक्टर में वॉल्यूम वित्त वर्ष 2018-2019 में आये हुए पीक वॉल्यूम से 20-30 प्रतिशत नीचे चल रहा है. यह थोड़ा असामान्य है लेकिन आगे डिमांड में तेजी आएगी. आप बढ़ती अर्थव्यवस्था में ऑटो डिमांड को तीन साल के शिखर से नीचे बने रहने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं.
UTI MF इतने सारे पैसिव फंड क्यों लॉन्च कर रहा है, खासकर फैक्टर-बेस्ड फंड क्यों शुरू कर रहा. अभी तक कोई अंतरराष्ट्रीय फंड क्यों नहीं लॉन्च किया?
निवेशक दोनों रणनीतियों को आपस मे मिला सकते हैं. पैसिव साइड पर देखें तो हम फैक्टर-बेस्ड निवेश रणनीतियों पर फोकस कर रहे हैं. फैक्टर-बेस्ड रणनीतियों के जरिये आप एक एक्टिव रणनीति अपना सकते हैं और इसको एक पैसिव रणनीति में बदल सकते हैं. हमने अभी-अभी S&P BSE लो वोलैटिलिटी इंडेक्स पर आधारित एक लो वोलैटिलिटी इंडेक्स फंड लॉन्च किया है. इसके साथ ही निफ्टी मिडकैप 150 क्वालिटी 50 इंडेक्स फंड के लिए फाइल किया है. जब म्युचुअल फंड के लिए विदेशी निवेश की सीमा बढ़ा दी जायेगी, तब हम एक अंतरराष्ट्रीय फंड भी लॉन्च करेंगे.
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Vetri ने आगे कहा कि दिसंबर-तिमाही के नतीजे बताते हैं कि कई एनएफओ लॉन्च होने से डिस्ट्रीब्यूशन कॉस्ट के कारण एएमसी मार्जिन प्रभावित हुई है. इसमें प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है क्योंकि नए लॉन्च किए गए पैसिव फंड बहुत कम TERs चार्ज कर रहे हैं.
अगले दशक या कुछ दशकों में पैसिव फंड निवेश का प्रवाह बढ़ने की संभावना है. इसके साथ ही हमें बाजार के आकार को बढ़ाने के अवसर को नहीं भूलना चाहिए. जब बचत के फाइनेंसियलाइजेशन की बात आती है, तब Indian AMCs के लिए एक बड़ा अवसर तैयार होता है.
क्या आप यह भी उम्मीद करते हैं कि एक्टिव फंड मैनेजरों के लिए आउटपरफॉर्म करना चुनौतीपूर्ण होगा?
Vetri Subramaniam ने फंड मैनेजर्स के आउटपरफॉर्मेंस के बारे में कहा कि हम बाकी दुनिया से जो सीख सकते हैं, वह यह है कि जैसे-जैसे बाजार अधिक से अधिक संस्थागत होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे संस्थागत निवेशकों के अल्फा (आउटपरफॉर्मेंस) के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा बढ़ती जायेगी. इससे यह और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगा. आउटपरफॉर्मेंस बना रहेगा, लेकिन यह समझना बहुत मुश्किल हो सकता है कि कौन सी निवेश रणनीति आउटपरफॉर्म करेगी. इसलिए फिलहाल के लिए दोनों रणनीतियों के बने रहने की गुंजाइश है.
(डिस्क्लेमरः न्यूज 18 यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें. )
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