Agneepath Scheme: अग्निपथ पर सरकार के ‘संकटमोचक’ बने डोभाल, पहले भी केंद्र को मझधार से बाहर निकाल चुके हैं एनएसए


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सेना भर्ती के लिए लागू की गई अग्निपथ योजना, जिसने केंद्र सरकार को मझधार में फंसा दिया है, अब उसे मुसीबत से बाहर निकालने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एक बार फिर से संकटमोचक बनकर सामने आए हैं। उन्होंने मंगलवार को अग्निपथ स्कीम को लेकर मोदी सरकार का बचाव किया है। देश की सुरक्षा और युवाओं के लिए, सेना भर्ती की इस स्कीम को बेहद कारगर बताया है। इससे पहले चीन के साथ विवाद, साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद पैदा हुई स्थिति और दिल्ली दंगे, इन सभी घटनाओं में अजीत डोभाल, केंद्र सरकार के संकटमोचक बन कर सामने आए थे।

सरकार ने उतारे ‘सिपहसालार’  

केंद्र सरकार द्वारा लाई गई अग्निपथ योजना का विपक्षी दलों ने विरोध किया है। शुरुआती दो-तीन दिन तक कई राज्यों में इस स्कीम को लेकर युवाओं ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। कांग्रेस पार्टी ने इस योजना को देश की सुरक्षा और युवाओं के साथ खिलवाड़ बताते हुए इसके विरोध में सत्याग्रह शुरू किया है। कई दूसरे दलों के नेताओं ने भी इसका विरोध किया है। अग्निपथ पर युवाओं की नाराजगी को शांत करने के लिए पीएम मोदी के सभी सिपहसालार मैदान में उतरे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत सभी केंद्रीय मंत्री व भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी अग्निपथ के समर्थन में आगे आ चुके हैं। अमूमन रोजाना ही केंद्र सरकार द्वारा युवाओं का गुस्सा शांत करने के लिए कोई न कोई नई घोषणा कर दी जाती है।

लोगों में भर्ती को लेकर भरोसे की कमी

ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी मुद्दे पर तीनों सेनाओं के चीफ और दूसरे वरिष्ठ अधिकारी मीडिया से लगातार बातचीत कर रहे हैं। इसके अलावा कमांड स्तर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अग्निपथ स्कीम के फायदे बताए जा रहे हैं। भाजपा ने अपने सभी पदाधिकारियों से कहा है कि वे देश के सभी जिलों में अग्निपथ योजना को लेकर लोगों के बीच जाएं। उन्हें इसके फायदों से अवगत कराएं। सोमवार को खुद पीएम मोदी ने अग्निपथ योजना को लेकर अप्रत्यक्ष तौर से कहा था कि कुछ फैसले शुरुआत में अप्रिय लग सकते हैं, लेकिन समय गुजरने के साथ वे फायदेमंद होंगे और राष्ट्र निर्माण में मदद करेंगे। तमाम प्रयासों के बावजूद लोगों में सेना भर्ती को लेकर केंद्र सरकार, एक भरोसा नहीं बना पा रही थी। आखिर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को मोर्चा संभालना पड़ा। डोभाल की बातों पर न केवल युवा, बल्कि दूसरे लोग भी विश्वास करते हैं। डोभाल ने इस योजना को सेना के लिए जरूरी बताया है।

पहले भी संभाल चुके हैं मोर्चा

इससे पहले जब चीन के साथ विवाद हुआ तो अजीत डोभाल ने मोर्चा संभाला था। पाकिस्तान के साथ भी वे समय समय पर अपना दम दिखाते आए हैं। साल 2019 में जब अनुच्छेद 370 समाप्त हुआ तो पड़ोसी मुल्क के अलावा कई दूसरे देशों ने भी कश्मीर की स्थिति को लेकर सवाल उठाए थे। उस वक्त भी अजीत डोभाल संकटमोचक बनकर कश्मीर में पहुंचे थे। पाबंदियों के बीच उन्होंने आम लोगों के साथ बातचीत की। वे स्थानीय लोगों के साथ चाय पीते हुए नजर आए थे। उसके बाद वहां के हालात काफी हद तक सुधर गए थे। इसी तरह दिल्ली दंगों में अजीत डोभाल ही सबसे पहले लोगों के बीच पहुंचे। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि अजीत डोभाल, अग्निपथ के संकट से मोदी सरकार को आसानी से बाहर निकाल ले लाएंगे।

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सेना भर्ती के लिए लागू की गई अग्निपथ योजना, जिसने केंद्र सरकार को मझधार में फंसा दिया है, अब उसे मुसीबत से बाहर निकालने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एक बार फिर से संकटमोचक बनकर सामने आए हैं। उन्होंने मंगलवार को अग्निपथ स्कीम को लेकर मोदी सरकार का बचाव किया है। देश की सुरक्षा और युवाओं के लिए, सेना भर्ती की इस स्कीम को बेहद कारगर बताया है। इससे पहले चीन के साथ विवाद, साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद पैदा हुई स्थिति और दिल्ली दंगे, इन सभी घटनाओं में अजीत डोभाल, केंद्र सरकार के संकटमोचक बन कर सामने आए थे।

सरकार ने उतारे ‘सिपहसालार’  

केंद्र सरकार द्वारा लाई गई अग्निपथ योजना का विपक्षी दलों ने विरोध किया है। शुरुआती दो-तीन दिन तक कई राज्यों में इस स्कीम को लेकर युवाओं ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। कांग्रेस पार्टी ने इस योजना को देश की सुरक्षा और युवाओं के साथ खिलवाड़ बताते हुए इसके विरोध में सत्याग्रह शुरू किया है। कई दूसरे दलों के नेताओं ने भी इसका विरोध किया है। अग्निपथ पर युवाओं की नाराजगी को शांत करने के लिए पीएम मोदी के सभी सिपहसालार मैदान में उतरे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत सभी केंद्रीय मंत्री व भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी अग्निपथ के समर्थन में आगे आ चुके हैं। अमूमन रोजाना ही केंद्र सरकार द्वारा युवाओं का गुस्सा शांत करने के लिए कोई न कोई नई घोषणा कर दी जाती है।

लोगों में भर्ती को लेकर भरोसे की कमी

ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी मुद्दे पर तीनों सेनाओं के चीफ और दूसरे वरिष्ठ अधिकारी मीडिया से लगातार बातचीत कर रहे हैं। इसके अलावा कमांड स्तर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अग्निपथ स्कीम के फायदे बताए जा रहे हैं। भाजपा ने अपने सभी पदाधिकारियों से कहा है कि वे देश के सभी जिलों में अग्निपथ योजना को लेकर लोगों के बीच जाएं। उन्हें इसके फायदों से अवगत कराएं। सोमवार को खुद पीएम मोदी ने अग्निपथ योजना को लेकर अप्रत्यक्ष तौर से कहा था कि कुछ फैसले शुरुआत में अप्रिय लग सकते हैं, लेकिन समय गुजरने के साथ वे फायदेमंद होंगे और राष्ट्र निर्माण में मदद करेंगे। तमाम प्रयासों के बावजूद लोगों में सेना भर्ती को लेकर केंद्र सरकार, एक भरोसा नहीं बना पा रही थी। आखिर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को मोर्चा संभालना पड़ा। डोभाल की बातों पर न केवल युवा, बल्कि दूसरे लोग भी विश्वास करते हैं। डोभाल ने इस योजना को सेना के लिए जरूरी बताया है।

पहले भी संभाल चुके हैं मोर्चा

इससे पहले जब चीन के साथ विवाद हुआ तो अजीत डोभाल ने मोर्चा संभाला था। पाकिस्तान के साथ भी वे समय समय पर अपना दम दिखाते आए हैं। साल 2019 में जब अनुच्छेद 370 समाप्त हुआ तो पड़ोसी मुल्क के अलावा कई दूसरे देशों ने भी कश्मीर की स्थिति को लेकर सवाल उठाए थे। उस वक्त भी अजीत डोभाल संकटमोचक बनकर कश्मीर में पहुंचे थे। पाबंदियों के बीच उन्होंने आम लोगों के साथ बातचीत की। वे स्थानीय लोगों के साथ चाय पीते हुए नजर आए थे। उसके बाद वहां के हालात काफी हद तक सुधर गए थे। इसी तरह दिल्ली दंगों में अजीत डोभाल ही सबसे पहले लोगों के बीच पहुंचे। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि अजीत डोभाल, अग्निपथ के संकट से मोदी सरकार को आसानी से बाहर निकाल ले लाएंगे।



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