मिलेनियम सिटी में मोटी कमाई की उम्मीद लगाए बकरा कारोबारियों की बकरीद बकरों पर कुर्बान हो गई। उन्हें उम्मीद थी कि एक साल बाद होने वाले त्योहार में लोग मनपसंद जानवर मुंहमांगे दाम में ले जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। महंगाई के कारण लोगों ने बहुत कम खरीदारी की।
आलम ये रहा कि जिस बकरा बाजार में बकरीद पर 700 से 800 बकरे अमूमन बिक जाते हैं, वहां 250 का ही सौदा हुआ है। शनिवार की रात गुरुग्राम से दिल्ली भेज गए सैकड़ों बकरे और भैंसे भी लौट आए। वहां भी खरीदारी नहीं हुई।
इस हालात में जब लोग घरों में लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे थे। उस वक्त कई बकरा कारोबारी सड़कों पर थे। माल नहीं बिकने से होने वाले घाटे का हिसाब लगा कर परेशान हो रहे थे। इन लोगों ने सदर बाजार के बकरा बाजार में ही त्योहार मनाया। वहीं नमाज पढ़ने के बाद बाहर से ही कुछ मंगा कर भूख मिटाई।
सोहना और बादशाहपुर निवासी कुछ कारोबारी सुबह घर में कुछ पैसे देकर वापस आ गए। नूंह, फिरोजपुर झिरका, मेवात वाले दूरी के कारण नहीं गए थे। जो रात में गए भी, वो भी सुबह इस उम्मीद में लौट आए कि शायद खरीदार आ जाएं तो काम बन जाए। इन सभी को परिजनों के साथ त्योहार नहीं मनाने का अफसोस भी था। बच्चों की याद भी आ रही थी।
आखिरी जुगाड़ में जब बचे कुए कुछ जानवर काट कर बेचे गए तो उमस में सड़ने के डर से मीट का रेट अचानक कम हो गया, क्योंकि फुटकर दुकानदार पहले से ही अपना माल खपाने में लगे थे। जी हां.. कुछ ऐसी ही गुजरी बकरा विक्रेताओं की बकरीद। मायूस कारोबारी बोले.. दशकों में ऐसा कभी नहीं हुआ था।
70 का सोनू बिका 55 हजार में
बलू का चर्चित बकरा सोनू 55 हजार रुपये में बिका। जिसकी कीमत 70 हजार रुपये मांगी जा रही थी। इस बकरे का वजन एक क्विंटल और लंबाई 3.8 फुट थी, जिसकी वजह से ये पूरे बाजार में चर्चा में था। इसके मालिक ने सौदा होने के बाद राहत की सांस ली। नहीं तो इसके लिए एक साल और इंतजार करना पड़ा।
भैंसे वाले भी नुकसान में
कुर्बानी के लिए भैंसे बेचने वाले भी नुकसान में हैं। साझे में कुर्बानी देने वाले इस बार बहुत कम थे, इसलिए इनकी बिक्री नहीं हुई। इस कारोबार से जुड़े मुबीन कुरैशी ने बताया कि इस बार कुर्बानी में सख्ती का असर पूरे हरियाणा में रहा। लोगों ने इसलिए कम खरीदारी की है।